ढूंढ़ कर कॉलेजों से निकालेंगे और डिपोर्ट करेंगे...हमास सपोर्टरों का ट्रंप ने किया भारी इंतजाम!
अमेरिका में अवैध प्रवासियों से निपटने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फुल एक्शन मोड में काम कर रहे हैं। मुहिम चलाकर अवैध प्रवासियों को अमेरिका से खदेड़ने की तैयारी पक्की है। अब इन सब के बीच में अवैध प्रवासियों को फिल्टर करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा दांव खेला है। ट्रंप ने ये तय किया है कि हमास को सपोर्ट करने वालों का वो वीजा रद्द कर देंगे। यानी गाजा-हमास भी अब ट्रंप की अवैध प्रवासियों वाली पॉलिसी की चपेट में आ गए हैं। हमास के समर्थकों पर गाज गिरने वाली है। ट्रंप ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार प्रवासी कॉलेज छात्रों और हमास समर्थकों को जल्द से जल्द अमेरिका से डिपोर्ट करने वाले हैं। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से जारी आदेश में न्याय विभाग को ये आदेश दिए गए हैं कि अमेरिका यहूदियों के खिलाफ आतंकी खतरों, तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा को लेकर तत्काल कदम उठाए। इस संबंध में फैक्ट शीट में ट्रंप ने कहा कि ऐसे सभी विदेशी छात्र जिन्होंने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शनों में हिस्सा लिया उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। हम आपको ढूढ़ कर निकालेंगे और डिपोर्ट करेंगे। इसे भी पढ़ें: Trump ने डराया, पीएम मोदी की वो बात देरी से समझ में आई? सबकुछ लुटा कर नेतन्याहू को 471 दिन बाद क्यों होश आयाट्रंप ने कहा कि मैं कॉलेज कैंपेस में उन सभी हमास समर्थक स्टूडेंट का वीजा तत्काल प्रभाव से कैंसल करूंगा। ट्रंप ने कहा कि जिहादी समर्थक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले सभी निवासियों को हमने नोटिस दिया है। 2025 आएगा तो हम तुम्हें ढूंढ लेंगे और हम तुम्हे वापस भेज देंगे। मैं कॉलेज कैंपस में हमास से सहानभूति रखने वाले सभी छात्रों के वीजा को तुरंत रद्द कर दूंगा। ट्रंप ने कहा कि जिहादी समर्थक प्रदर्शन में शामिल सभी निवासियों के लिए हमने नोटिस जारी किया है। इसी नोटिस के हिसाब से वो लोग इस देश के बाहर होंगे जो हमास के समर्थक हैं। ट्रंप सरकार ये देखेगी और तय करेगी कि किन्हें किन्हें वापस भेजना है। ट्रंप ने कॉलेज तक को अपनी रडार में ले लिया है। इसे भी पढ़ें: बार बार बोलने पर भी अर्बेल येहुद को हमास ने नहीं छोड़ा तो भड़क गए नेतन्याहू, कहा- अब जब तक... ट्रंप ने अमेरिका का 250वां जन्मदिन मनाने के लिए व्हाइट हाउस टास्क फोर्स की स्थापना के लिए एक कार्यकारी आदेश पर भी हस्ताक्षर किए। समूह का कार्य 4 जुलाई, 2026 को अमेरिकी स्वतंत्रता की 250वीं वर्षगांठ के एक असाधारण उत्सवकी योजना बनाना और उसे क्रियान्वित करना होगा। यह आदेश उस आदेश को भी बहाल करता है जिस पर उन्होंने आपराधिक हिंसा का मुकाबला करते हुए अमेरिकी स्मारकों, स्मारकों और मूर्तियों की रक्षा के लिए 26 जून, 2020 को हस्ताक्षर किए थे। 7 अक्टूबर, 2023 के बाद ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्मारकों की हमास-समर्थक बर्बरता और संघीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर संबंधित हमले, 8 जून, 2024 को वाशिंगटन, डी.सी. के लाफायेट स्क्वायर ट्रेजरी विभाग के बाहरी हिस्से और मूर्तियों की तोड़फोड़ भी शामिल है।

ढूंढ़ कर कॉलेजों से निकालेंगे और डिपोर्ट करेंगे...हमास सपोर्टरों का ट्रंप ने किया भारी इंतजाम!
Haqiqat Kya Hai - यह खबर अमेरिका में राजनैतिक हलचल पैदा कर रही है। हाल ही में, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान देकर कॉलेजों में मौजूद हमास समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया है। इस लेख में हम समझेंगे कि ट्रंप का यह कदम क्यों उठाया गया है और इसका व्यापक प्रभाव क्या होगा।
ट्रंप का कड़ा बयान
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के महीनों में हमास समर्थकों के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए हैं। उनके अनुसार, जो छात्र कॉलेजों में हमास के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें तुरंत निष्कासित किया जाना चाहिए। ट्रंप ने इस कार्रवाई को एक जरूरी कदम बताया है जो अमेरिका की सुरक्षा और उसके मूल्यों की रक्षा करना आवश्यक है।
कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन
अमेरिकी कॉलेजों में हमास के समर्थन में किए गए विरोध प्रदर्शनों को ट्रंप ने गंभीरता से लिया है। इन प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में हाल की इजराइल-फलीस्तीन घटनाएँ हैं, जिसने विश्वभर में काफी विवाद उत्पन्न किया है। कॉलेजों में ऐसे विचारों को समर्थन देने पर ट्रंप ने नाराजगी व्यक्त की है।
संभावित कानूनी कार्रवाई
ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कॉलेज प्रबंधन ने ऐसे छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, तो वह उन्हें डिपोर्ट करने की योजना बनाएंगे। इस कदम से अमेरिका के भीतर एक व्यापक राजनीतिक बहस छिड़ सकती है, जिसमें स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन बैठाने की चुनौती होगी।
समर्थन और विरोध
वैसे तो ट्रंप के बयान का कुछ लोगों ने समर्थन किया है, लेकिन कई अन्य ने इसे निराधार और भेदभावपूर्ण करार दिया है। कॉलेजों में छात्रों के विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है, और इस प्रकार के कदम को आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
क्या होगा आगे?
ट्रंप का यह कदम आने वाले समय में अमेरिका में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। क्या कॉलेज प्रबंधन कर्मचारियों और छात्रों को इस मुद्दे पर कार्रवाई के लिए मजबूर करेगा? इसे देखने के लिए हमें आने वाले समय का इंतजार करना होगा।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान निश्चित रूप से अमेरिकी राजनीति और कॉलेजों में विचारों की स्वतंत्रता पर बड़ा प्रभाव डालेगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ट्रंप के इस बयान का सामना अमेरिकी समाज कैसे करेगा। सही मायनों में, यह समय अमेरिका के लिए एक चुनौती का है, जिसमें विचारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा को संतुलित करना आवश्यक है।
फिलहाल, हमें उम्मीद है कि अमेरिका में शिक्षण संस्थाएँ स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों को बनाए रखते हुए इस मुद्दे का समाधान खोजेंगी।
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