Amrit Kaur Birth Anniversary: देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री थीं राजकुमारी अमृत कौर, गांधीजी से थे गहरे संबंध

आजादी से पहले एक जुझारू स्वतंत्रता सेनानी और देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री 02 फरवरी को राजकुमारी अमृत कौर का जन्म हुआ था। राजकुमारी अमृत कौर साल 1947 से लेकर 1957 तक इसका कार्यभार संभाला। स्‍वाधीनता और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में अमृता कौर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की पहली प्रेसीडेंट थीं। वह देश की पहली महिला कैबिनेट भी रही थीं। तो आइए जानते हैं उऩकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर राजकुमारी अमृत कौर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में... जन्म और शिक्षाउत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कपूरथला के शाही परिवार में 02 फरवरी 1889 को राजकुमारी अमृत कौर का जन्म हुआ था। उनके जन्म से पहले ही उनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। राजकुमारी अमृत कौर ने ब्रिटेन के डोरसेट में शेरबोर्न स्कूल पूरी की थी। फिर आगे की पढ़ाई उन्होंने लंदन और ऑक्सफोर्ड से पूरी की थी। शिक्षा के नूर ने राजकुमारी अमृत कौर के जेहन ने इस दुनिया को बेहतर तरीके से समझने और सही दिशा में आगे बढ़ने की समझ दी।इसे भी पढ़ें: Khushwant Singh Birth Anniversary: खुशवंत सिंह ने आखिरी पड़ाव तक नहीं छोड़ा लेखन कार्य, इन 3 चीजों से था बेहद लगावइंडियन रेड क्रास की संस्थापक साल 1950 तक राजकुमारी अमृत कौर जीवनपर्यंत इसकी अध्यक्ष रहीं। वह महिला अधिकारों की कट्टर समर्थक थीं। इसके अलावा साल 1926 में उन्होंने ऑल इंडिया महिला कांफ्रेंस की स्थापना की।कुप्रथाओं के खिलाफ खोला मोर्चाजब साल 1909 में अमृत कौर पंजाब में वापस अपने घर लौटीं, तो उन्होंने गुलामी की जंजीरों में जकड़े देश की कुप्रथाओं को रोकने के लिए उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बच्चों के अधिक मजबूत बनाने और अनुशासित बनाने के लिए अमृत कौर ने स्कूली बच्चों के लिए खेलों की शुरूआत करने पर जोर दिया। फिर बाद में उन्होंने नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना कर अपने इरादों को आकार देना शुरू किया।अमृत कौर ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा और देवदासी जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। स्वदेश लौटने के बाद वह महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थीं। साल 1919 में गांधी जी से मुलाकात के बाद राजकुमारी अमृत कौर पत्र लिखकर उनसे संवाद किया करती थीं।महात्मा गांधी की भी रहीं सचिवकुछ सालों के बाद 16 साल तक अमृता कौर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सचिव रही। वह गांधी जी के सबसे करीबी लोगों में शुमार रहीं। वह महात्मा गांधी की कट्टर समर्थक होने के साथ 'नमक आंदोलन' और 'भारत छोड़ो आंदोलन' में हिस्सा लिया। दोनों बार उनको गिरफ्तार कर लिया गया।भारत की आजादी के बाद राजकुमारी अमृत कौर को देश का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। वह 10 सालों तक इस पद पर रहीं। इस दौरान राजकुमारी अमृत कौर ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना के लिए जी तोड़ प्रयास किया। कई देशों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद वह देश की सेहत सुधारने का इंतजाम किया

Feb 2, 2025 - 12:39
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Amrit Kaur Birth Anniversary: देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री थीं राजकुमारी अमृत कौर, गांधीजी से थे गहरे संबंध
Amrit Kaur Birth Anniversary: देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री थीं राजकुमारी अमृत कौर, गांधीजी से थे गहरे संबंध

Amrit Kaur Birth Anniversary: देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री थीं राजकुमारी अमृत कौर, गांधीजी से थे गहरे संबंध

आज हम सुनहरी यादों के साथ मनाते हैं राजकुमारी अमृत कौर की जयंती। उन्हें न केवल देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री के रूप में जाना जाता है, बल्कि वे महात्मा गांधी की करीबी सहयोगी भी थीं। आइए, हम उनके जीवन और योगदान पर एक नज़र डालते हैं।

राजकुमारी अमृत कौर का प्रारंभिक जीवन

राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 अक्टूबर 1887 को पंजाब के एक राज परिवार में हुआ था। शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के बाद, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके परिवार की पृष्ठभूमि ने उन्हें नेतृत्त्‍व और समाज सेवा का मार्ग दिखाया।

स्वास्थ्य मंत्री के रूप में योगदान

1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, राजकुमारी अमृत कौर को भारत की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने विभिन्न स्वास्थ्य नीतियों की योजना बनाई और अमीर और गरीब के बीच चिकित्सा सेवाओं में समानता लाने का प्रयास किया। उनके प्रयास से कुपोषण, मातृ और शिशु मृत्युदर में कमी आई।

महात्मा गांधी से गहरा संबंध

राजकुमारी अमृत कौर और महात्मा गांधी के बीच का संबंध अत्यंत विश्वसनीय था। वह गांधीजी के सिद्धांतों को बहुत महत्व देती थीं और उनके साथ कई आंदोलनों में भाग लिया। गांधीजी की सोच ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया।

राजकुमारी अमृत कौर की विरासत

वे आज भी भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा बनी हुई हैं। उनके योगदानों और संघर्षों को याद करना आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके आदर्शों से सीख सकें। उन्होंने न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

निष्कर्ष

राजकुमारी अमृत कौर का जीवन हमारे लिए एक मिसाल है। उनके द्वारा किए गए कार्यों से भारत को एक नया दिशा मिली। इस जयंती पर हमें उनकी जीवन यात्रा को याद करना चाहिए और उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी प्रेरणा हमें इस बात का एहसास कराती है कि हम अपने देश के लिए कैसे योगदान कर सकते हैं।

हमें राजकुमारी अमृत कौर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए उनके प्रयासों और योगदानों का सम्मान करना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक युवा महिला भी सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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