'वो' जो बनी इमरान और आसिम मुनीर के भिड़ने की वजह, अब हो जाएगा राजनीति का The End, जिया उल हक का चेला न कर दे जुल्फिकार जैसी हालत

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना प्रमुख असीम मुनीर पर एक नया हमला किया है। शहबाज शरीफ की सरकार ने हाल ही में आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया है। देश के इतिहास में यह दूसरा ऐसा खिताब है। इमरान खान और आसिम मुनीर की प्रतिद्वंद्विता सालों पुरानी है, लेकिन अब, जेल से भी इमरान  खान मुनीर के अधिकार को चुनौती देना जारी रखे हुए हैं। पाकिस्तान में मुनीर के प्रमोशन के बाद सेना की तरफ से उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में पेश किया जा रहा है। वहीं आलोचक इसे राजनीतिक नाटक बता रहे हैं।  पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जनरल आसिम मुनीर पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की जगह राजा का खिताब लेना चाहिए था क्योंकि देश में इस वक्त जंगल का कानून चल रहा है। जेल में बंद इमरान खान ने एक्स पर लिखा माशाअल्लाह, जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया है। हालांकि स्पष्ट रूप से, उन्हें 'राजा' की उपाधि देना अधिक उपयुक्त होता, क्योंकि अभी देश में जंगल कानून लागू है। जंगल में केवल एक राजा होता है। वैसे आपको बता दें कि फील्ड मार्शल का पद प्रतिकात्मक होता है। इसे भी पढ़ें: DGMO के अलावा भारत-पाक के बीच कोई बातचीत नहीं, कांग्रेस के आरोपों को जयशंकर ने नकाराइमरान और आसिम मुनीर के भिड़ने की वजह बुशरा बीबीइमरान खान और जनरल आसिम मुनीर की अदालत की सालों पुरानी है। इमरान जब पाकिस्तान के वजीर ए आजम हुआ करते थे। वहीं आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) का चार्ज साल 2018 में संभाला था। आईएसआई पाकिस्तान की सबसे बड़ी इंटेलीजेंस सेवा है। इसी दौर में दोनों के बीच अदालत की कहानी की शुरुआत हुई थी। बताया जाता है कि अक्टूबर 2018 में आसिम मुनीर को आईएसआई चीफ बनाया जाता है। लेकिन केवल आठ महीने बाद ही उन्हें पद से हटा दिया जाता है। वो सबसे छोटे कार्यकाल के लिए आईएसआई चीफ रहे हैं। उस वक्त इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबीं को मुनीर के हटाए जाने की वजह बताया गया था। मीडिया रिपोर्ट बताते हैं कि जनरल मुनीर ने आईएसआई चीफ रहते हुए इमरान खान के घर की ही जासूसी शुरू कर दी थी। एकदिन तो वो बुशरा बीबी के खिलाफ एक डोजियर लेकर सीधे इमरान खान के पास पहुंच गए थे। मुनीर ने इमरान से कहा कि बुशरा बीबी को पाकिस्तान के बिजनेसमैन रियाज मलिक ने हीरों का हार तोहफे में दिया है।  प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते उन्हें ये हार नहीं लेना चाहिए। ये सारी बातें सुनकर इमरान खान को लगा मुनीर उनके खिलाफ कोई प्लानिंग कर रहे हैं। इसके कुछ समय बाद ही इमरान खान ने जनरल मुनीर को ISI चीफ पद से हटाने का आदेश दिया था।इसे भी पढ़ें: Operation Sindoor: भारत समृद्धि के लिख रहा नए आयाम , पाक आतंक के अड्डे तैयार करने में लगाशहबाज ने मुनीर के लिए कानून में किया बदलावबाद में नाटकीय घटनाक्रम में 11 अप्रैल 2022 को शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। जनरल कमर जावेद बाजवा रिटायर होने वाले थे। शहबाज ने मौके की नजाकत का फायदा उठाया और इमरान के पुराने दुश्मन आसिम मुनीर को नया सेना अध्यक्ष बना दिया। इसमें दिलचस्प बात ये थी कि जावेद बाजवा के रिटायर होने से 4 दिन पहले जनरल मुनीर रिटायर होने वाले थे, लेकिन शाहबाज ने कानून में बदलाव कर कार्यकाल बढ़ाकर उन्हें सेनाध्यक्ष बना दिया। 9 मई 2023 का दिन पाकिस्तान कभी भूल नहीं सकता। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने लाहौर में PM आवास पर हमला बोल दिया था। इसके अलावा सेना कमांडरों के आवास और दफ्तर पर भी हमला हुआ। रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर पेट्रोल बम दागे गए। इस हिंसक प्रदर्शन में 8 लोगों की मौत हुई थी।जिया उल हक को मानते हैं आदर्श मुनीर जनरल जिया-उल-हक को भी अपना आदर्श मानते हैं - एक और व्यक्ति जो पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंककर और जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी देकर तानाशाह बन गया था। सूत्रों ने कहा कि यह घटनाक्रम शरीफ के नेतृत्व वाली नागरिक सरकार पर पाकिस्तानी सेना के बढ़ते प्रभुत्व को दर्शाता है।  Stay updated with Latest International News in Hindi on Prabhasakshi     

May 26, 2025 - 18:39
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'वो' जो बनी इमरान और आसिम मुनीर के भिड़ने की वजह, अब हो जाएगा  राजनीति का The End, जिया उल हक का चेला न कर दे जुल्फिकार जैसी हालत
'वो' जो बनी इमरान और आसिम मुनीर के भिड़ने की वजह, अब हो जाएगा राजनीति का The End, जिया उल हक का चेला न कर दे जुल्फिकार जैसी हालत

वो' जो बनी इमरान और आसिम मुनीर के भिड़ने की वजह, अब हो जाएगा राजनीति का The End, जिया उल हक का चेला न कर दे जुल्फिकार जैसी हालत

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इस समय पाकिस्तान की राजनीति में तीव्र हलचल मची हुई है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता चर्चा का विषय बनी हुई है। ताज़ा घटनाक्रम के अनुसार, इमरान खान ने जनरल मुनीर पर हमला करते हुए कहा है कि उन्हें फील्ड मार्शल का पद देने की बजाय 'राजा' की उपाधि दी जानी चाहिए थी। यह बयान खान के जेल में रहते हुए भी अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ आलोचना करने की अनूठी शैली का परिचायक है। इस लेख में हम इन दोनों नेताओं के बीच की जटिलताओं को समझने का प्रयास करेंगे।

इमरान और मुनीर के बीच की प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत

इमरान खान और जनरल आसिम मुनीर की प्रतिद्वंद्विता की कहानी लगभग पांच साल पुरानी है। जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे, तब आसिम मुनीर ने ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) का नेतृत्व संभाला था। मुनीर को अक्टूबर 2018 में आईएसआई का चीफ बनाया गया था, लेकिन वे केवल आठ महीनों के लिए इस पद पर रह सके। इस दौरे में बुशरा बीबी के कारण उनकी पदावनति का किवदंती भी बनी। कहा जाता है कि उन्होंने इमरान के खिलाफ डोजियर तैयार किया था, जिससे इमरान को लगा कि मुनीर उनके खिलाफ कोई साजिश कर रहे हैं।

हालिया घटनाक्रम और राजनीतिक नाटक

हाल ही में, शहबाज शरीफ की सरकार ने जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा है, जो देश के इतिहास में मात्र दूसरी बार हुआ है। इस प्रमोशन के साथ ही सेना ने उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में पेश किया है। हालांकि इमरान खान इसे राजनीतिक नाटक करार देते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस वक्त पाकिस्तान में 'जंगल का कानून' लागू है, और यह उनके लिए एक उपयुक्त स्थिति है।

इमरान खान के समर्थन में विरोध और प्रदर्शन

इमरान खान के समर्थकों ने 9 मई 2023 को लाहौर में पीएम आवास पर हमला कर दिया, जो पाकिस्तान में एक बेहद हिंसक घटना थी। इस हमले में कई लोग घायल हुए और कुछ की जान भी गई। इससे यह दिखता है कि इमरान खान की राजनीतिक पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई है, भले ही वह जेल में हों।

जिया उल हक का प्रभाव और भविष्य की दिशा

इसके अलावा, जनरल मुनीर की विचारधारा भी चिंता का विषय है। बताया जाता है कि वे जिया-उल-हक को अपना आदर्श मानते हैं, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दी। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उनका नारा और उनका दृष्टिकोण पाकिस्तान की नागरिक सरकार पर सैनिकों के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट करता है।

इसी प्रकार की घटनाएँ पाकिस्तान की राजनीति में गहरे बदलाव का संकेत देती हैं। क्या इमरान खान और जनरल मुनीर की यह प्रतिद्वंद्विता पाकिस्तान की राजनीति के अंत का संकेत दे रही है? इसे समझने के लिए सभी को सजग रहना होगा।

गहरा राजनीतिक बैकड्रॉप और दोनों नेताओं की रणनीतियाँ आगे क्या मोड़ लेंगी, यह देखना दिलचस्प होगा। पाकिस्तान को इस समय एक स्थिरता की आवश्यकता है, और आगे क्या होगा, यह सभी की नजरें देखी जाएंगी।

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