Albert Einstein Death Anniversary: सामान्य बच्चों से अलग था अल्बर्ट आइंस्टीन का बचपन, फिर पूरी दुनिया ने माना लोहा
आज ही के दिन यानी की 18 अप्रैल को दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन हो गया था। हालांकि बचपन में आइंस्टीन की गिनती कमजोर बुद्धि वाले बच्चों में होती थी। लेकिन बाद में दुनिया उनके दिमाग का लोहा मानने लगी थी। तो वहीं एक समय ऐसा भी आया था, जब आइंस्टीन को स्कूल से निकाल दिया गया था। स्कूल से निकाले जाने के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी अपने जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।जन्म और शिक्षाजर्मनी में 14 अप्रैल 1879 को एक यहूदी इंजीनियर के घर पर अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था। जन्म के करीब 4 सालों तक उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला था। वहीं जन्म के समय उनका सिर सामान्य बच्चों की तुलना में काफी बड़ा था। स्कूल में पढ़ाई के दौरान आइंस्टीन की गिनती बेवकूफ बच्चों में होती थी। वह सिर्फ गणित और विज्ञान में पास होते थे और अन्य सभी सब्जेक्ट्स में फेल हो जाते थे।इसे भी पढ़ें: Tatya Tope Death Anniversary: अंग्रेजों से लोहा लेने वाले तात्या टोपे को दी गई थी फांसी की सजा, अंग्रेजों के छुड़ा दिए थे छक्केएक बार अल्बर्ट की अध्यापिका ने उनको एक पत्र दिया था और कहा कि यह पत्र अपनी मां को देना। अल्बर्ट ने अपनी मां को यह पत्र दिया और पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। तब अल्बर्ट ने पूछा कि इसमें क्या लिखा है, तो उनकी मां ने बताया कि पत्र में लिखा कि बच्चा पढ़ने में बहुत होशियार है और स्कूल में ऐसे टीचर नहीं है, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप अपने बच्चे का दूसरी जगह एडमिशन करा दें।जिसके बाद अल्बर्ट की मां ने उसका एडमिशन दूसरे स्कूल में करा दिया था। फिर अल्बर्ट में मन लगाकर पढ़ाई करना शुरूकर दिया। वह अपनी मेहनत के दम पर एक महान वैज्ञानिक बने और जब उनकी मां का निधन हो गया तो अल्बर्ट आइंस्टीन ने मां की अलमारी से वह पत्र निकालकर पढ़ा, जिसमें लिखा था कि आपका बेटा पढ़ाई में बहुत कमजोर है और जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ रही है, उसकी बुद्धि का विकास नहीं हो रहा है। इसलिए हम उसको अपने स्कूल से निकाल रहे हैं।अलबर्ट आइंस्टीन की मुख्य खोजेंबता दें कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक वैज्ञानिक के तौर पर कई खोज की थी। लेकिन अल्बर्ट को सबसे ज्यादा सापेक्षता के सिद्धांत के लिए जाना जाता है। उनके इस सिद्धांत ने दुनिया को देखने के तरीके में बहुत बदलाव किया। उन्होंने परमाणु बम और परमाणु ऊर्जा सहित कई आधुनिक अविष्कारों की नींव रखी। साल 1905 में आइंस्टीन की इस अवधारणा के साथ आए कि प्रकाश कणों से बना है। लेकिन इस अवधारणा से अधिकतर वैज्ञानिक सहमत नहीं थे। लेकिन बाद में हुए प्रयोगों ने इस मामलों को दिखाया। साल 1921 में अल्बर्ट आइंस्टीन को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Albert Einstein Death Anniversary: सामान्य बच्चों से अलग था अल्बर्ट आइंस्टीन का बचपन, फिर पूरी दुनिया ने माना लोहा
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: दीप्ति शर्मा, टीम नेतानागरी
परिचय
अल्बर्ट आइंस्टीन, एक नाम जिसे सुनते ही विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति का एहसास होता है। वे केवल एक महान वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक अद्वितीय इंसान भी थे, जिनका बचपन सामान्य बच्चों से काफी अलग था। आइंस्टीन की आज की पुण्यतिथि पर हम उनके बचपन और दृष्टिकोण को जानेंगे।
बचपन की अनोखी बातें
आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ था। उनके माता-पिता ने उन्हें एक सामान्य बच्चे के रूप में पाला, लेकिन आइंस्टीन के विचार और सोच हमेशा से अलग थे। जब अन्य बच्चे खेल-कूद में लगे रहते थे, उन्होंने अपने आस-पास की दुनिया को जानने की कोशिश की। उनकी जिज्ञासा ने उन्हें छोटे-छोटे सवालों में ही खुशी मिलती थी, जैसे कि "रात आसमान काला क्यों होता है?"
शिक्षा का सफर
इन्हीं सवालों के चलते आइंस्टीन का शिक्षा का सफर भी अद्वितीय रहा। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा में कठिनाइयों का सामना किया, हालांकि उनकी बुद्धिमत्ता को सभी ने पहचाना। अपनी उच्च शिक्षा के दौरान, आइंस्टीन ने भौतिकी और गणित में गहरी रुचि विकसित की। अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में, उन्होंने स्वतंत्र रूप से अध्ययन किया और इसके फलस्वरूप उन्हें दुनिया भर में पेंशन मिला।
महान वैज्ञानिक बनने की यात्रा
अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1905 में अपने 'विशिष्ट सापेक्षता के सिद्धांत' द्वारा वैश्विक ध्यान आकर्षित किया। उसके बाद, उनकी खोजों ने विज्ञान के कई क्षेत्रों में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। आइंस्टीन सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने विश्व शांति, मानवाधिकार और वैज्ञानिक स्वतंत्रता के लिए भी आवाज उठाई।
आइंस्टीन का प्रभाव
आइंस्टीन की खोजों ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा दी बल्कि समाज को भी प्रभावित किया। उनका जीवन यह संदेश देता है कि सामान्यता से हटकर कभी-कभी अलग सोच को अपनाना आवश्यक होता है। उनके विचार आज भी शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
निष्कर्ष
आइंस्टीन का जीवन एक प्रेरणा है जो हमें बताता है कि सामान्य से अलग सोचना और अपनी जिज्ञासा को पोषित करना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी पुण्यतिथि पर, आइए हम उनके जीवन और उनके अनोखे दृष्टिकोण को याद करें और इसे अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करें। जानने के लिए कड़ी मेहनत करें और एक नया दृष्टिकोण अपनाएं।
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