Sheila Dixit Birth Anniversary: शीला दीक्षित ने ससुर से सीखे थे राजनीति के दांव-पेंच, 3 बार बनीं दिल्ली की सीएम

पंजाब की बेटी और यूपी की बहु कही जाने वाली शीला दीक्षित का 31 मार्च को जन्म हुआ था। शीला दीक्षित तीन बार दिल्ली की सत्ता संभाल चुकी थीं। वह कांग्रेस की दिग्गज नेताओं में शामिल थीं। शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर जितना ज्यादा शानदार रहा, उतनी ही उनकी निजी जिंदगी भी रोचक थी। शीला दीक्षित ने अपने ससुर से राजनीति के दांव-पेंच सीखे थे। कई राजनीतित उपलब्धियों को अपने नाम करने वाली शीला दीक्षित कांग्रेस नेताओं की टीम का एक बड़ा नाम बन गईं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर शीला दीक्षित के जीवन से जुड़े कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षापंजाब के कपूरथला में 31 मार्च 1938 को शीला दीक्षित का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली से पूरी की। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा कॉन्वेंट आफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पूरी की थी। फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से कला में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और फिर बाद में पीएचडी किया।इसे भी पढ़ें: Ram Manohar Lohia Birth Anniversary: समतामूलक समाजवादी समाज की स्थापना का सपना देखते थे राम मनोहर लोहियाप्रेम विवाहपूर्व राज्यपाल व केंद्रीय मंत्री रहे उमा शंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से शीला दीक्षित का प्रेम विवाह किया था। दरअसल, शीला और विनोद एक ही क्लास में पढ़ते थे। इस दौरान दोनों को प्यार हो गया था। लेकिन अंतरजातीय विवाह की अड़चन की वजह से ठंडी पड़ गई। कॉलेज के बाद विनोद प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की और शीला एक स्कूल में पढ़ाने लगी। इसी बीच विनोद ने अपने पिता से शीला को मिलवाया। उमाशंकर दीक्षित को शीला बहुत पसंद आईं। विनोद और शीला ने दो साल इंतजार किया और फिर परिवार की रजामंदी से शादी की।राजनीतिक सफरशादी के बाद शीला दीक्षित ने अपने ससुर के लिए काम करना शुरूकर दिया था। उस दौरान उमाशंकर दीक्षित इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री बने और शीला अपने ससुर की कानूनी सहायता किया करती थीं। जब इंदिरा गांधी को शीला दीक्षित के बारे में पता चला तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र कमिशन के दल के सदस्य के तौर पर शीला को नामित किया। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं का प्रतिनिधित्व करना था। यही से शीला दीक्षित के राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई थी। साल 1970 में शीला दीक्षित युवा महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं। फिर साल 1984 से 1989 वह कन्नौज सीट से लोकसभा सदस्य बनीं।उपलब्धियांशीला दीक्षित ने केंद्रीय मंत्री के पद पर भी काम किया। उन्होंने दो पीएमओ में राज्यमंत्री संसदीय कार्य मंत्रालय का कार्यभार संभाला। वहीं साल 1990 में शीला दीक्षित ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर आंदोलन किया। फिर साल 1998 में वह पहली बार दिल्ली की सीएम बनीं और लगातार 3 बार वह इस पद पर बनी रहीं। वहीं साल 2014 में शीला दीक्षित को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। लेकिन कुछ महीनों बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।मृत्युवहीं हृदय संबंधी रोगों के चलते 20 जुलाई 2019 को 81 साल की उम्र में शीला दीक्षित का निधन हो गया था।

Mar 31, 2025 - 13:39
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Sheila Dixit Birth Anniversary: शीला दीक्षित ने ससुर से सीखे थे राजनीति के दांव-पेंच, 3 बार बनीं दिल्ली की सीएम
Sheila Dixit Birth Anniversary: शीला दीक्षित ने ससुर से सीखे थे राजनीति के दांव-पेंच, 3 बार बनीं दिल्ली की सीएम

शीला दीक्षित की जयंती: ससुर से सीखे थे राजनीति के दांव-पेंच, 3 बार बनीं दिल्ली की सीएम

Haqiqat Kya Hai
लेखिका: अंजलि शर्मा, टीम नेतानगरि

शीला दीक्षित का नाम भारतीय राजनीति में एक गौरवपूर्ण अध्याय के रूप में जाना जाता है। वे 31 मार्च 1938 को माता-पिता की संतान के रूप में जन्मीं, और उनके राजनीतिक सफर ने उन्हें भारतीय National Congress पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका दिलाई। उनकी जयंती पर, हम उन्हें याद करते हैं और उनके द्वारा की गई कई उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

शीला दीक्षित का राजनीतिक जीवन उनके पति, कर्नल (सेवानिवृत्त) जगदीश दीक्षित की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ। उनके पति ने उन्हें ससुर की राजनीति के दांव-पेंच सिखाए, जिससे उनका राजनीतिक दृष्टिकोण विकसित हुआ। शीला ने 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार कार्य किया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में कई विकासात्मक योजनाओं का संचालन किया, जिसने आम जनता के जीवन में सुधार किया।

सीएम बनने के बाद की मुख्य उपलब्धियाँ

शीला दीक्षित की मुख्यमंत्री पद की कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण पहल की गई। उनका प्रमुख फोकस जल, बिजली और आवास जैसे मूलभूत सुविधाओं में सुधार पर रहा। उन्होंने दिल्ली में मेट्रो के निर्माण को बढ़ावा दिया, जिससे यातायात की समस्या को कम किया गया। साथ ही, महिला सशक्तिकरण के लिए लागू की गई योजनाएं भी आज के संदर्भ में प्रभावशाली मानी जाती हैं।

शीला दीक्षित का विचार और नेतृत्व

उनकी नेतृत्व शैली ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। उन्होंने हमेशा प्रगतिशील नीतियों को अपनाया और समाज के निचले वर्ग के लिए राहत योजनाओं का निर्माण किया। उनका मानना था कि लोक सेवा का असली मतलब लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना है।

राजनीति में महिलाओं का स्थान

शीला दीक्षित का जीवन महिला नेतृत्व के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं के अधिकारों और उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम और नीतियां बनाई। यह सच है कि उन्होंने राजनीति में महिलाओं की स्थिति को मजबूती दी और उनकी आवाज को बुलंद किया।

निष्कर्ष

शीला दीक्षित केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक सशक्त महिला हैं जिन्होंने भारत की राजनीति में नाम कमाया। उनकी जयंती पर हमें उनकी उपलब्धियों, उनके नेतृत्व और उनके द्वारा सिखाए गए सबक को याद करना चाहिए। वे एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी, और उनका योगदान सदैव अमिट रहेगा।

शीला दीक्षित की जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनकी विचारधाराएं हमें आज भी प्रेरित करती हैं। अधिक अपडेट के लिए, विजिट करें haqiqatkyahai.com।

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