K B Hedgewar Birth Anniversary: बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव थे के बी हेडगेवार, ऐसे खड़ा किया था दुनिया का सबसे बड़ा संगठन

आज ही के दिन यानी की 01 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखने वाले डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था। देश की आजादी के संघर्ष के दौरान हेडगेवार पहले कांग्रेस में शामिल हुए। फिर कांग्रेस पदाधिकारी के तौर पर उनकी गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन जल्द ही कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नींव रखी थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और परिवारनागपुर में एक ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के थे और उनको अंग्रेजी हुकूमत से नफरत थी। ऐसे में उनमें देश प्रेम-भाव उत्पन्न होने में समय नहीं लगा। आप के बी हेडगेवार की अपने समाज के प्रति गहरी संवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्होंने इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के 60 साल के पूरे होने पर बांटी गई मिठाई को स्वीकार नहीं किया था।इसे भी पढ़ें: Guru Tegh Bahadur Birth Anniversary: गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए सर्वस्व कर दिया था बलिदान, जानिए रोचक बातेंRSS की स्थापनाबता दें कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के सपने के साथ राष्ट्री स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई थी। डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के मन में हिन्दुवादी संगठन बनाने का विचार आया था। हेडगेवार ने  नागपुर में 17 लोगों की बैठक में सबसे पहले आरएसएस की स्थापना का विचार रखा था। इस बैठक में डॉ हेडगेवार के अलावा भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, विश्वनाथ केलकर, बाला ही हुद्दार एवं बापूराव भेदी जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए थे।डॉ हेडगेवार बने पहले सरसंघचालक25 सितंबर 1925 का बने हिन्दुवादी संगठन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानि RSS का नाम 17 अप्रैल 1926 को मिला था। इस दौरान डॉ हेडगेवार को RSS का पहला सरसंघचालक चुना गया था। साल 1925 में अस्तित्व में आया राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ वर्तमान समय में दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है।मृत्युडॉ हेडगेवार का मानना था कि हिंदुओं को एक धागे में पिरो कर एक ताकतवर समूह के रूप में विकसित करना ही संगठन का प्राथमिक काम है। वहीं 21 जून 1940 को डॉ हेडगेवार का निधन हो गया था। वहीं उनकी मृत्यु के बाद सरसंघचालक की जिम्मेदारी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर को सौंप दी गई।

Apr 1, 2025 - 13:39
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K B Hedgewar Birth Anniversary: बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव थे के बी हेडगेवार, ऐसे खड़ा किया था दुनिया का सबसे बड़ा संगठन
K B Hedgewar Birth Anniversary: बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव थे के बी हेडगेवार, ऐसे खड़ा किया था दुनिया का सबसे बड़ा संगठन

K B Hedgewar Birth Anniversary: बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव थे के बी हेडगेवार, ऐसे खड़ा किया था दुनिया का सबसे बड़ा संगठन

Haqiqat Kya Hai
लेखक: आस्था शर्मा, टीम नेतानागरी

हर साल, हम 1 अप्रैल को क. ब. हेडगेवार की जयंती मनाते हैं। यह दिन उनके अद्भुत योगदानों और क्रांतिकारी नेतृत्व के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर है। क. ब. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1885 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। वे न केवल एक कुशल चिकित्सक थे, बल्कि एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे।

बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव

क. ब. हेडगेवार का जीवन बचपन से ही क्रांतिकारी सोच को दर्शाता है। उनका बचपन कई आंदोलनों से भरा था, जब उन्होंने स्वतंत्रता की दिशा में अपने कदम बढ़ाए। उन्होंने बचपन में ही इस बात को समझ लिया था कि भारतीय समाज में एकता और संगठन की आवश्यकता है। उनकी यह सोच उनके भविष्य के नेतृत्व की दिशा को निर्धारित करती है।

संघ की स्थापना का सफर

1930 में, क. ब. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना की। यह संगठन भारतीय समाज को एकजुट करने और देश की संस्कृति को पहचानने का एक अद्वितीय प्रयास था। उनका मानना था कि केवल एक संगठित समाज ही स्वतंत्रता की लड़ाई को सफल बना सकता है। उन्होंने अनुशासन, समर्पण, और सेवा को प्राथमिकता दी, जिससे संघ ने व्यापक लोकप्रियता हासिल की।

के बी हेडगेवार के विचार

हेडगेवार के विचारों में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का गहरा सम्मान था। उन्होंने हमेशा कहा कि "हमारी संस्कृति हमारी विशेषता है" और इसी से हम अपनी पहचान बना सकते हैं। उनका योगदान आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।

संघ का विकास और प्रभाव

आज RSS एक ऐसा संगठन बन चुका है, जो करोडों भारतीयों की आवाज सुनता है और उनके कल्याण के लिए कार्य करता है। क. ब. हेडगेवार के सिद्धांतों पर चलने वाला यह संगठन आज विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। उनके द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन आज भी समाज में एकता, कर्तव्य और संजीवनी का प्रतीक है।

निष्कर्ष

क. ब. हेडगेवार की सीखें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी पहले थीं। उनके विचारों और कार्यों से प्रेरणा लेकर हम समाज को और अधिक संगठित एवं सशक्त बना सकते हैं। उनकी जयंती पर, हम उन्हें न केवल याद करते हैं, बल्कि उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करने का प्रयास भी करते हैं।

आखिर में, हमें याद रखना चाहिए कि हेडगेवार का जीवन हमें यह सिखाता है कि परिवर्तन का आधार संगठन और सहयोग है। "Haqiqat Kya Hai?" इस सवाल का उत्तर हमें जीवन में उनके सिद्धांतों का पालन करके ही मिल सकता है।

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