मुस्लिम ब्रदरहुड भी नहीं आया काम, कश्मीर पर पलट गया अजरबैजान, पाकिस्तान को लगा झटका
पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा है। कश्मीर के मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए ये बड़ी हार भी है। पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ कश्मीर का प्रोपोगैंडा पूरी दुनिया में फैलाता जा रहा है। लेकिन जिस तरह से भारत ने पाकिस्तान की 6 से 10 मई के दरमियान दवाई की है। उसके बाद अब कई देश चुप्पी साधे बैठे हैं। हालांकि इनमें से कुछ भारत के दुश्मन और कुछ दोस्त भी हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत से पिटाई के बाद भागे भागे पहले तुर्की पहुंचे। तुर्की के बाद वो ईरान जाते हैं और फिर अजरबैजान पहुंचते हैं। तुर्की में वो भारत के लिए खिलाफ प्रोपोगैंडा करते हैं और एर्दोगन उसका समर्थन करते हैं। लेकिन जिस तरह कश्मीर के मामले को गर्मानी की कोशिश पाकिस्तान की तरफ से की जा रही थी वो ईरान पहुंचते पहुंचते ही ध्वस्त हो जाता है। इसे भी पढ़ें: Jyoti Malhotra: पाकिस्तानी दोस्त हैं ISI एजेंट, लैपटॉप जांच में क्या नया खुलासा हुआपाकिस्तान के प्रधानमंत्री जैसे ही कश्मीर के मामले को उठाते हैं तो फिर आतंक के मुद्दे पर ईरान के राष्ट्रपति पेजिस्कियान उन्हें घेर लेते हैें। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के सामने ही वो कहते हैं कि हमारा और आपका बॉर्डर पर जिस तरह का मतभेद है। जिस तरह से आतंकी गतिविधियां हो रही हैं। जो विवाद है उसे जल्द से जल्द निपटाना चाहिए और आतंकी गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। ईरान ने कश्मीर पर कोई कमेंट नहीं किया। उसके बाद शहबाज शरीफ अजरबैजान पहुंचते हैं। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव भारत विरोधी माने जाते हैं। भारत के खिलाफ लगातार वो बयान देते रहे हैं। इसे भी पढ़ें: पूर्व पाक सेना मेजर ने खोल दी पोल, आसिम मुनीर ने बनाया पहलगाम अटैक का प्लान, ISI ने किया सर्विलांसइल्हाम अलीयेव पाकिस्तान का समर्थन करते हैं और तुर्की के साथ खुद को खड़ा करते हैं। यानी पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान तीनों ही मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम पर एक दूसरे के साथ खड़े हैं। लेकिन पाकिस्तान की पिटाई के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति भी चुप्पी साधे बैठे हैं। कश्मीर पर कोई बयान नहीं देते हैं। अजरबैजान और पाकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों के बीच जब मीटिंग होती है तो इसमें कश्मीर का जिक्र कहीं नहीं आता है। इसे भी पढ़ें: कर्नल सोफिया मामले में मंत्री विजय शाह को सुप्रीम राहत, अब हाई कोर्ट में नहीं होगी सुनवाईपाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी में विविधता लाने के लिए अपने देशों की साझा प्रतिबद्धता दोहराई। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। लाचिन में अपनी बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की और पाकिस्तान एवं अजरबैजान के बीच बढ़ते राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि दोनों देश हर मौके पर एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे। Stay updated with Latest International News in Hindi on Prabhasakshi

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Title: मुस्लिम ब्रदरहुड भी नहीं आया काम, कश्मीर पर पलट गया अजरबैजान, पाकिस्तान को लगा झटका
Written by: Neha Sharma, Priya Verma, and Suman Gupta
Team haqiqatkyahai
पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा है। कश्मीर के मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए ये बड़ी हार भी है। पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ कश्मीर का प्रोपोगैंडा पूरी दुनिया में फैलाता जा रहा है। लेकिन जिस तरह से भारत ने पाकिस्तान की 6 से 10 मई के दरमियान दबाव बनाया है, उसके बाद अब कई देश चुप्पी साधे बैठे हैं। इनमें से कुछ भारत के दुश्मन और कुछ दोस्त भी हैं।
पाकिस्तानी पीएम की विदेश यात्रा और कश्मीर मुद्दा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, शहबाज शरीफ, भारत की पिटाई के बाद भागते-भागते पहले तुर्की पहुंचे। तुर्की में, उन्होंने भारत के खिलाफ प्रोपोगैंडा करने की कोशिश की, जिसमें तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का समर्थन भी मिला। परंतु जैसे ही वे ईरान पहुंचे, उनकी रणनीति ध्वस्त हो गई। ईरान के राष्ट्रपति पेजिस्कियान ने कश्मीर पर उठाए गए मुद्दे पर उनका घेराव करते हुए कहा कि उनके देश का और पाकिस्तान का बॉर्डर विवाद समाधान की आवश्यकता है।
ईरान ने कश्मीर पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता घट रही है। बाद में, शहबाज शरीफ अजरबैजान गए, जहां उन्हें उम्मीद थी कि कश्मीर का मुद्दा प्राथमिकता में रहेगा।
अजरबैजान का चुप्पी साधना
अजरबैजान के राष्ट्रपति, इल्हाम अलीयेव, भारत के खिलाफ निरंतर बोलते रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि, हाल ही में पाकिस्तान और अजरबैजान के राष्ट्र प्रमुखों के बीच हुई बैठकों में कश्मीर के मुद्दे का कहीं ज़िक्र नहीं हुआ। यह बताया गया कि अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया, परंतु कश्मीर पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी करने से भी खुद को कतराते हुए चुप्पी साधी।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान, मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम पर एक दूसरे के साथ खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन अजरबैजान के राष्ट्रपति की चुप्पी यह दर्शाती है कि इन देशों के बीच विचारधारा में भी भिन्नताएँ हैं।
भविष्य की पहल
दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी में विविधता लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। लेकिन कश्मीर के संदर्भ में, पाकिस्तान के दावे और समर्थन की कमी कुछ संकेत देने वाली है। क्या यह स्थिति पाकिस्तान के लिए दीर्घकालिक खराबी का संकेत है? इस प्रश्न का उत्तर भविष्य में ही स्पष्ट होगा।
निष्कर्ष
इन घटनाक्रमों के आलोक में, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में अपनी स्थिति को मजबूत करने में कठिनाइयाँ आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके मित्र भी अब उसका समर्थन करते नहीं दिखाई दे रहे हैं। ज्ञात रहे कि, पाकिस्तान की रणनीतियाँ अब सवाल उठाने लगी हैं। इसे समझने के लिए जरूरी होगा कि सभी पक्ष खुद को एक नयी दृष्टिकोण से देखें।
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