नवीनतम आदेश: डीजी शिक्षा ने छात्रों से काम करवाने पर जताई सख्त आपत्ति, देहरादून और चमोली की घटनाएं
Rajkumar Dhiman, Dehradun: चमोली में स्कूली बच्चों से कार धुलवाने और देहरादून में बजरी ढोने के वायरल वीडियो का संज्ञान लेकर शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इस संबंध में आदेश जारी कर स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया है कि किसी भी स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं से शिक्षा-संबंधी कार्य के अलावा … The post छात्रों से काम करवाने पर डीजी शिक्षा का कड़ा आदेश, देहरादून और चमोली की घटनाओं पर आपत्ति appeared first on Round The Watch.

नवीनतम आदेश: डीजी शिक्षा ने छात्रों से काम करवाने पर जताई सख्त आपत्ति, देहरादून और चमोली की घटनाएं
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक ने हाल ही में छात्रों को कार्य में लगाकर उन्हें शोषण का शिकार बनाए जाने के खिलाफ एक कड़ा आदेश जारी किया है। ये आदेश चमोली और देहरादून में सामने आए वायरल वीडियो के संदर्भ में है, जहां छात्रों से अनुचित कार्य कराए जाने का मामला उठाया गया है।
राजकुमार धिमान, देहरादून: चमोली में स्कूली छात्रों को कार की सफाई करने और देहरादून में बजरी ढोने के वायरल वीडियो के बाद शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सजगता दिखाते हुए एक दिशा-निर्देश जारी किया। इस आदेश में उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी विद्यालय में छात्रों से शिक्षा संबंधी कार्य के अलावा अन्य किसी कार्य के लिए नहीं कहा जाएगा।
आदेश में यह भी बताया गया है कि बाल श्रम का निषेध (अनुच्छेद-24) और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद-21A) जैसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के अनुसार, बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
सख्त निर्देश और चेतावनी
महानिदेशालय ने आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सामूहिक कार्यक्रमों व पाठ्य-सहगामी गतिविधियों के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के अन्य कार्यों के लिए छात्रों का उपयोग नहीं किया जाएगा। यदि कोई भी विद्यालय इस आदेश का उल्लंघन करेगा, तो प्रधानाचार्य और संबंधित शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
चमोली और देहरादून के मामले
आदेश में उन घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जहां स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद कई विद्यालयों में छात्रों से शिक्षा कार्य के इतर अन्य कार्य कराए जा रहे थे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी शिक्षकों को चेतावनी मिले, विकासात्मक कार्रवाई की जाएगी ताकि इन मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
कानूनी दृष्टिकोण और आवश्यकताएँ
महानिदेशालय द्वारा जारी आदेश में दो प्रमुख संवैधानिक प्रावधानों का हवाला दिया गया है। अनुच्छेद-24 (बाल श्रम निषेध) और अनुच्छेद-21A (बच्चों को शिक्षा का अधिकार) यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि कोई भी बच्चा शारीरिक श्रम में न लगे। शैक्षणिक उद्देश्य से दूर ले जाने वाले कामों को करना नियमों के खिलाफ माना जाएगा।
प्रशासनिक कार्यवाही और भविष्य की दिशा
शिक्षा महानिदेशालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी जिलाधिकारियों, प्रधानाचार्यों, और अन्य संबंधित अधिकारियों को इस आदेश का पालन करना अनिवार्य है। स्कूलों में बच्चों का उपयोग केवल शिक्षा संबंधी कार्यों में होना चाहिए। उल्लंघन की स्थिति में कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक जागरूकता और सुझाव
इस आदेश का उद्देश्य सभी स्कूलों को याद दिलाना है कि बच्चों का शिक्षा का अधिकार उनके भविष्य के लिए अति आवश्यक है। अध्यापकों और विद्यालय प्रशासन द्वारा किसी भी गैर-शैक्षणिक काम के लिए छात्रों का उपयोग करना, विशेष रूप से शारीरिक श्रम में, अवैध और अनुचित माना जाएगा। अभिभावकों और समुदायों को भी इस मुद्दे पर ध्यान देने और ऐसी घटनाओं की सूचना जिला-शिक्षा कार्यालय या निदेशालय को देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सारांश
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा महानिदेशालय का यह निर्देश छात्रों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रति एक सख्त प्रशासनिक कदम है। चमोली और देहरादून में आई घटनाओं ने एक बार फिर से शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है। अब यह आवश्यक है कि सभी स्कूलों में जागरूकता बढ़ाई जाए ताकि सभी बच्चे निर्बाध रूप से अपना शिक्षा का अधिकार प्राप्त कर सकें।
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सादर,
टीम हक़ीक़त क्या है (नीतू शर्मा)
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