हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर हुई गहन चर्चा

स्लाइड शो एवम् व्याख्यान डॉ. मिराल की पुस्तक “गंगोत्री ग्लेशियर ऑफ हिमालया: पैराडाइज इन पेरिल” का अनावरण सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। रविवार को उत्तराखण्ड सेवा निधि परिसर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में प्रख्यात ट्रैकर एवं हिमालय के ग्लेशियर के शोध अध्येता डा.महेंद्र सिंह मिराल ने हिमालय के अद्भुत और बिहंगम दृश्यों के साथ-साथ वहां मौजूद पर्यावरणीय […] The post हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर हुई गहन चर्चा appeared first on Creative News Express | CNE News.

Jul 1, 2025 - 00:39
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हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर हुई गहन चर्चा
हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर हुई गहन चर्चा

हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर हुई गहन चर्चा

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लेखिका: सुमिता शर्मा, प्रिया खन्ना, टीम haqiqatkyahai

प्रस्तावना

उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में रविवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध ट्रैकर और हिमालय के ग्लेशियर पर शोध करने वाले डॉ. महेंद्र सिंह मिराल ने अपनी पुस्तक “गंगोत्री ग्लेशियर ऑफ हिमालया: पैराडाइज इन पेरिल” का अनावरण किया। इस अवसर पर हिमालय के अद्भुत दृश्यों के साथ-साथ वहां की पर्यावरणीय चुनौतियों पर गहन चर्चा हुई। इस कार्यक्रम ने हिमालय की सुंदरता और उसके पर्यावरणीय संकटों के बीच के संतुलन को उजागर किया।

स्लाइड शो और व्याख्यान का आयोजन

इस कार्यक्रम में डॉ. मिराल ने एक विस्तृत स्लाइड शो प्रस्तुत किया, जिसमें हिमालय के विभिन्न दृश्यों को प्रदर्शित किया गया। डॉ. मिराल ने उपस्थित जनसमुदाय को हिमालय की शीर्ष परस्थितियों तथा ग्लेशियरों में हो रहे परिवर्तन के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि “गंगोत्री ग्लेशियर” की स्थिति कितनी गंभीर होती जा रही है, जो जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम है।

पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा

जब हम हिमालय की बात करते हैं, तो इसकी खूबसूरती को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालाँकि, वहां की पारिस्थितिकी पर कई संकट मंडरा रहे हैं। डॉ. मिराल ने बताया कि बढ़ती जलवायु परिवर्तन की दर और अव्यवस्थित पर्यटन विकास हिमालय के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमें अपने अद्भुत पर्वतीय क्षेत्र की रक्षा के लिए एक सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।"

ग्लेशियरों का संरक्षण

कार्यक्रम में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने ग्लेशियरों के संरक्षण के उपायों पर जोर दिया। अनियोजित निर्माण और जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ का तेजी से पिघलना, न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे जल संसाधनों पर भी दबाव बढ़ रहा है। डॉ. मिराल ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि हम सभी को इस वृहद समस्या की गहराई को समझना चाहिए और इसे संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

निष्कर्ष

यह कार्यक्रम न केवल हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित करने वाला था, बल्कि यह पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक प्रयास था। पर्वतीय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। डॉ. मिराल की पुस्तक "गंगोत्री ग्लेशियर ऑफ हिमालया" का आर्थिक और समाजिक दृष्टिकोण से अध्ययन करना अतिआवश्यक है। इस प्रकार की चर्चा और जागरूकता अभियान भविष्य में और अधिक होने चाहिए।

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