तू मुझको चौंकाया कर बिना बुलाए आया कर …
साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या संपन्न। विकास अग्रवाल काशीपुर (महानाद) : रविवार को साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. यशपाल सिंह रावत पथिक ने की तथा संचालन मुनेश कुमार शर्मा ने किया, मुख्य अतिथि रमेश त्रिपाठी राजा रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र का अनावरण, […]

तू मुझको चौंकाया कर बिना बुलाए आया कर …
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साहित्य की दुनिया में एक विशेष शाम हर महीने होती है जब कवि अपनी कविताएँ साझा करते हैं और अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करते हैं। हाल ही में, रविवार को, साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन किया गया, जिसने उपस्थित सभी लोगों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की विशेषताएँ
काशीपुर में आयोजित इस काव्य संध्या की अध्यक्षता डॉ. यशपाल सिंह रावत पथिक ने की, जबकि कार्यक्रम का संचालन मुनेश कुमार शर्मा ने किया। मुख्य अतिथि, रमेश त्रिपाठी राजा, ने इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जो साहित्य की देवी के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक था।
कवियों की प्रस्तुतियाँ
इस अवसर पर कई कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिन्होंने सभी का मन मोह लिया। कवि जितेंद्र कुमार कटियार ने जीवन की नश्वरता पर एक गहन कविता प्रस्तुत की। तो वहीं, कवि कैलाश चंद्र यादव की रचना ने बारिश के मौसम में प्रेम की खूबसूरती का चित्रण किया। अद्भुत कविताओं का क्रम जारी रहा।
कवि सुभाष चंद्र अग्रवाल सी.ए. ने अपनी भावनाओं को शब्दों में बांधा, जबकि डॉ. पुनीता कुशवाहा ने मित्रता और फुर्सत के पल को याद किया। दर्शकों में उत्साह का माहौल तब और बढ़ गया जब कवि प्रदोष मिश्रा ने अपनी प्रसिद्ध पंक्ति "तू मुझको चौंकाया कर बिना बुलाए आया कर" प्रस्तुत की। ये पंक्तियाँ दर्शकों के दिलों में गूंज गईं।
श्रोताओं की प्रतिक्रियाएँ
कविता की इस शाम में उपस्थित दर्शकों का कहना था कि ऐसे कार्यक्रम समाज को जोड़ने और साहित्य को सरहाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। श्रोताओं ने कवियों की रचनाओं में अपनी भावनाओं का अक्स देखा और अलौकिक प्रतिभा का आनंद लिया।
काव्य संध्या का महत्व
इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रम न केवल कलाकृतियों को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी के लेखकों और कवियों को भी प्रोत्साहित करते हैं। यह सांस्कृतिक धरोहर की समृद्धि और साहित्य के प्रति प्रेम बढ़ाने का एक प्रयास है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, साहित्य दर्पण की काव्य संध्या ने सभी उपस्थित लोगों को एकत्रित किया और उन्हें साहित्य की खूबसूरती से जोड़ा। ऐसे कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक धरोहर की अमिट छाप छोड़ते हैं और साहित्य प्रेमियों को नई प्रेरणा देते हैं। इस शाम ने यह सिद्ध कर दिया कि साहित्य के प्रति सच्चा प्रेम हमेशा जीवित रहेगा।
अंत में, हम सभी को इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं जिससे हम अपने संस्कृति और साहित्य को और मजबूत बना सकें। For more updates, visit haqiqatkyahai.com
लेखिका: दीप्ति मेहरा, प्रीति चौधरी, साक्षी सिन्हा
टीम haqiqatkyahai
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