सेना को अपनी संवैधानिक सीमाओं में लौटना चाहिए : इमरान खान
जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सेना की गैरकानूनी कार्रवाइयों और राजनीति में इसकी भागीदारी की आलोचना की। इमरान खान ने सेना से ‘‘अपनी संवैधानिक सीमाओं में लौटने’’ का आग्रह किया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक खान ने ‘एक्स’ पर साझा किए गए पत्र में जेल में दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है, जिसमें उन्हें 20 दिन तक मौत की सजा वाली कोठरी में एकांत कारावास में रखा गया, जहां सूर्य की रोशनी या बिजली की सुविधा भी नहीं थी। खान एक वर्ष से अधिक समय से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। यह पत्र उनके तीन फरवरी के पहले पत्र के बाद आया है, जिसमें उन्होंने सेना से राष्ट्रीय सुरक्षा और शासन के प्रति अपने दृष्टिकोण की समीक्षा करने का आग्रह किया था। पहले पत्र के बाद सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि यह पत्र सेना को प्राप्त नहीं हुआ है तथा उन्होंने इस बारे में मीडिया में आई खबरों को खारिज किया था।

सेना को अपनी संवैधानिक सीमाओं में लौटना चाहिए : इमरान खान
Haqiqat Kya Hai
नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर सेना को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सेना को अपनी संवैधानिक सीमाओं में लौटना चाहिए और राजनीति से दूर रहना चाहिए। इमरान खान का यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहरा हो गया है।
पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति
पाकिस्तान में पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। इमरान खान को पिछले साल सत्ता से हटा दिया गया था और तब से उन्होंने देश की शीर्ष नेतृत्व और सेना के बीच बढ़ते टकराव को लेकर कई बार अपनी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार में, इमरान ने सेना के अधिकारियों से यह अपील की कि वे संविधान का पालन करें और राजनीति से दूर रहें।
सेना की भूमिका पर इमरान का दृष्टिकोण
इमरान खान का मानना है कि सेना को राजनीतिक मामलों से दूर रहकर आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा, "सेना की भूमिका रक्षा तक सीमित होनी चाहिए। जब सेना राजनीति में शामिल होती है, तो यह देश के लिए हानिकारक होती है।" उनका यह बयान उस वक्त अहम बन जाता है जब पाकिस्तान में जानमाल की सांस्कृतिक और सामाजिक स्थितियों पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है।
आगे का रास्ता
इमरान खान का यह बयान उन लोगों के लिए संदेश है जो अभी भी यह मानते हैं कि सेना को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए। उनके अनुसार, संविधान का सम्मान महत्वपूर्ण है और उसी पर पाकिस्तान की प्रगति निर्भर करती है।
निष्कर्ष
इमरान खान का यह बयान निश्चित रूप से पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में एक बदलाव लाने की आशा करता है। यह उनके संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनका कहना है कि सेना को संविधान के दायरे में रहना चाहिए ताकि देश को सही दिशा में ले जाया जा सके।
यह न केवल पाकिस्तान के नागरिकों के लिए बल्कि पुरानी राजनीतिक व्यवस्थाओं के लिए भी एक सीख के रूप में सामने आता है। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तानी राजनीति में इस प्रकार के विचारों का स्वागत किया जाएगा।
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