Khushwant Singh Birth Anniversary: खुशवंत सिंह ने आखिरी पड़ाव तक नहीं छोड़ा लेखन कार्य, इन 3 चीजों से था बेहद लगाव
आज ही के दिन यानी की 02 फरवरी को देश के प्रसिद्ध लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार खुशवंत सिंह का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने पेशेवर जिंदगी में बहुत ख्याति अर्जित की थी। बता दें कि उनका बचपन से ही राजनीति से नाता था। खुशवंत सिंह के चाचा सरदार उज्जवल सिंह पंजाब और तमिलनाडु के राज्यपाल रहे थे। उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव तक लेखन का कार्य नहीं छोड़ा था। वह एक जिंदादिल और बेबाक शख्स थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर खुशवंत सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षापाकिस्तान पंजाब के खुशाब के हदाली जिले में 02 फरवरी 1915 को खुशवंत सिंह का जन्म हुआ था। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज और लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ाई किया। उन्होंने साल 1939 में कवल मलिक से शादी की थी। उनके बेटे का नाम राहुल सिंह और बेटी का नाम माला है।राजनीतिक करियरवह अपने पेशेवर जिंदगी में एक पत्रकार के रूप में ख्याति अर्जित की थी। वह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी काफी फेमस थे। उनकी एक किताब 'ट्रेन टू पाकिस्तान' काफी लोकप्रिय हुई थी। इस बुक पर फिल्म भी बन चुकी है। साल 1951 में खुशवंत सिंह आकाशवाणी से जुड़े थे। वहीं साल 1951 से लेकर 1953 तक उन्होंने भारत सरकार के पत्र 'योजना' का संपादन किया। खुशवंत सिंह को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।इसे भी पढ़ें: Kalpana Chawla Death Anniversary: अंतरिक्ष पर जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं कल्पना चावला, दूसरा मिशन बना आखिरी सफरखुशविंत सिंह राजनीति के प्रबल आलोचक रहे। साल 1980 से लेकर 1986 तक वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। खुशवंत सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह अपनी पूरी जिंदगी एक जिंदादिल इंसान की तरह रहे। वह साल 1980 में मुंबई से प्रकाशित फेमस अंग्रेजी साप्ताहिक 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया' और 'न्यू डेल्ही' के भी संपादक रहे।जाति व्यवस्था के खिलाफ थे वहसाल 1983 तक खुशवंत सिंह ने दिल्ली के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' का संपादन किया। उनके कॉलम का पाठक बेसब्री से इंतजार करते खे। एक व्यक्ति और लेखक के तौर पर वह जाति व्यवस्था के खिलाफ थे। उनकी रचनाएं राजनीतिक टिप्पणी और समकालीन व्यंग्य से लेकर सिख धार्मिक ग्रंथों और उर्दू कविता के उत्कृष्ट अनुवाद तक हैं।इन तीनों चीजों से था बेहद प्यारखुशवंत सिंह के बारे में एक बेहद खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव तक भी लिखना नहीं छोड़ा था। वह 99 साल की उम्र तक में भी सुबह 4 बजे उठकर लिखना पसंद करते थे। वह नेचर लवर थे और लिखने के लिए घंटों तक बगीचे में बैठते थे। उनको तीन चीजों से बेहद प्यार था, पहला दिल्ली, दूसरा लेखन और तीसरा खूबसूरत महिलाएं थीं।मृत्युवहीं 20 मार्च 2014 को खुशवंत सिंह ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।

Khushwant Singh Birth Anniversary: खुशवंत सिंह ने आखिरी पड़ाव तक नहीं छोड़ा लेखन कार्य, इन 3 चीजों से था बेहद लगाव
Haqiqat Kya Hai
खुशवंत सिंह, एक ऐसा नाम जो भारतीय साहित्य जगत में अद्वितीय स्थान रखता है। उनके जन्मदिन पर, हम उनकी विरासत और उनकी लेखन यात्रा के कुछ अनदेखे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। लेखन उनके लिए सिर्फ एक पेशा नहीं था, बल्कि यह उनकी जीवनशैली का हिस्सा था। आइए जानते हैं कि खुशवंत सिंह की लेखनी में आखिर क्या चीजें थीं जो उन्हें लुभाती थीं।
खुशवंत सिंह का लेखन जीवन
खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी 1915 को हज़ारों साल पुरानी संस्कृति वाले शहर हृदय में हुआ। उन्होंने अपना जीवन लेखन में समर्पित किया और अपने अंतिम दिनों तक इस कार्य को नहीं छोड़ा। उनके लेखन ने न केवल साहित्यिक समाज में बल्कि आम लोगों के बीच भी गहरी छाप छोड़ी है। उनकी विशेषता यह थी कि वे कभी भी अपने विचारों या अनुभवों को छिपाते नहीं थे।
खुशवंत सिंह का लगाव
खुशवंत सिंह की लेखनी में उनका व्यक्तिगत जीवन का बहुत बड़ा योगदान था। आइए जानते हैं उन तीन चीजों के बारे में, जिनसे उनका बेहद लगाव था:
1. शराब
खुशवंत सिंह ने कई बार कहा कि शराब उनके लेखन में एक सहायक के रूप में कार्य करती थी। वे इसे अपने विचारों को स्पष्ट करने के लिए एक साधन मानते थे। उनकी निबंधों और कहानियों में शराब का जिक्र अनगिनत बार हुआ है, जो उनके काव्यात्मकता को नया स्वरूप देते हैं।
2. महिला मित्र
उनकी ज़िन्दगी में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा। खुशवंत सिंह ने हमेशा महिलाओं के प्रति अपने प्रेम और सम्मान का इज़हार किया है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में महिलाओं के प्रति उनकी असीम सराहना एवं सम्मान झलकता है।
3. साहित्य
खुशवंत सिंह ने अपने लेखन में विभिन्न साहित्यिक परिवेशों का सामना किया। उन्हें क्लासिक और आधुनिक दोनों ही तरह के साहित्य से गद्दीमय प्रेम था। उनकी किताबें जैसे 'टेन अकाउंट्स ऑफ़ दी इम्पेयर' और 'द कंपनी ऑफ़ वुमेन' उनकी साहित्यिक क्षमता को दर्शाने के लिए काफी हैं।
निष्कर्ष
खुशवंत सिंह का लेखन सिर्फ एक पेशा नहीं बल्कि उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था। उन्होंने अपनी ज़िन्दगी की हर संजीवनी को अपने विचारों में समेटा और इसे अपने पाठकों के स सामने प्रस्तुत किया। उनकी लेखनी, शराब, महिलाओं और साहित्य के प्रति उनके अनन्य प्रेम ने उन्हें एक अद्वितीय लेखक बना दिया। आज, उनके जन्मदिन पर, हम उन्हें याद करते हैं और उनकी कार्यशैली से प्रेरणा लेते हैं।
अगर आप खुशवंत सिंह के बारे में और जानना चाहते हैं, तो haqiqatkyahai.com पर जाएं।
Keywords
Khushwant Singh, Birth Anniversary, Indian Literature, Writing, Legacy, Women, Wine, Literary JourneyWhat's Your Reaction?






