उत्तराखंड हाईकोर्ट में सूर्यकांत धस्माना की अपील पर सुनवाई, रामपुर तिराहा कांड का अहम मोड़

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हुए बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तत्कालीन सपा नेता सूर्यकांत धस्माना की अपील पर सुनवाई की। यह मामला वर्ष 1994 में हुए गोलीकांड से संबंधित है, जिसमें एक आंदोलनकारी की मृत्यु हो गई थी और दो अन्य घायल … The post रामपुर तिराहा कांड मामले में हाइकोर्ट ने की सूर्यकांत धस्माना की अपील पर सुनवाई appeared first on Round The Watch.

Aug 2, 2025 - 18:39
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उत्तराखंड हाईकोर्ट में सूर्यकांत धस्माना की अपील पर सुनवाई, रामपुर तिराहा कांड का अहम मोड़
रामपुर तिराहा कांड मामले में हाइकोर्ट ने की सूर्यकांत धस्माना की अपील पर सुनवाई

उत्तराखंड हाईकोर्ट में सूर्यकांत धस्माना की अपील पर सुनवाई, रामपुर तिराहा कांड का अहम मोड़

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देहरादून: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान घटित बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सुनवाई उत्तराखंड हाईकोर्ट में की गई। इस मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तत्कालीन सपा नेता सूर्यकांत धस्माना ने अपील की है, जिसे अब सुनवाई के लिए रखा गया है। यह मामला वर्ष 1994 में हुई गोलीबारी का है, जिसमें एक आंदोलनकारी की मृत्यु हो गई थी जबकि दो अन्य घायल हुए थे। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने की।

रामपुर तिराहा कांड का इतिहास

2 अगस्त 1994 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा पर राज्य आंदोलनकारियों पर गोली चलने की घटना ने पूरे उत्तराखंड के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख दिया था। इस घटनाक्रम के तहत, 3 अक्टूबर 1994 को कई आंदोलनकारी देहरादून स्थित सूर्यकांत धस्माना के आवास पर एकत्र हुए। इसी दौरान हुई गोलीबारी में आंदोलनकारी राजेश रावत की जिंदगी चली गई और दो अन्य घायल हुए। इस घटना के बाद धस्माना समेत कई अन्य संदिग्धों के खिलाफ आधिकारिक रूप से मुकदमा दायर किया गया था।

कॉर्ट की कार्यवाही और महत्वपूर्ण निर्णय

मामला विशेष सीबीआई अदालत में चला, जहाँ साक्ष्यों के अभाव के चलते धस्माना को बरी कर दिया गया। इसके खिलाफ सीबीआई ने 2012 में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी, जो अब तक विचाराधीन है। हाल ही में, हाईकोर्ट ने मामले की पुनः सुनवाई करते हुए अगली तारीख 30 अगस्त 2023 निश्चित की है। इस दिन अदालत को यह निर्णय लेना है कि मामला किस दिशा में आगे बढ़ेगा।

आंदोलनकारियों के लिए सुनवाई का महत्व

यह सुनवाई न केवल धस्माना के लिए बल्कि पूरे आंदोलनकारी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। आंदोलनकारियों और उनके परिवारजन इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, यह उनके लिए न्याय की दिशा में एक संभावित कदम हो सकता है। यह मामला उत्तराखंड की न्यायिक व्यवस्था में अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक भी बनता है।

हमारी टिप्पणी

इस मामले में हम देख सकते हैं कि न्याय प्रणाली में शाखा और मुकदमे कितने महत्वपूर्ण होते हैं। लंबित मामलों का तनाव और आंदोलनकारियों पर इसका प्रभाव अत्यधिक होता है। यह जिम्मेदारी हमारी है कि हम न्याय प्रक्रिया को तेज बनाने और सभी पक्षों को उचित समय पर न्याय दिलाने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।

निष्कर्ष

रामपुर तिराहा कांड केवल एक व्यक्ति की अपील नहीं है; यह पूरे आंदोलन के संघर्ष का प्रतीक है। अब सभी की नजरें अगली सुनवाई पर हैं, जिसमें न्याय की प्रक्रिया की वास्तविकता सामने आएगी। यह मामला इस बात को भी दर्शाता है कि न्याय की प्रक्रिया लंबी होने पर भी अंततः सत्य की विजय होती है।

कम शब्दों में कहें तो, यह सुनवाई ना सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया है, बल्कि यह उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी साबित हो सकती है। न्याय का इंतजार कर रहे आंदोलनकारियों के लिए, यह सुनवाई एक नई आशा लेकर आई है। इसके परिणाम की प्रतीक्षा में, हम सभी की निगाहें 30 अगस्त को टिकी रहेंगी।

हम आपके लिए ले कर आए हैं इस घटना की हर महत्वपूर्ण जानकारी। अधिक अपडेट्स के लिए, यात्रा करें https://haqiqatkyahai.com पर।

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