Bangladesh में हिंदुओं को Pohela Boishakh मनाने से रोका गया, Waqf Bill के विरोध में ढाका में कट्टरपंथी करेंगे बड़ा विरोध प्रदर्शन
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें तो रोजाना आती हैं लेकिन अब उन्हें अपने त्योहारों और पर्वों को भी मनाने से रोका जा रहा है। दूसरी ओर भारत की संसद से पारित वक्फ बिल को लेकर बांग्लादेशी कट्टरपंथियों ने बड़े विरोध प्रदर्शन की घोषणा भी की है जिसके चलते वहां के हिंदुओं के मन में डर बैठ गया है। जहां तक बांग्लादेशी हिंदुओं के विरोध में उठाये गये ताजा कदम की बात है तो आपको बता दें कि 47 वर्षों में पहली बार चटगाँव के डीसी हिल में बंगाली नववर्ष उत्सव को रद्द कर दिया गया। उत्सव के लिए हिंदुओं ने काफी दिनों से तैयारी की थी और एक भव्य समारोह आयोजित किया जाना था लेकिन उससे पहले ही अज्ञात लोगों ने पोइला बैशाख उत्सव मनाने के लिए लगाए गए बैनर, तोरण और साइड स्टेज को तोड़ दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि 30-40 लोगों का एक समूह कार्यक्रम स्थल की ओर मार्च करते हुए आया और नारे लगा रहा था कि "फासीवादियों के साथी, सावधान!" और "अवामी लीग के एजेंट, सावधान!" उसके बाद वहां तोड़फोड़ शुरू हो गयी। बाद में आयोजकों ने विरोध में सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसी तरह बांग्लादेश में कई जगह बंगाली हिंदुओं को उत्सव मनाने से रोका गया।शेख हसीना भड़कींउधर, ऐसे घटनाक्रमों की निंदा करते हुए बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि स्वतंत्रता विरोधी ताकतों ने अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा कर लिया है और वे देश की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। शेख हसीना ने बांग्लादेश की जनता से ऐसे अतिक्रमणकारियों को बाहर निकालने का आग्रह भी किया। शेख हसीना ने बंगाली नववर्ष- पोहेला बोइशाख के अवसर पर एक बयान में कहा, ''बांग्लादेश में मुक्ति-विरोधी ताकतों ने अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा कर लिया है। वे बंगाली संस्कृति को नष्ट करने की सक्रिय रूप से कोशिश कर रहे हैं।’’ शेख हसीना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अतीत में जब भी स्वतंत्रता विरोधी ताकतों ने सत्ता हासिल की, उन्होंने देश के इतिहास, विरासत और संस्कृति पर हमला किया। उन्होंने न केवल मंगल शोभायात्रा को रोकने की कोशिश की, बल्कि इसका नाम बदलने की भी कोशिश की।’’ भारत में रह रहीं शेख हसीना ने कहा कि जो लोग अब बांग्लादेश चला रहे हैं, वे “राष्ट्र के दुश्मन” और “हमारी संस्कृति के दुश्मन” हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आइए, हम मुक्ति-विरोधी और संस्कृति-विरोधी ताकतों को खदेड़ दें और वैश्विक मंच पर बांग्लादेश का सिर ऊंचा करें। बंगाली नववर्ष के इस शुभ अवसर पर, आइए, हम उन सभी चीजों को अस्वीकार करने का संकल्प लें जो अस्वस्थ, बदसूरत या विकृत संस्कृति का हिस्सा हैं- और इसके बजाय हम, एक स्वस्थ, सुंदर और रचनात्मक जीवन शैली को अपनाएं।''इसे भी पढ़ें: Bangladesh के अंतरिम सरकार का दिमाग घूम गया है? भारत के बाद इजरायल से ले रहा पंगाकट्टरपंथियों ने किया बड़ा ऐलानहम आपको यह भी बता दें कि बांग्लादेश की दक्षिणपंथी इस्लामिस्ट पार्टी खिलाफत मजलिस 23 अप्रैल को ढाका में भारतीय दूतावास की ओर एक सामूहिक मार्च और ज्ञापन लेकर भारतीय संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम को रद्द करने और पूरे भारत में मुसलमानों की लगातार हो रही कथित हत्याओं की जांच की मांग करेगी। रिपोर्ट के अनुसार, खिलाफत मजलिस के प्रमुख मौलाना मामुनुल हक ने घोषणा की कि भारत में मुसलमानों की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। मौलाना के भड़काऊ भाषण में यह भी कहा गया कि "मुसलमानों की निजी और वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण करके या अवैध रूप से कब्जा करके, वे वहां मंदिरों सहित विभिन्न संरचनाओं का निर्माण कर रहे हैं"। मौलाना मामुनुल हक ने कहा, "हिंदुत्ववादी भाजपा सरकार लंबे समय से पूरे भारत में मुसलमानों की हत्या कर रही