छात्रों के योगदान को मजदूरी का नाम देकर विवाद में आई प्रधानाध्यापिका - जानें पूरा मामला

Amit Bhatt, Dehradun: सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल होता है। जिसमें देहरादून के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला के कुछ छात्र सिर पर बजरी ढोते हुए नजर आर रहे हैं। यह वीडियो यह कहकर वायरल किया गया कि छात्रों से मजदूरी कराई जा रही है। वीडियो के सार्वजानिक होते … The post छलका प्रधानाध्यापिका का दर्द, बताया छात्र क्यों ढो रहे थे बजरी, लगाए गंभीर आरोप appeared first on Round The Watch.

Oct 7, 2025 - 18:39
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छात्रों के योगदान को मजदूरी का नाम देकर विवाद में आई प्रधानाध्यापिका - जानें पूरा मामला

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कम शब्दों में कहें तो, देहरादून के एक सरकारी स्कूल में छात्रों के द्वारा की गई स्वैच्छिक गतिविधि को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानाध्यापिका ने आरोप लगाया है कि उनके छात्रों का वीडियो गलत तरीके से पेश किया गया।

Amit Bhatt, Dehradun: सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें देहरादून स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला के कुछ छात्र सिर पर बजरी ढोते हुए नजर आ रहे थे। वीडियो के चलते यह आरोप लगाया गया कि छात्रों से मजदूरी कराई जा रही है। यह घटना सामने आते ही शिक्षा विभाग ने त्वरित संज्ञान लिया और जिला शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली को निलंबित कर दिया, जिसके चलते प्रधानाध्यापिका काफी आहत हैं।

क्या है पूरा विवाद?

प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली ने मीडिया को एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह कार्य छात्रों द्वारा स्वेच्छा से किया गया था। उन्होंने बताया कि स्कूल के मुख्य द्वार के पास बारिश के चलते कीचड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसके कारण बच्चों और शिक्षकों को काफी परेशानी हो रही थी।

छात्रों ने पहले भी इस भाग को सुधारने के लिए बजरी और रेत भरने की मांग की थी, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई थी। लेकिन, सोमवार को छात्रों ने किसी औपचारिक अनुमति के बिना ही स्वयं यह काम करने का निर्णय लिया। अंजू ने बताया कि छात्रों की मंशा थी कि उनके इस कार्य से प्रधानाध्यापिका खुश होंगी। लेकिन, इस घटना को दुर्भाग्यवश गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।

कॉम्युनिटी के प्रति पूर्वाग्रह का आरोप

प्रधानाध्यापिका ने यह भी दावा किया कि स्कूल के पास रहने वाले एक व्यक्ति वीरेंद्र डंगवाल ने उन्हें लगातार परेशान किया है। उनके अनुसार, डंगवाल को इस बात से चिढ़ है कि स्कूल में गरीब परिवारों के बच्चे और मुस्लिम समुदाय के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस व्यक्ति ने छात्रों के बारे में भद्दी बातें कहीं और उन्हें धमकाया भी है।

अंजू ने कहा कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों से इस व्यक्ति की धमकियों का सामना किया है। जब उन्हें कुछ नहीं कर पा रहे थे, तो डंगवाल ने छात्रों का वीडियो गलत मंशा से वायरल कर दिया। उन्होंने यह कहते हुए कि छात्रों का स्वैच्छिक कार्य मजदूरी है, उनके स्कूल और उनकी व्यक्तिगत छवि को धूमिल किया है।

पीड़ित प्रधानाध्यापिका का दर्द

प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली ने कहा कि 58 वर्ष की आयु में उन पर लगे आरोप असहनीय हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें तथा उनके स्कूल को बदनाम करने का यह प्रयास किया गया है। उनकी श्रद्धा और सेवा भावना पर प्रश्न उठाने वाले इस आरोपी की संवेदनहीनता से वह बेहद दुखी हैं।

निष्कर्ष

इस पूरे घटनाक्रम ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं कि स्कूलों में इस तरह की गतिविधियों के पीछे कौन है और किस प्रकार से छात्रों की मेहनत को निगेटिव तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। ऐसे आयोजनों में समाज की प्रतिक्रिया और उसके प्रति हमारी जिम्मेदारी पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

फिलहाल, यह मामला शिक्षा विभाग के पास है और आगामी निर्णय का सबको इंतज़ार रहेगा। ऐसी घटनाएं न केवल शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि समाज में दीक्षितता के स्तर को भी प्रभावित करती हैं।

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Team Haqiqat Kya Hai: सपना शर्मा

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