Satyajit Ray Death Anniversary: सत्यजीत रे को कहा जाता था सिनेमा का जीनियस, ऐसे मिला था ऑस्कर

आज ही के दिन यानी की 23 अप्रैल को भारतीय सिनेमा बल्कि पूरी दुनिया की सिनेमा का जीनियस कहे जाने वाले सत्यजीत रे का निधन हो गया था। आज भी लोग सत्यजीत रे की फिल्मों से सीख लेते हैं। वहीं हॉलीवुड के निर्देशक भी उनके निर्देशन के तरीकों को अपनी फिल्मों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भले ही आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन फिल्मों के प्रति सत्यजीत रे का त्याग और समर्पण काफी यादगार है। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर सत्यजीत रे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और परिवारकोलकाता में 02 मई 1921 को सत्यजीत रे का जन्म हुआ था। जब वह महज तीन साल के थे, तो उनके पिता का निधन हो गया था। ऐसे में सत्यजीत रे की मां ने तमाम तरह की समस्याओं का सामना करते हुए उनका पालन-पोषण किया था। इसे भी पढ़ें: BR Chopra Birth Anniversary: पहली फिल्म फ्लॉप होने के बाद रच दिया इतिहास, 'महाभारत' बनाकर घर-घर में फेमस हुए बीआर चोपड़ाफिल्मी सफरएक बार काम के सिलसिले में साल 1950 को सत्यजीत रे लंदन जाने का मौका मिला था। इस दौरान उन्होंने लंदन में कई फिल्में देखीं। उन फिल्मों से वह इस कदर प्रभावित हुए कि सत्यजीत रे ने ठान लिया कि वह भारत आकर फिल्म 'पाथेर पंचोली' बनाएंगे। फिर साल 1952 में उन्होंने नई टीम के साथ फिल्म की शूटिंग शुरू की। नया फिल्ममेकर होने के कारण कोई भी इस पर पैसा नहीं लगाना चाहता था। इस फिल्म को बनाने के लिए सत्यजीत रे ने अपनी पत्नी के गहने बेच दिए थे। फिर अंत में पश्चिम बंगाल सरकार ने उनकी सहायता की और साल 1955 में फिल्म 'पाथेर पंचोली' रिलीज हुई थी।पुरस्कारबता दें कि फिल्म 'पाथेर पंचोली' ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। इस फिल्म को फ्रांस के कांस फिल्म फेस्टिवल में मिला विशेष पुरस्कार बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट मिला। इसके बाद साल 1972 में सत्यजीत रे को ऑस्कर देने की घोषणा की थी। लेकिन उस समय सत्यजीत रे बीमार चल रहे थे और यह सम्मान लेने नहीं जा सके। जिस पर ऑस्कर के पदाधिकारियों की टीम कोलकाता सत्यजीत रे के घर पहुंची और उनको यह अवॉर्ड दिया था।मृत्युवहीं 23 अप्रैल 1992 को कोलकाता में सत्यजीत रे ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।

Apr 23, 2025 - 13:39
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Satyajit Ray Death Anniversary: सत्यजीत रे को कहा जाता था सिनेमा का जीनियस, ऐसे मिला था ऑस्कर
Satyajit Ray Death Anniversary: सत्यजीत रे को कहा जाता था सिनेमा का जीनियस, ऐसे मिला था ऑस्कर

Satyajit Ray Death Anniversary: सत्यजीत रे को कहा जाता था सिनेमा का जीनियस, ऐसे मिला था ऑस्कर

Team Netaanagari presents, “Haqiqat Kya Hai

हर साल की तरह, इस वर्ष भी 23 अप्रैल को सिनेमा के महानायक सत्यजीत रे की पुण्यतिथि मनाई गई। विश्व सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें संभावित रूप से सबसे महान भारतीय फिल्म निर्माता माना जाता है। उनकी कला और सृजनशीलता ने न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में दर्शकों का दिल जीता।

सत्यजीत रे का परिचय

सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921 को कलकत्ता में हुआ था। उनका परिवार कला और साहित्य से भरा हुआ था, जो उनकी रचनात्मकता को आगे बढ़ाने में सहायक साबित हुआ। उन्होंने अपनी फिल्म निर्माण की यात्रा 1955 में 'पाथेर पांचाली' से शुरू की, जो कि एक बेजोड़ कला का उदाहरण है। इस फिल्म ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार जीते।

सत्यजीत रे का सिनेमा

सत्यजीत रे के सिनेमा की पहचान उनकी गहरी मानवता, संवेदनशीलता और उत्कृष्ट कहानी कहने की शैली में निहित है। उन्होंने सामाजिक मुद्दों, परिवारिक रिश्तों और भारतीय संस्कृति को अपनी फिल्मों में बखूबी उजागर किया। उनके चाहता का एक उदाहरण है उनकी त्रयी: 'आपाराजितो', 'निशी नगर के रे', और 'जलसाघर'।

ऑस्कर: उनका बड़ा सम्मान

सत्यजीत रे को 1992 में मानद ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार ऐसी शख्सियत के लिए था जिसने विश्व सिनेमा को नई दिशा दी। हर फिल्म के साथ उन्होंने भारतीय सिनेमा के गौरव को बढ़ाया और अपने अद्वितीय दृष्टिकोण के लिए पहचाने गए। अभिनेते की एक प्रेम कहानी, जो खासतौर पर भारतीय दर्शकों को छू जाती है, को उन्होंने अपने निराले अंदाज़ में प्रस्तुत किया।

भविष्य की पीढ़ियों के लिए धरोहर

सत्यजीत रे की कला। उनकी सृजनात्मकता ने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत का कार्य किया। उनके द्वारा दिये गए दृष्टिकोण और उनकी कला का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस तरह वे आज भी सिनेमा के आकाश में चमकते सितारे की तरह हैं।

निष्कर्ष

सत्यजीत रे का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि यह एक आम आदमी की कहानी को विश्वव्यापी मंच पर पहुंचाने का एक तरीका है। उनकी पुण्यतिथि पर, हम उन्हें याद करते हैं और उनकी कृतियों को सम्मान देते हैं। उनकी फिल्मों को देखकर हम जीवन की जटिलताओं को समझ सकते हैं।

केवल सत्यजीत रे ही नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के अन्य महान फिल्म निर्माताओं को भी हमें याद करना चाहिए और उनके कार्यों से सीख लेनी चाहिए। सत्यजीत रे की प्रेरणा के बिना भारतीय सिनेमा की यात्रा अधूरी रहेगी। सत्यजीत रे को श्रद्धांजलि।

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