बिग ब्रेकिंग: एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ का घोटाला, सीबीआइ ने पूर्व निदेशक व 2 सहयोगियों को पकड़ा
Rajkumar Dhiman, Dehradun: एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसर रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डॉ. राजेश पसरीचा और तत्कालीन स्टोर कीपर रूप सिंह पर सीबीआइ ने शिकंजा कसा है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलकर कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) … The post बिग ब्रेकिंग: एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ का घोटाला उजागर, पूर्व निदेशक और 02 सहयोगियों पर सीबीआइ का शिकंजा appeared first on Round The Watch.

बिग ब्रेकिंग: एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ का घोटाला, सीबीआइ ने पूर्व निदेशक व 2 सहयोगियों को पकड़ा
कम शब्दों में कहें तो: एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें पूर्व निदेशक और सहयोगियों पर सीबीआइ की कार्रवाई हुई है। यह घोटाला न केवल सरकारी धन की लूट का मामला है, बल्कि मरीजों की जान के साथ भी एक बड़ा खिलवाड़ है। Haqiqat Kya Hai पर अधिक जानकारी के लिए पढ़ें।
राजकुमार धीमान, देहरादून: एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ रुपये का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसर रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डॉ. राजेश पसरीचा और तत्कालीन स्टोर कीपर रूप सिंह का नाम शामिल है। सीबीआइ ने इन सभी पर शिकंजा कसा है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलकर कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) की स्थापना में करोड़ों की हेराफेरी की और मामले को छुपाने के लिए जरूरी फाइलें गायब कर दीं।
इस मामले में सीबीआइ की एंटी करप्शन टीम ने 26 मार्च 2025 को एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग पर छापा मारा। जांच में पाया गया कि 16 बिस्तरों वाले सीसीयू की स्थापना से जुड़ी निविदा फाइल लंबे समय से गायब थी। निरीक्षण के दौरान स्पष्ट हुआ कि सीसीयू अधूरा और गैर-कार्यात्मक हालत में था। कई उपकरण घटिया क्वालिटी के थे, जबकि कई पूरी तरह नदारद थे।
स्टॉक रजिस्टर में 200 वर्ग मीटर आयातित दीवार पैनल, 91 वर्ग मीटर आयातित छत पैनल, 10 मल्टी पैरा मॉनिटर और एयर प्यूरीफायर का उल्लेख था, लेकिन इनकी वास्तविक आपूर्ति नहीं हुई थी। इसके बावजूद आरोपियों ने ठेकेदार को 2.73 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। यह स्पष्ट है कि यह पूरा मामला संगठित साजिश का हिस्सा था, जिसमें एम्स अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर ठेकेदार कंपनी मेसर्स प्रो मेडिक डिवाइसेस को अनुचित लाभ पहुँचाया।
सीबीआइ ने इस प्रकरण में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 468 और 471 (जालसाजी और फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग) एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)(d) और 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यदि इन धाराओं के तहत आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोषियों को 7 से 10 वर्ष की कठोर सजा और जुर्माना हो सकता है।
इस घोटाले ने न केवल सरकारी धन की लूट को उजागर किया है, बल्कि मरीजों की जान के साथ भी खिलवाड़ किया है। जिस सीसीयू में गंभीर हृदय रोगियों का इलाज होना था, उसे अधूरा छोड़कर करोड़ों की बंदरबांट कर दी गई। एम्स की प्रतिष्ठा पर इस घोटाले ने गहरी चोट पहुंचाई है। अब देशभर की निगाहें सीबीआइ की आगे की जांच और अदालत की कार्रवाई पर टिकी हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं से ज्यादा घोटालों से जुड़ रहा एम्स ऋषिकेश का नाम
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश, जिसे उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के लिए उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का केंद्र माना जाता था, आज अधिकतर घोटालों के कारण चर्चा में है। इसकी नींव प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 2004 में रखी गई थी, और 2012 से मरीजों को यहां सेवाएं मिलनी शुरू हुईं। लेकिन हाल के वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धि से कहीं अधिक, एम्स का नाम विभिन्न करोड़ों के घोटालों के साथ जुड़ चुका है। सीबीआइ द्वारा अब तक तीन बड़े मामलों में मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
सबसे हालिया मामला 2.73 करोड़ रुपये के घोटाले का है, जिसमें डॉ. रविकांत, डॉ. राजेश पसरीचा और स्टोर कीपर रूप सिंह को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इन्होंने ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर सीसीयू की स्थापना में अनियमितताएं की और अधूरी सामग्री के लिए भुगतान किया। सीबीआइ ने इनके खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
इससे पहले, 2022 में एम्स ऋषिकेश में स्वीपिंग मशीन और केमिस्ट स्टोर के आवंटन में करीब 4.41 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ था। सीबीआइ की जांच में पाया गया कि निविदा प्रक्रिया से नियमों को नजरअंदाज कर एक अयोग्य कंपनी को टेंडर दिया गया और मूल्यवान मशीनें खरीदी गईं, जो केवल 124 घंटे तक ही चलीं। इस मामले में कई अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
इसके अलावा, अगस्त 2023 में सीबीआइ ने एम्स ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरणों की खरीद में 6.57 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मुकदमा दर्ज किया। जांच में पाया गया कि एम्स ने अत्यधिक कीमत पर उपकरण खरीदे, जबकि वे पहले से ही कम मूल्य पर उपलब्ध थे। यह भ्रष्टाचार की एक और गंभीर घटना है।
इन तीन मामलों के खुलासे ने दिखा दिया है कि एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के बजाय, भ्रष्टाचार अपनी जड़ों को गहरा कर चुका है। करोड़ों के घोटालों ने न केवल संस्थान की साख को धूमिल किया है, बल्कि उन मरीजों की उम्मीदों को भी नष्ट किया है, जो इस संस्थान का उद्देश्य थे। अब सवाल यह है कि इन मामलों में दोषियों को कब तक कठोर सजा मिलेगी और क्या कभी एम्स का नाम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ही याद किया जाएगा या घोटालों की काली छाया हमेशा के लिए हावी रहेगी।
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Team Haqiqat Kya Hai, प्रियंका कुमारी
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