Jawaharlal Nehru Death Anniversary: लोकतंत्र के सबसे बड़े मार्गदर्शक थे जवाहर लाल नेहरू, ऐसा रहा सियासी सफर
देश की आजादी में प्रयागराज की काफी अहम भूमिका रही। क्योंकि आजादी से पहले और बाद में इस शहर ने कई महापुरुषों और शीर्ष राजनेताओं को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। नेहरू ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी। आज ही के दिन यानी की 27 मई को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षाउत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 14 नवंबर 1889 को पंडित नेहरू का जन्म हुआ था। इनका बचपन भी प्रयागराज में बीता और यहां से उन्होंने शुरूआती शिक्षा प्राप्त की। फिर उन्होंने इंग्लैंड में हैरो स्कूल और कॉलेज की शिक्षा लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से पूरी की। इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री प्राप्त की। साल 1912 में वह भारत वापस आ गए और वकालत शुरू की।इसे भी पढ़ें: Vilasrao Deshmukh Birth Anniversary: विलासराव देशमुख ने पंचायत से की थी अपने सियासी सफर की शुरूआत, दो बार बने थे CMमहात्मा गांधी से हुए प्रभावितबता दें कि साल 1917 में पंडित नेहरू होम रूल लीग में शामिल हुए और साल 1919 में वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस दौरान महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। ऐसे में नेहरू भी गांधी जी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन की ओर आकर्षित हुए। फिर पंडित नेहरू ने गांधी जी के उपदेशों की तरह अपने परिवार को भी उसी तरह से ढाल लिया था।दरअसल, जवाहर लाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने अपनी महंगी संपत्ति और वेस्टर्न ड्रेस को त्याग दिया था। वह खाली का कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे। वहीं 1920-1922 में पंडित नेहरू ने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और पहली बार गिरफ्तार हुए। लेकिन कुछ महीनों बाद वह रिहा हो गए। फिर साल 1924 में वह इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष बने और इस शहर के मुख्य कार्यकारी के रूप में उन्होंने दो सालों तक सेवा की।वहीं 1927 में पंडित नेहरू ने मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की 10वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लिया। फिर साल 1928 में साइमन कमीशन के दौरान लखनऊ में पंडित नेहरू पर लाठीचार्ज किया गया था। वहीं 29 अगस्त 1928 को जवाहर लाल नेहरू ने सर्वदलीय कांग्रेस में भाग लिया और भारतीय संवैधानिक सुधार पर नेहरू रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए। साल 1928 में नेहरू ने इंडिया इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की और इसके महासचिव बनें। इसके बाद साल 1929 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष बने।देश के पहले प्रधानमंत्रीदेश की स्वतंत्रता में अहम योगदान देने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू 15 अगस्त 1947 से लेकर 27 मई 1964 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। बता दें कि इससे पहले वह 02 सितंबर 1946 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक वह देश की अंतरिम सरकार के मुखिया थे।मृत्युवहीं 27 मई 1964 की दोपहर में 74 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया।

Jawaharlal Nehru Death Anniversary: लोकतंत्र के सबसे बड़े मार्गदर्शक थे जवाहर लाल नेहरू, ऐसा रहा सियासी सफर
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देश की आजादी में प्रयागराज की काफी अहम भूमिका रही है। आजादी से पहले और बाद में इस शहर ने कई महापुरुषों और शीर्ष राजनेताओं को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। नेहरू ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी। आज ही के दिन यानी की 27 मई को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 14 नवंबर 1889 को पंडित नेहरू का जन्म हुआ था। इनका बचपन भी प्रयागराज में बीता और यहां से उन्होंने शुरूआती शिक्षा प्राप्त की। फिर उन्होंने इंग्लैंड में हैरो स्कूल और कॉलेज की शिक्षा लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से पूरी की। इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री प्राप्त की। साल 1912 में वह भारत वापस आ गए और वकालत शुरू की।
महात्मा गांधी से हुए प्रभावित
बता दें कि साल 1917 में पंडित नेहरू होम रूल लीग में शामिल हुए और साल 1919 में वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस दौरान महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। उस समय नेहरू भी गांधी जी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन की ओर आकर्षित हुए। पंडित नेहरू ने गांधी जी के उपदेशों की तरह अपने परिवार को भी उसी तरह से प्रभावित किया।
जवाहर लाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने अपनी महंगी संपत्ति और वेस्टर्न ड्रेस को त्याग दिया था। वह खाली का कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे। वहीं 1920-1922 में पंडित नेहरू ने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और पहली बार गिरफ्तार हुए। लेकिन कुछ महीनों बाद वह रिहा हो गए। फिर साल 1924 में वह इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष बने और इस शहर के मुख्य कार्यकारी के रूप में उन्होंने दो सालों तक सेवा की।
नेहरू का सियासी सफर
वहीं 1927 में पंडित नेहरू ने मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की 10वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लिया। फिर साल 1928 में साइमन कमीशन के दौरान लखनऊ में पंडित नेहरू पर लाठीचार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को जवाहर लाल नेहरू ने सर्वदलीय कांग्रेस में भाग लिया और भारतीय संवैधानिक सुधार पर नेहरू रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए। साल 1928 में नेहरू ने इंडिया इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की और इसके महासचिव बने। इसके बाद, साल 1929 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष बने।
देश के पहले प्रधानमंत्री
देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान देने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू 15 अगस्त 1947 से लेकर 27 मई 1964 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। बता दें कि इससे पहले वह 02 सितंबर 1946 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक वह देश की अंतरिम सरकार के मुखिया थे। उनकी नीतियों ने भारत के विकास की दिशा को मजबूती दी एवं क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए संबंध स्थापित किए।
मृत्यु
वहीं 27 मई 1964 की दोपहर में 74 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया। उनका योगदान और मार्गदर्शन आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। नेहरू ने जिन मूल्यों को जीवित रखा, वे आज भी भारतीय लोकतंत्र के स्तंभ हैं।
इस लेख की संक्षेप में कहें तो पंडित नेहरू एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारत के लोकतंत्र को आकार दिया और उसे दृढ़ता प्रदान की। उनके विचार, देशभक्ति और मानवता के प्रति उनकी निष्ठा हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।
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