Suchitra Sen Birth Anniversary: अपने उसूलों की खातिर ठुकरा दिया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, ऐसा था सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर

आज ही के दिन 06 अप्रैल को हिंदी सिनेमा की महानायिका का दर्जा पाने वाली एक्ट्रेस सुचित्रा सेन का जन्म हुआ था। सुचित्रा सेन ने बंगाली सिनेमा के साथ-साथ हिंदी सिनेमा में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी। लेकिन महज 48 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया था।हिंदी सिनेमा की महानायिका का दर्जा पाने वाली एक्ट्रेस सुचित्रा सेन का आज ही के दिन 06 अप्रैल को जन्म हुआ था। वह न सिर्फ एक शानदार एक्ट्रेस थीं, बल्कि वह बेइंतहा खूबसूरत भी थीं। बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार और विमल दा भी सुचित्रा सेन के फैन थे। सुचित्रा सेन ने बंगाली सिनेमा के साथ-साथ हिंदी सिनेमा में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी। लेकिन महज 48 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया था। भले ही अब अदाकारा इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी जिंदा हैं। एक्ट्रेस सुचित्रा सेन अपने अभिनय से ज्यादा अपने उसूलों के लिए जानी जाती थीं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सुचित्रा सेन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...इसे भी पढ़ें: करोड़ों प्रशंसकों के दिलों में हमेशा राज करते रहेंगे मनोज (भारत) कुमारजन्म और शिक्षाबांग्लादेश के पबना जिले में 06 अप्रैल 1931 में सुचित्रा सेन का जन्म हुआ था। उनका असली नाम रोमा दास गुप्ता था। उनके पिता का नाम करुणामय दासगुप्ता था, जोकि हेडमास्टर थे। वहीं उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई पबना से की थी। वहीं साल 1947 में महज 15 साल की उम्र में उनका विवाह बंगाल के जाने-माने उद्योगपति आदिनाथ सेन के बेटे दिबानाथ सेन से हुई थी। वहीं शादी के 5 साल बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री ले ली थी।उत्तम कुमार के साथ जमी जोड़ीसाल 1952 में सुचित्रा की बांग्ला फिल्म सारे चतुर रिलीज हुई। यह सुचित्रा की पहली फिल्म थी। एक समय ऐसा भी था जब उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी को बांग्ला सिनेमा की सबसे ज्यादा फेमस जोड़ी माना जाने लगा था। उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन ने एक से बढ़कर एक कई हिट फिल्में की। वहीं साल 1953 से 1978 तक एक्ट्रेस ने हिंदी और बांग्ला की कुल 61 फिल्मों में काम किया था। जिनमें से 30 फिल्में सिर्फ उत्तम कुमार के साथ थीं। वहीं साल 1978 में सुचित्रा सेन ने फिल्म इंडस्ट्री से संन्यास ले लिया था।ठुकरा दिया दादा साहब फाल्के पुरस्कार सुचित्रा सेन के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही ज्यादा स्वाभिमानी एक्ट्रेस थीं। वह अपनी निजी जिंदगी में बेहद उसूलों वाली थीं। बताया जाता है कि एक बार उन्होंने जो मन में ठान लिया उसको वह किसी भी हाल में करके रहती थीं। बता दें कि उन्होंने दादा साहेब फाल्के पुरस्कार ठुकरा दिया था। उन्होंने यह सम्मान लेने से सिर्फ इसलिए मना किया था, क्योंकि उनको यह सम्मान लेने के लिए कोलकाता से दिल्ली जाना पड़ता, जबकि उन्होंने पब्लिक के बीच न जाने का वादा किया था।मृत्युवहीं 17 जनवरी 2014 में 82 साल की उम्र में सुचित्रा सेन ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।

Apr 6, 2025 - 09:39
 129  48.7k
Suchitra Sen Birth Anniversary: अपने उसूलों की खातिर ठुकरा दिया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, ऐसा था सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर
Suchitra Sen Birth Anniversary: अपने उसूलों की खातिर ठुकरा दिया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, ऐसा था सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर

Suchitra Sen Birth Anniversary: अपने उसूलों की खातिर ठुकरा दिया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, ऐसा था सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर

Haqiqat Kya Hai

लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेतानागरी

परिचय

सुचित्रा सेन, भारतीय सिनेमा की एक अद्भुत अभिनेत्री, जिन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी फिल्मी यात्रा न सिर्फ उनके कार्य के लिए, बल्कि उनके उसूलों और सिद्धांतों के लिए भी जानी जाती है। आज, सुचित्रा सेन की जयंती पर, हम उनके जीवन और करियर की चर्चा करेंगे, जिसमें उन्होंने दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड को ठुकरा दिया था।

सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर

सुचित्रा सेन का जन्म 6 अप्रैल, 1931 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ। उनका करियर बंगाली सिनेमा से शुरू हुआ और जल्द ही वे हिंदी सिनेमा में भी दिखाई देने लगीं। उनकी पहली बड़ी फिल्म 'श्रीमान फाल्के' थी, जिसने उन्हें पहचान दिलाई। उन्होंने 'कोरका', 'भुवन शोम' और 'सात हॉस्पिटल' जैसी फिल्में कीं, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं।

दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड का विरोध

सुचित्रा सेन ने एक बार दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड को ठुकरा दिया था। यह अवॉर्ड भारत के सिनेमा में उनके योगदान को मान्यता देता है। बताया जाता है कि उन्होंने यह अवॉर्ड अपने उसूलों की खातिर ठुकराया था। वे सादगी की प्रतीक थीं और कभी भी लोकप्रियता के पीछे नहीं भागीं। उनका मानना था कि सच्ची पहचान काम से आती है, ना कि पुरस्कारों से।

उनकी छवि और विरासत

सुचित्रा सेन की अदाओं और उनकी आंखों में एक खास जादू था। उन्हें केवल एक अभिनेत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक विचारक के तौर पर भी याद किया जाएगा। उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई, जिससे वे न केवल एक अभिनेत्री बल्कि एक प्रेरणादायक महिला बन गईं। आज उनकी विरासत न केवल सिनेमा के क्षेत्र में, बल्कि महिलाओं के लिए प्रेरणा के रूप में भी जीवित है।

निष्कर्ष

सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर उनके अद्वितीय प्रतिभा, सिद्धांतो और आत्मसम्मान को दर्शाता है। उन्होंने हमेशा अपने मूल्य बनाए रखे और उसूलों के लिए खड़ी रहीं। आज उनकी जयंती पर, हमें उनसे सीख लेनी चाहिए कि सच्चा सम्मान आपके कार्यों में है।

इसके साथ ही, हमारे पाठकों से आग्रह है कि वे सुचित्रा सेन से जुड़ी और तथ्यों को जानने के लिए इस लिंक पर जाएं: haqiqatkyahai.com.

Keywords

Suchitra Sen, Birth Anniversary, Dadasaheb Phalke Award, Bengali Cinema, Bollywood, Film Journey, Indian Cinema, Actress, Legacy, Social Issues, Inspiration, Haqiqat Kya Hai.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow