उत्तराखंड पेयजल निगम में भ्रष्टाचार: एक गंभीर संकट
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड पेयजल निगम भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का अड्डा बनता जा रहा है। टेंडर में पैसे खाने, योजनाओं में वित्तीय अनियमितता समेत कई गड़बड़ियां उजागर हो चुकी हैं। साथ ही जल जीवन मिशन के कार्य भी केंद्र सरकार की आंखों में खटक रहे हैं। पेयजल निगम के कई अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। … The post घपले-घोटालों का अड्डा बनकर रह गया उत्तराखंड पेयजल निगम appeared first on Round The Watch.

उत्तराखंड पेयजल निगम में भ्रष्टाचार: एक गंभीर संकट
कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड पेयजल निगम अब भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का अड्डा बन चुका है, जहां टेंडर घोटाले और योजनाओं में वित्तीय अनियमितताएं आम बात बन गई हैं। इस स्थिति ने केंद्र सरकार का ध्यान भी आकर्षित किया है। विस्तृत जांच के कारण अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
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हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड पेयजल निगम आर्थिक गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हो चुका है। राजकुमार धीमान, देहरादून से मिली जानकारी के अनुसार, टेंडर प्रक्रियाओं में हेराफेरी, राज्यों की जल योजनाओं में वित्तीय अनियमितता और सरकारी योजनाओं में अव्यवस्था सहित कई गंभीर मुद्दे उजागर हो चुके हैं। जल जीवन मिशन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में भी कई आरोप केंद्र सरकार की निगाहों में खटक रहे हैं। पेयजल निगम के अधिकारियों द्वारा मनमानी की जाने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। पिछले कुछ वक्त में गंभीर आरोपों के चलते, राज्य सरकार ने अब एक सख्त दृष्टिकोण अपनाना शुरू कर दिया है। मुख्य अभियंता एसके विकास के खिलाफ मुख्यमंत्री स्तर की सतर्कता समिति ने विजिलेंस जांच की मंजूरी दे दी है। आरोप है कि उन्होंने अपने पत्नी के नाम पर टेंडर के बदले पैसे का ट्रांसफर किया है।
टेंडर के बदले पैसे: कई इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई
राज्य भर के विभिन्न जिलों जैसे गोपेश्वर, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल और पिथौरागढ़ में पेयजल योजनाओं के टेंडर आवंटन में अनियमितताओं की खबरें आ रही हैं। सरकारी योजनाओं के मामले में पारदर्शिता की घातक कमी और एक ही ठेकेदार को कई योजनाओं का ठेका देने के चलते अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत आए हैं।
विशेष रूप से संदिग्ध योजनाएं
विशेष रूप से टिहरी जिले की कफोलस्यूं, लक्ष्मीली ढुंगी की धार और प्रतापनगर पेयजल योजनाओं में कई इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जल जीवन मिशन के तहत 60 से अधिक योजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जा रही है।
पौड़ी जिले में टेंडर विवाद
पौड़ी जिले की 22 पेयजल योजनाओं में से 16 योजनाएं चार दिन में एक ही ठेकेदार को आवंटित की गईं। जब इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ, तो सभी टेंडर्स को रद्द कर दिया गया और नए सिरे से आवंटन प्रक्रिया शुरू की गई। यह सारी स्थिति अब ईडी के पास पहुंच गई है।
जाति प्रमाणपत्र विवाद
वर्ष 2012 की सहायक अभियंता भर्ती में एक अभ्यर्थी ने अलग-अलग समय पर यूपी बिजनौर और पौड़ी का जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया। यह मामला शासन को भेजा गया है, और न्याय विभाग की सलाह के बाद ही आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। इस बीच, जल निगम के सभी कार्यों पर रोक सुनिश्चित की गई है।
विभागीय सख्ती और पारदर्शिता की दिशा में कदम
पेयजल सचिव शैलेश बगौली ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के प्रति कोई सहिष्णुता नहीं होगी। विजिलेंस रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, अन्य लंबित मामलों में भी यदि रिपोर्ट अंतिम चरण में पहुंचती है, तो शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
इन सभी घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि वर्षों से पेयजल निगम में हो रहे टेंडर फर्जीवाड़े, नियुक्तियों में धांधली और नियमों का उल्लंघन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का संकल्प सुनिश्चित रूप से एक सच्चाई की ओर बढ़ रहा है। यह एक नई शुरुआत है, जो अंततः उत्तराखंड के नागरिकों के लिए बेहतर जल आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।
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हम, टीम Haqiqat Kya Hai, आपको इन घटनाओं पर लगातार ध्यान रखने का आश्वासन देते हैं और आपके लिए नई सूचना लाने के प्रयास करते रहेंगे।
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