Trump vs Harvard: ट्रंप से 'दो-दो हाथ' की तैयारी में हार्वर्ड, रोकी 2.2 बिलियन की फंडिंग तो यूनिवर्सिटी ने सरकार पर ही किया केस
हार्वर्ड ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है। ट्रम्प ने कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों को उनके परिसर में यहूदी विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त करने के आरोपों के कारण उनके बजट, कर-मुक्त स्थिति और विदेशी छात्रों के नामांकन को खतरे में डालने के लिए मजबूर करने की कोशिश की है, लेकिन हार्वर्ड ने झुकने से इनकार कर दिया है। अमेरिका की जिस टॉप यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन के झंडे लहराए गए थे। उसे ट्रंप ने सरकारी फंड देने से मना कर दिया है। ये यूनिवर्सिटी अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी हावर्ड है। जिसकी कैंपस में करीब डेढ़ साल पहले फिलिस्तीनी झंडे लहराए गए थे। हावर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों ने फिलिस्तीनी झंडा फहरा दिया था। जिस फिलिस्तीन पर इजरायल बमों की बारिश कर रहा है।इसे भी पढ़ें: यूक्रेन शांति समझौते पर ट्रंप ने अब क्या बड़ा यू-टर्न लिया, अमेरिका ने क्रीमिया को रूस का हिस्सा माना?18 अक्टूबर 1636 के दिन ये यूनिवर्सिटी बनी थी। इन 389 बरसों में अपने हार्ड वर्क से हावर्ड ने बहुत कुछ कमाया। पहला आर्गेन ट्रांसप्लांट यहीं के लोगों ने किया। जो ओआरएस आप पीते हैं, यहीं के एक शख्स ने बनाया। एमआरआई भी यहीं से शुरू हुई। लिस्ट बहुत लंबी है। लेकिन अमेरिका में नया निजाम आ चुका है जो देश को नए सिरे से ग्रेट बनाना चाहता है। ग्रेट बनाने के चक्कर में घर के बाहर तो अमेरिका की चाल ढाल बदल ही गई है। घर के अंदर भी अमेरिका की नई परिभाषा के मुताबिक ग्रेटनेस की मुहिम शुरू हुई है। इसे भी पढ़ें: ट्रंप की प्रतीक्षा, द्विपक्षीय क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा, ट्रेड डील पर भारत-अमेरिका में कैसे बन गई बात?हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा कि विश्वविद्यालय मांगों के आगे नहीं झुकेगा। कुछ ही घंटों बाद सरकार ने अरबों डॉलर की संघीय निधि पर रोक लगा दी। बोस्टन संघीय अदालत में दायर मुकदमे में कहा गया है कि सरकार ने यहूदी विरोधी चिंताओं और चिकित्सा, वैज्ञानिक, तकनीकी एवं अन्य शोध के बीच किसी भी तर्कसंगत संबंध की पहचान नहीं की है और न ही सरकार यह कर सकती है। इसमें आगे कहा गया है, सरकार ने ना ही इस बात को स्वीकार किया है कि संघीय अनुसंधान निधि में अरबों डॉलर की अनिश्चितकालीन रोक से हार्वर्ड के अनुसंधान कार्यक्रमों, उस अनुसंधान के लाभार्थियों और अमेरिकी नवाचार तथा प्रगति को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय हित पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

Trump vs Harvard: ट्रंप से 'दो-दो हाथ' की तैयारी में हार्वर्ड, रोकी 2.2 बिलियन की फंडिंग तो यूनिवर्सिटी ने सरकार पर ही किया केस
Haqiqat Kya Hai - यह लेख भारतीय महिला पत्रकारों की टीम नेतानगरि द्वारा लिखा गया है।
हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच एक गंभीर टकराव देखने को मिला है। ट्रंप प्रशासन द्वारा हार्वर्ड को दी जाने वाली 2.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग को रोकने के कदम ने इस संस्थान को सरकारी नीतियों के खिलाफ कोर्ट जाने के लिए मजबूर कर दिया। यह मामला न केवल अमेरिकी शिक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालयों और सरकार के बीच विवादों का एक रोचक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
फंडिंग की रोकटोक का कारण
ट्रंप प्रशासन ने यह निर्णय हार्वर्ड के शैक्षणिक दृष्टिकोण और कुछ नीतियों के मद्देनजर लिया है। प्रशासन का मानना है कि हार्वर्ड का पाठ्यक्रम और शोध कार्य अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ जा रहा है। इस वजह से, राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्वविद्यालय की फंडिंग पर रोक लगा दी है, जिसे हार्वर्ड ने अपनी शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए चुनौती दी है।
हार्वर्ड का कानूनी संघर्ष
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने अधिकारों की रक्षा में निर्णय लिया है कि वह मामले को अदालत में पेश करेगी। विश्वविद्यालय का कहना है कि फंडिंग का रोकना न केवल उनके भविष्य के विकास को प्रभावित करेगा, बल्कि यह शिक्षण और शोध की स्वतंत्रता को भी खतरे में डालता है। कानूनी लड़ाई में हार्वर्ड ने यह भी बताया है कि वे अपने छात्रों के फायदे के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
ट्रंप का दृष्टिकोण
डोनाल्ड ट्रंप ने हमेशा से अमेरिका में शिक्षा की दिशा को लेकर अपनी राय प्रकट की है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालयों को देशहित को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ्यक्रम विकसित करने चाहिए। इससे पहले, ट्रंप ने कई बार कहा है कि विश्वविद्यालयों को सरकार की सहायता का सही उपयोग करना चाहिए।
क्या यह मामला अन्य विश्वविद्यालयों पर प्रभाव डालेगा?
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, अन्य विश्वविद्यालय भी इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं। यदि हार्वर्ड की कानूनी लड़ाई सफल होती है, तो यह अन्य शिक्षण संस्थानों को भी सरकार के साथ संघर्ष करने के लिए प्रेरित कर सकता है। वहीं, अगर हार्वर्ड हार जाती है, तो यह शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चिंताजनक संकेत होगा।
निष्कर्ष
ट्रंप और हार्वर्ड के बीच चल रही यह कानूनी लड़ाई शिक्षा जगत के लिए महत्वपूर्ण है। यह न केवल शैक्षिक स्वतंत्रता का प्रश्न है, बल्कि यह अमेरिका में शिक्षा और राजनीति के साथ-साथ उनके अंतर्संबंधों का भी पर्दाफाश करती है। हम देखेंगे कि आने वाले समय में इस मामले में क्या नया होता है।
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