है। उन्होंने पार्टी के चरमपंथी हिंदू आतंकवादियों को मुसलमानों पर छोड़ दिया है।" संबोधन में आगे दावा किया गया कि इन अतिक्रमणों और अधिग्रहणों को कानूनी ढांचा देने के लिए वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही इन कदमों पर अपना गुस्सा और निंदा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में मुसलमानों ने बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। मौलाना ने कहा कि यह बिल मूल रूप से मुसलमानों के धार्मिक कानूनों और अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। मौलाना ने कहा कि मुस्लिम दुनिया को भारत द्वारा मुसलमानों की हत्या और मुसलमानों के धार्मिक मामलों में उसके हस्तक्षेप के खिलाफ बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और उसका "निम्न-गुणवत्ता वाला मीडिया" लगातार दुनिया भर में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का झूठा प्रचार कर रहा है। इसके साथ ही खिलाफत मजलिस के नेताओं ने बांग्लादेश की सरकार से तुरंत अपनी चिंता व्यक्त करने और भारत में मुसलमानों की हत्या का विरोध करने का आह्वान किया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बैठक में पार्टी के महासचिव मौलाना जलालुद्दीन अहमद, वरिष्ठ नेता नायब अमीर मौलाना यूसुफ अशरफ, मौलाना रजाउल करीम जलाली, मौलाना अफजलुर रहमान और पूर्व विधायक मौलाना शाहीनुर पाशा चौधरी और मौलाना कुर्बान अली भी मौजूद थे। नरेंद्र मोदी सरकार के नए संशोधित वक्फ अधिनियम के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की घोषणा ढाका में पार्टी के मुख्यालय में आयोजित केंद्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में की गई।

Bangladesh में हिंदुओं को Pohela Boishakh मनाने से रोका गया, Waqf Bill के विरोध में ढाका में कट्टरपंथी करेंगे बड़ा विरोध प्रदर्शन
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: प्रियंका शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को हर वर्ष मनाए जाने वाले Pohela Boishakh, जो बांग्ला नववर्ष का प्रतीक है, मनाने से रोका गया। इसके साथ ही, ढाका में Waqf Bill के विरोध में कट्टरपंथियों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। यह घटनाएँ धार्मिक असहिष्णुता और संगठित विरोध की बढ़ती प्रवृत्ति का संकेत देती हैं।
Pohela Boishakh का महत्व
Pohela Boishakh, जो बांग्ला कैलेंडर का पहला माह है, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन लोगों के लिए एक नई शुरुआत, उत्सव और सांस्कृतिक मूल्य का प्रतीक है। हिंदू समुदाय हर वर्ष इसी दिन नए कपड़े पहनते हैं, अपने मित्रों और परिवार के साथ मिलकर समारोह मनाते हैं।
कट्टरपंथी विरोध प्रदर्शन का कारण
इस वर्ष, बांग्लादेश में हिंदुओं को Pohela Boishakh मनाने से प्रतिबंधित करने की घटनाएँ बढ़ गई हैं, जो कि धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाती हैं। Waqf Bill के संबंध में कट्टरपंथियों का विरोध, जो कि अल्लाह की जमीन के उपयोग को नियंत्रित करता है, इसे और भी उग्र बना दिया है।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन की उम्मीद
विरोध प्रदर्शन की योजना बांग्लादेश के कई हिस्सों में बनाई गई है, जिसमें कट्टरपंथी नेताओं ने नागरिकों को एकजुट होने का आह्वान किया है। हालाँकि, यह दृष्टिकोण चिंता का विषय है क्योंकि इससे सांप्रदायिक संघर्ष का खतरा बढ़ सकता है।
समाज में प्रतिक्रियाएँ
बांग्लादेश में कई संगठनों और आम लोगों ने इन घटनाओं की निंदा की है। हिंदू समुदाय के नेताओं ने सरकार से अपील की है कि वे धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करें और सभी समुदायों के बीच सामंजस्य बढ़ाने में सहायता करें।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रम न केवल हिंदू समुदाय के लिए, बल्कि समस्त समाज के लिए चिंता का विषय हैं। धार्मिक संस्थाओं के बीच बढ़ती असहमति और कट्टरता की प्रवृत्ति को रोकने के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से किया जाएगा।
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