तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा, पाकिस्तान-तुर्की और अजरबैजान, शहबाज भारत के खिलाफ बना रहे कोई नया प्लान?

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्की और अजरबैजान के साथ त्रिपक्षीय बैठक के लिए अजरबैजान के लाचिन पहुंचे हैं। यह बैठक भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को इन देशों द्वारा दिए गए समर्थन के बाद हुई है। तुर्की ने कथित तौर पर ऑपरेशन के दौरान ड्रोन और ऑपरेटरों सहित सैन्य सहायता प्रदान की थी। त्रिपक्षीय बैठक में सैन्य और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। इससे पहले शहबाज शरीफ ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने का संकल्प दोहराया। यह जानकारी सोमवार को मीडिया ने दी। एर्दोआन के साथ अपनी बैठक में शरीफ ने संयुक्त उद्यमों और द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने की वकालत की तथा नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, रक्षा उत्पादन, बुनियादी ढांचे के विकास और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों को आपसी हित के संभावित क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया।इसे भी पढ़ें: Pakistan Army का पोस्ट छोड़कर भागने वाला Video आपने देखा? शहबाज की सेना कैसे बनी रणछोड़दासपाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर, आतंकवाद, जल और व्यापार सहित सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत के साथ शांति वार्ता करने की इच्छा व्यक्त की। शरीफ ने यह टिप्पणी ईरान की राजधानी तेहरान में की। प्रधानमंत्री तुर्किये से ईरान की राजधानी पहुंचे, जहां राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सादाबाद पैलेस में उनका स्वागत किया। शरीफ को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया और उन्होंने राष्ट्रपति पेजेशकियन के साथ बातचीत की। पेजेशकियन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि वह शांति के लिए भारत के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम कश्मीर मुद्दे और जल मुद्दे सहित सभी विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहते हैं और व्यापार तथा आतंकवाद-रोधी मुद्दों पर भी अपने पड़ोसी के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान के आतंकवाद को कुचलकर खत्म कर देंगे... निशिकांत दुबे ने PAK को चेतायाउन्होंने साथ ही चेतावनी दी कि अगर भारत ने युद्ध का रास्ता चुना तो इसका जवाब दिया जाएगा। शहबाज शरीफ ने कहा, लेकिन अगर वे आक्रामक बने रहना चुनते हैं तो हम अपने क्षेत्र की रक्षा करेंगे। जैसा कि हमने कुछ दिन पहले किया है। लेकिन अगर वे शांति के मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं तो हम दिखा देंगे कि हम गंभीरता से और ईमानदारी से वास्तव में शांति चाहते हैं। भारत ने स्पष्ट कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा। 

May 28, 2025 - 00:39
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तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा, पाकिस्तान-तुर्की और अजरबैजान, शहबाज भारत के खिलाफ बना रहे कोई नया प्लान?
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तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा, पाकिस्तान-तुर्की और अजरबैजान, शहबाज भारत के खिलाफ बना रहे कोई नया प्लान?

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्की और अजरबैजान के साथ त्रिपक्षीय बैठक के लिए अजरबैजान के लाचिन पहुंचे हैं। यह बैठक भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को इन देशों द्वारा दिए गए समर्थन के बाद हुई है। तुर्की ने कथित तौर पर ऑपरेशन के दौरान ड्रोन और ऑपरेटरों सहित सैन्य सहायता प्रदान की थी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सैन्य और रक्षा सहयोग को बढ़ाना है, जिससे भविष्य की योजनाओं को और मजबूती मिलेगी।

शहबाज शरीफ की तुर्की यात्रा और उसके मायने

इससे पहले, शहबाज शरीफ ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए संकल्प लिया। इस संबंध में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, और रक्षा उत्पादन को शामिल किया गया है। यह बैठक न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक संबंधों को भी मजबूत करने का संदेश देती है।

भारत के साथ शांति वार्ता की कोशिश

शहबाज शरीफ ने भारत के साथ शांति वार्ता करने की इच्छा भी व्यक्त की है, जिसमें कश्मीर, आतंकवाद और जल मुद्दे शामिल हैं। वह ईरान में किए गए अपने पूर्व बयानों में कहते हैं कि वह भारत के साथ सभी विवादों का समाधान करना चाहते हैं। कुरआन से प्रभावित होकर, उन्होंने आश्वासन दिया है कि यदि भारत युद्ध का रास्ता चुनता है, तो इसका जवाब दिया जाएगा।

क्या यह मिलन तिकड़म है?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह त्रिपक्षीय बैठक केवल सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक नीति का हिस्सा भी हो सकती है। पाकिस्तान के रणनीतिक साझेदारों तुर्की और अजरबैजान के साथ मिलकर एक साझा मंच बनाने की कोशिश की जा रही है। जिससे न केवल सैन्य सहायता प्राप्त हो, बल्कि आर्थिक संबंधों को भी बढ़ावा मिले। यह स्थिति भारत के लिए एक चेतावनी है क्योंकि उसे अपने चाहने वालों का ध्यान रखना होगा।

निष्कर्ष

यह साफ है कि पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान का यह नया गठबंधन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सैन्य और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने की दिशा में उठाए गए कदमों से जाहिर होता है कि यहाँ दीर्घकालिक रणनीतियाँ चल रही हैं। भारत को इस मामले में अपनी नीति और कूटनीति पर सोच-समझकर फैसले करने होंगे, क्योंकि सुरक्षा की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है।

इस स्थिति पर नजर रखने के लिए, हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप हमारे अन्य लेखों को पढ़ें: haqiqatkyahai.com पर जाएं।

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