उत्तराखंड में भूस्खलन: अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर पेड़ गिरने से यातायात ठप

सीएनई रिपोर्टर, सुयालबाड़ी उत्तराखंड के नैनीताल और अल्मोड़ा जिलों में पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जगह-जगह हो रहे भूस्खलन ने स्थिति को बेहद खतरनाक बना दिया है। खास तौर पर अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। क्वारब से लेकर खैरना तक कई स्थानों […] The post हाईवे पर भूस्खलन का कहर: पेड़ गिरा बाल-बाल बचे कांस्टेबल, आवाजाही ठप appeared first on Creative News Express | CNE News.

Sep 4, 2025 - 00:39
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उत्तराखंड में भूस्खलन: अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर पेड़ गिरने से यातायात ठप
उत्तराखंड में भूस्खलन: अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर पेड़ गिरने से यातायात ठप

उत्तराखंड में भूस्खलन: अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर पेड़ गिरने से यातायात ठप

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के नैनीताल और अल्मोड़ा जिलों में हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। भूस्खलनों की चपेट में आने से कई स्थानों पर आवाजाही ठप हो गई है। खासतौर पर अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।

भूस्खलन का कहर

सीएनई संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दिनों में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने नैनीताल और अल्मोड़ा क्षेत्र में भूस्खलनों की श्रृंखला को जन्म दिया है। यह स्थिति उन लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हो गई है जो अल्मोड़ा और हल्द्वानी के बीच यात्रा कर रहे हैं। खासकर, कुंवरब से खैरना तक कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण सड़कें बाधित हो गई हैं, जिससे यातायात पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

कांस्टेबल की बाल-बाल बची जान

इस दौरान एक दिल दहलाने वाला मंजर भी सामने आया है, जब एक कांस्टेबल पेड़ गिरने के एक दम पहले बच गया। यह घटना उस समय हुई जब वह अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए हाईवे पर उपस्थित थे। पेड़ के अचानक गिरने से उन्हें बड़ी ही मुश्किल से बचाया जा सका। यह घटना दर्शाती है कि भूस्खलन और इसके परिणाम कितने भयंकर हो सकते हैं।

क्षेत्रवासियों की चिंता

स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसे भूस्खलन के कारण न केवल उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी पर असर पड़ रहा है, बल्कि इन बरसात के दिनों में उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि सड़कों को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि आगे चलकर इस तरह की घटनाएं न हों।

प्रशासनिक प्रयास

वहीं, स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बचाव कार्य शुरु कर दिया है। कई स्थानों पर चर्चाएँ चल रही हैं कि किस प्रकार से इन भूस्खलनों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। राहत और बचाव टीमों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द यातायात को बहाल किया जा सके।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में भूस्खलन का यह खतरा न केवल यातायात के लिए बल्कि आम जनजीवन के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यदि प्रशासन समय पर उचित कदम नहीं उठाता है, तो आगे चलकर स्थिति और भी खराब हो सकती है।

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