Jaishankar ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से इतर यूक्रेनी समकक्ष से मुलाकात की
म्यूनिख । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से इतर अपने यूक्रेनी समकक्ष आंद्री सिबिहा से मुलाकात की और यूक्रेन में जारी संघर्ष के समाधान पर चर्चा की। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘आज एमएससी 2025 के मौके पर यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्री सिबिहा से मिलकर अच्छा लगा। यूक्रेन संघर्ष के समाधान की दिशा में जारी प्रयासों पर चर्चा हुई। हमारे द्विपक्षीय सहयोग को और आगे बढ़ाने के बारे में भी बात हुई।’’ जयशंकर म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 में भाग लेने के लिए यहां आए हैं और उन्होंने दुनिया भर से आए अनेक नेताओं से मुलाकात की।विदेश मंत्री ने ‘लिव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजीलियंस’ पर एक पैनल चर्चा में भाग लिया जिसमें नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, मिशिगन की सीनेटर एलिसा स्लोटकिन और वारसॉ के मेयर रफाल ट्रजास्कोवस्की भी थे। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘भारत को एक ऐसे लोकतंत्र के रूप में रेखांकित किया जो धरातल में दिखाई देता है। राजनीतिक निराशावाद से असहमति जताई। विदेशी हस्तक्षेप पर अपने विचार व्यक्त किए।’’उन्होंने सम्मेलन में एक अन्य कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया और ‘‘वैश्विक जुड़ाव, क्षेत्रीय रणनीति और प्रमुख द्विपक्षीय साझेदारियों पर भारत के विचार साझा किए।’’ विदेश मंत्री ने यहां बायर्न के प्रधानमंत्री मार्कस सोडर से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच अर्थव्यवस्था तथा प्रौद्योगिकी में सहयोग पर चर्चा की। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय हालात पर विचार साझा किए। भारत में उनका स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।’’ जयशंकर ने जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस से भी शुक्रवार को मुलाकात की और बैठक के दौरान द्विपक्षीय सहयोग एवं यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा की।

Jaishankar ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से इतर यूक्रेनी समकक्ष से मुलाकात की
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लेखकीय टीम: नीतू शर्मा, सुष्मिता वर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने यूक्रेनी समकक्ष से मुलाकात की। यह बैठक वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में विशेष महत्व रखती है, जिसमें दोनों देशों के बीच चल रहे रक्षा और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की गई। इस लेख में हम इस बैठक के प्रमुख बिंदुओं और उसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
मुलाकात का महत्व
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन, जो दुनियाभर के प्रमुख नेताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों का एक मंच है, ने इस बार भी जी20, नाटो और अन्य सुरक्षा साझा मंचों पर विचार-विमर्श का एक अवसर प्रदान किया। जयशंकर और यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा के बीच हुई मुलाकात खास तौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में हुई, जहां भारत ने हमेशा युद्ध के समाधान के लिए बातचीत का पक्ष लिया है।
बैठक के मुख्य बिंदु
जयशंकर ने कुलेबा को भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया कि भारत सभी देशों के साथ संतुलित और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों के साथ सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। दूसरी ओर, कुलेबा ने भारत को यूक्रेन के प्रति अपने समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भविष्य की संभावनाएँ
इस बैठक के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत और यूक्रेन के बीच भविष्य में कैसे सहयोग बढ़ता है। यूक्रेन के संकट को देखते हुए, भारत का शांति और स्थिरता के प्रति रुख ही इसे और महत्वपूर्ण बनाता है। इससे न सिर्फ भारत की विदेश नीति में संतुलन आएगा बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका भी मजबूत होगी।
निष्कर्ष
जयशंकर और कुलेबा की मुलाकात न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह यह भी दर्शाती है कि भारत एक मजबूत और स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने के लिए तैयार है। अब उम्मीद की जा रही है कि यह बातचीत दोनों देशों के बीच निकटता और विश्वास का एक नया अध्याय खोल सकेगी। इस प्रकार के संवादों से वैश्विक सुरक्षा संकट के समाधान की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
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