50 वर्षों में पहली बार, 6,700 से ज्यादा सिख पहुंचे पाकिस्तान

संस्कृति और लोककथाओं के उत्सव में बैसाखी मेला उत्सव में भाग लेने और खालसा पंथ का स्मरण करने के लिए 6,700 से अधिक सिख तीर्थयात्री गुरुवार को वाघा सीमा के माध्यम से भारत से पाकिस्तान पहुंचे। 50 वर्षों में यह पहली बार है कि पाकिस्तान सरकार ने भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को 6,751 वीज़ा जारी किए हैं। पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय और इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के विशेष अनुरोध पर 3,751 अतिरिक्त वीज़ा दिए हैं। आमतौर पर, पाकिस्तान-भारत धार्मिक प्रोटोकॉल समझौते 1974 के तहत किसी भी धार्मिक त्यौहार के लिए 3,000 सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने की अनुमति है। इसे भी पढ़ें: Guru Tegh Bahadur Birth Anniversary: गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए सर्वस्व कर दिया था बलिदान, जानिए रोचक बातेंखालसा की 326वीं स्थापना वर्षगांठबैसाखी का त्यौहार सिखों के नए साल का प्रतीक है और गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में खालसा पंथ (संत-योद्धाओं) के गठन की याद दिलाता है। मुख्य समारोह 14 अप्रैल को गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में आयोजित किया जाएगा। सिख तीर्थयात्रियों का स्वागत पाकिस्तान के अंतरधार्मिक सद्भाव राज्य मंत्री खेल दास कोहिस्तानी, पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष और पंजाब अल्पसंख्यक मंत्री सरदार रमेश सिंह अरोड़ा, ईटीपीबी सचिव फरीद इकबाल और अतिरिक्त सचिव सैफुल्लाह खोखर ने वाघा सीमा चेक पोस्ट पर किया।इसे भी पढ़ें: तहव्वुर को कैसे घसीट लाया भारत, मोदी के बयान ने हिलाया पाकिस्तान, ट्रंप भी दहाड़ेसिख नेताओं ने पाकिस्तान सरकार को धन्यवाद दियागुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नेता दलजीत सिंह सरना ने वाघा बॉर्डर पर पत्रकारों से बात करते हुए पहली बार इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को वीजा जारी करने के लिए पाकिस्तान सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि इसने सिख समुदाय का दिल जीत लिया है। बैसाखी के त्यौहार में भाग लेने के लिए पाकिस्तान पहुंचने वालों में अमृतसर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और 11 अन्य भारतीय राज्यों के लोग शामिल थे।

Apr 11, 2025 - 13:39
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50 वर्षों में पहली बार, 6,700 से ज्यादा सिख पहुंचे पाकिस्तान
50 वर्षों में पहली बार, 6,700 से ज्यादा सिख पहुंचे पाकिस्तान

50 वर्षों में पहली बार, 6,700 से ज्यादा सिख पहुंचे पाकिस्तान

Haqiqat Kya Hai

इस बार सिख समुदाय ने एक ऐतिहासिक यात्रा की है। लगभग 50 वर्षों में पहली बार, 6,700 से ज्यादा सिख श्रद्धालुओं ने पाकिस्तान की धरती पर कदम रखा है। यह यात्रा गुरु नानक की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी, जो न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों की ओर एक महत्वपूर्ण संकेत भी है।

धार्मिक यात्रा का महत्व

सिख श्रद्धालुओं की यह यात्रा “नानकशाही” कैलेंडर के अनुसार मनाए जाने वाले उत्सवों से जुड़ी हुई है। पाकिस्तान में सिखों के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में ननकाना साहिब, गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान, तालिंजोर और करतारपुर साहिब शामिल हैं। यह स्थल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा हैं।

संबंधों को मजबूत करने का अवसर

इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीदें जगी हैं। एक बड़े सिख समूह का पाकिस्तान पहुंचने से यह प्रतीत होता है कि दोनों देशों के बीच आपसी संवाद बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव का भी उदाहरण है। इस मौके पर दोनों देशों के मीडिया में भी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं।

यात्रा की चुनौतियाँ

हालांकि, इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का सामना कई चुनौतियों का भी करना पड़ा। सुरक्षा के दृष्टिकोण से कई पाबंदियां लागू की गई थीं। इसके अलावा, कोरोना महामारी के कारण सभी श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना पड़ा। इन सारी बाधाओं के बावजूद, सिख समुदाय के लोग अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाने के लिए तत्पर रहे।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया

विभिन्न सिख संगठनों और समुदायों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं इस यात्रा के दौरान देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे कदम बढ़ाने का सकारात्मक प्रयास माना, जबकि अन्य ने इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर सवाल उठाए।

निष्कर्ष

50 वर्षों बाद पाकिस्तान पहुंचे 6,700 से ज्यादा सिख श्रद्धालु न केवल धार्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि यह दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की एक नई किरण भी दिखाते हैं। आशा है कि इस यात्रा से एक नई शुरुआत होगी, जो न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर समझ और सहयोग की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगी।

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