Sheikh Hasina की वापसी के लिए मोहम्मद यूनुस ने लगाया पूरा जोर, रेड कॉर्नर नोटिस के साथ ही चल दी बड़ी चाल
बांग्लादेश में होते विरोध प्रदर्शनों के बीच 5 अगस्त, 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश छोड़ना पड़ा। इस विरोध प्रदर्श ने अवामी लीग (एएल) की 16 साल की सरकार को उखाड़ फेंका और शेख हसीना को भारत में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा। पूरे घटनाक्रम के लगभग आठ महीने बाद, बांग्लादेश पुलिस ने इंटरपोल को एक अनुरोध प्रस्तुत किया है, जिसमें उनके और 11 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने की मांग की गई है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें और अधिक परेशानी बढ़ सकती है। शेख हसीना के अलावा 11 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की जा रही है। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने की साजिश रची और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे। इसे भी पढ़ें: बांग्लादेश में हिंदू नेता को अगवा कर मारा, भड़का भारत, यूनुस सरकार को लगाई फटकारढाका ट्रिब्यून ने देश के पुलिस मुख्यालय में सहायक महानिरीक्षक (मीडिया) इनामुल हक सागर के हवाले से इसकी पुष्टि की है। हक ने बताया कि बांग्लादेश पुलिस के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीवी) ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि ये आवेदन उन आरोपों के संबंध में दायर किया गया है, जो जांच के दौरान या जारी मामले की कार्रवाई में सामने आए हैं। यह नोटिस बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों और सैन्य और नागरिक अधिकारियों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने के बाद आया है। इसके बाद पिछले नवंबर में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर पुलिस मुख्यालय से शेख हसीना और भगोड़े माने जाने वाले अन्य लोगों को गिरफ्तार करने में इंटरपोल की मदद लेने को कहा था।इसे भी पढ़ें: भारत के साथ बांग्लादेश ने शुरू की बड़ी 'जंग', दौड़े रूस के 3 जहाजबांग्लादेश शेख हसीना के प्रत्यर्पण की लगातार कर रहा मांगपिछले अगस्त में बांग्लादेश से बाहर निकलने के बाद से, हसीना के खिलाफ सामूहिक हत्या और भ्रष्टाचार सहित 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, तथा बांग्लादेशी प्रशासन चाहता है कि वे इन मामलों में मुकदमा चलाने के लिए देश में उपस्थित रहें। हालांकि, भारत में शरण लेने वाली हसीना नई दिल्ली लौटने से इनकार कर रही हैं, तथा उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने के कोई संकेत भी नहीं दिख रहे हैं। पिछले दिसंबर के अंत में, ढाका ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध करने के लिए भारत को सभी आवश्यक दस्तावेज भेजे थे। लेकिन नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने संयमित रुख बनाए रखा है, तथा बार-बार पूछताछ के बावजूद, प्राप्ति की प्रारंभिक पावती से आगे कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है।हसीना की पार्टी के लोग सड़कों पर हसीना की पार्टी ने रविवार सुबह खुलना शहर में एक जुलूस निकाला। अवामी लीग के समर्थक ऐसे समय में सड़क पर उतरे जब अंतरिम सरकार ने ऐसे प्रदर्शनों पर रोक लगाने के सख्त आदेश दिए थे। सरकार गिरने के बाद से इस क्षेत्र में अवामी लीग का यह पहला बड़ा प्रदर्शन था। प्रदर्शनकारियों ने जिस बैनर को थामा था, उसमें बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान और शेख हसीना की तस्वीरें प्रमुखता से प्रदर्शित थीं।

Sheikh Hasina की वापसी के लिए मोहम्मद यूनुस ने लगाया पूरा जोर, रेड कॉर्नर नोटिस के साथ ही चल दी बड़ी चाल
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: सिमा शर्मा, टीम नेटनागरी
बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है जहाँ मोहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी के लिए जोरदार प्रयास शुरू कर दिए हैं। हाल ही में रेड कॉर्नर नोटिस ने इस घटनाक्रम को और भी ध्यानाकर्षक बना दिया है। इस लेख में हम इस तथाकथित "बड़ी चाल" के पीछे की पूरी कहानी को जानेंगे।
क्या है रेड कॉर्नर नोटिस?
रेड कॉर्नर नोटिस एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी सिग्नल है जो इंटरपोल द्वारा जारी किया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी देश में कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए भाग जाता है। मोहम्मद यूनुस के मामले में, यह नोटिस एक ऐसे समय में जारी किया गया है जब बांग्लादेश की राजनीतिक बवंडर में शेख हसीना का नाम फिर से उभरा है।
यूनुस का मंसूबा: हसीना की वापसी
मोहम्मद यूनुस, जो एक प्रमुख बांग्लादेशी अर्थशास्त्री और सामाजिक उद्यमी हैं, ने हसीना की वापसी पर जोर दिया है। उनका मानना है कि हसीना का नेतृत्व बांग्लादेश के विकास के लिए आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने कई प्रयास किए हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जन जागरूकता फैलाना और राजनीतिक सहयोग के लिए संपर्क साधना शामिल है।
बांग्लादेश की राजनीति में मौजूदा हालात
बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल काफी जटिल है। हसीना के नेतृत्व में हुए विकास कार्यों की प्रशंसा तो होती है, लेकिन उनकी आलोचना भी कुछ कम नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि यूनुस की कोशिशें असल में हसीना को समर्थन देने के बजाय व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए हो रही हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में बांग्लादेश की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं।
उम्मीदें और संभावनाएँ
स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि क्या मोहम्मद यूनुस की कोशिशें वास्तव में हसीना की वापसी को संभव बना पाएंगी। कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम बांग्लादेश की जनता के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया ला सकता है यदि सही तरीके से किया जाए। इस समय हर दृष्टिकोण से बदलाव आवश्यक है।
समापन
बांग्लादेश की राजनीति में यह परिवर्तन निश्चित ही महत्वपूर्ण है। मोहम्मद यूनुस की पहल से यह उम्मीद बंधी है कि देश में जल्द ही कुछ स्थिरता आ सकती है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या यह रेड कॉर्नर नोटिस और यूनुस की कोशिशें बांग्लादेश की राजनीति में कुछ नया ला पाएंगी।
इस प्रकार, बांग्लादेश की राजनीति में चल रही हलचलों पर नजर बनाए रखना आवश्यक है। क्योंकि यहां हर छोटे निर्णय का बड़ा असर हो सकता है। फिर से कहें तो, "Haqiqat Kya Hai," यह जानने के लिए हमें आगे की घटनाओं का इंतज़ार करना होगा।
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