शिक्षकों द्वारा गैर शैक्षणिक कार्यों का बहिष्कार: जानिए इसके पीछे के कारण
देहरादून: राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड, विगत माह से अपनी विभिन्न बहुप्रतीक्षित माँगो हेतु, चरणबद्ध आंदोलनरत है। प्रदेश के समस्त राजकीय शिक्षकों द्वारा छात्र-हित को सर्वोपरि मानते हुए शिक्षण कार्य को ही सर्वाधिक प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों का पूर्णतः बहिष्कार किया जा रहा है। राजकीय शिक्षक संघ जनपद शाखा […]

शिक्षकों द्वारा गैर शैक्षणिक कार्यों का बहिष्कार: जानिए इसके पीछे के कारण
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के राजकीय शिक्षकों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि वे केवल शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और सभी गैर शैक्षणिक जिम्मेदारियों का बहिष्कार कर रहे हैं। यह स्थिति प्रदेश भर में कई चर्चा का विषय बन चुकी है।
देहरादून: राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड ने पिछले महीने से अपनी बहु-प्रतीक्षित मांगों के लिए चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत की है। प्रदेश के सभी राजकीय शिक्षकों ने छात्र-हित को सर्वोपरि मानते हुए शिक्षण कार्य को अपनी प्राथमिकता बना लिया है और इसी के तहत वे सभी गैर शैक्षणिक कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं।
राजकीय शिक्षक संघ की उत्तरकाशी शाखा ने अपने प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर आज, 22 सितंबर 2025 को यज्ञ और हवन कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम प्रदेश के माननीय शिक्षामंत्री जी की बुद्धि-शुद्धि के लिए आयोजित किया गया था। खास बात यह है कि यह कार्यक्रम शारदीय नवरात्रि के पहले दिन माता आदिशक्ति एवं बाबा काशी विश्वनाथ जी के प्रांगण में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न जिलों से शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया।
शिक्षकों की मुख्य मांगें
उत्तराखंड के राजकीय शिक्षकों ने अपनी न्यायोचित मांगों की सूची प्रस्तुत की है, जो इस प्रकार हैं:
- सभी स्तरों पर शत-प्रतिशत पदोन्नति की जाए (एल.टी. से प्रवक्ता तथा एन.टी. – प्रवक्ता से प्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य पदों पर) ।
- प्रधानाचार्य पद पर सीमित विभागीय भर्ती परीक्षा को निरस्त किया जाए, जो शिक्षकों के अधिकारों और पदोन्नति पर कुठाराघात करती है।
- शिक्षकों के स्थानांतरण के लाभ के लिए वार्षिक स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू की जाए।
- अन्य 34 सूत्रीय मांगों पर विचार किया जाए, जिनके लिए सरकार को पहले ही पत्र भेजा जा चुका है।
आंदोलन के पीछे की वजह
राजकीय शिक्षक संघ का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र विचार नहीं किया गया, तो वे भविष्य में सड़कों पर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने बताया है कि 17 सितंबर 2025 को, भले ही भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति हो, लगभग 10 हजार से 12 हजार शिक्षक देहरादून में एकत्रित हुए थे। शिक्षकों ने उस समय अपनी आवाज उठाई और माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक सप्ताह के भीतर सभी न्यायोचित मांगों को हल करने का आश्वासन दिया।
हालाँकि, अभी तक कुछ भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यदि सरकार और शिक्षामंत्री जी इसी तरह की उदासीनता जारी रखते हैं, तो शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि 'यह केवल ट्रेलर है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है', जिसके लिए सरकार और विभाग को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
यज्ञ और हवन कार्यक्रम की खासियत
आज के यज्ञ और हवन कार्यक्रम में जनपद के जिलाध्यक्ष, जनपद मंत्री, औद्योगिक निरीक्षक सहित कई शिक्षक-शिक्षिकाएँ शामिल हुए। इस आयोजन ने केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि यह एक सामूहिक बेमिसाल शक्ति की प्रतीक के रूप में भी कार्य किया। सभी शिक्षकों ने इस एकजुटता को दिखाकर अपनी आवाज उठाई है।
राजकीय शिक्षक संघ ने फिर से सरकार से अपील की है कि वे उनकी सभी न्यायोचित मांगों को शीघ्रता से पूरा करें। यदि ऐसा नहीं होता है, तो आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है, जो कि राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती होगी।
अंत में, एक्टर्स द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। क्या शिक्षा के प्रति उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता पिछले समय की तरह ही रह पाएगी, या फिर शिक्षकों की आवाज को सुना जाएगा? यह सब देखना दिलचस्प होगा।
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सादर,
टीम हकीकत क्या है, स्वाति राठौर
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