उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट का राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना, दोहरी मतदाता सूची की याचिका खारिज

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड में त्रिस्तीय पंचायत चुनाव पर राज्य निर्वाचन आयोग (उत्तराखंड) की चूक भारी पड़ गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने न सिर्फ राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका को खारिज कर दिया गया, बल्कि आयोग पर 02 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आयोग ने … The post बड़ी खबर: दोहरी मतदाता सूची पर राज्य निर्वाचन आयोग पर 02 लाख का सुप्रीम जुर्माना, याचिका खारिज appeared first on Round The Watch.

Sep 26, 2025 - 18:39
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उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट का राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना, दोहरी मतदाता सूची की याचिका खारिज
उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट का राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना, दोहरी मतदाता सूची की याचिका खारिज

उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट का राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना, दोहरी मतदाता सूची की याचिका खारिज

कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की दोहरी मतदाता सूची में चूक के कारण सुप्रीम कोर्ट ने आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।

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Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में राज्य निर्वाचन आयोग की एक गंभीर चूक अब बड़े विवाद का विषय बन गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल आयोग की याचिका को खारिज कर दिया बल्कि उन पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि आयोग ने एक ऐसे मामले में कानून का उल्लंघन किया जहां न्याय की धज्जियाँ उड़ाई गईं।

क्या थी मामला?

यह मामला दोहरी मतदाता सूची से संबंधित है, जिसमें 700 से अधिक ऐसे प्रत्याशी पाए गए थे जो अलग-अलग मतदाता सूचियों में नामित थे और चुनाव लड़े थे। कई ऐसे प्रत्याशी विजयी भी रहे, जिसका मुद्दा चुनाव के दौरान ही गरमाया था। हालाँकि, राज्य निर्वाचन आयोग ने नियमों का उल्लंघन करते हुए दोहरी मतदाता सूची वाले मतदाताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी। आयोग ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2016 के प्रावधानों की व्याख्या की गई थी।

हाई कोर्ट का हस्तक्षेप

जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो शक्ति सिंह ने दोहरी मतदाता सूची वाले मतदाताओं और प्रत्याशियों को चुनाव में भाग लेने पर रोक लगाने की मांग की और आयोग द्वारा जारी सर्कुलर को चुनौती दी। हाई कोर्ट ने 11 जुलाई 2025 को इस मामले में निर्णय दिया कि दोहरी मतदाता सूची अवैध है और इसे प्रभावी ढंग से रोक दिया गया। हालाँकि, चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने का फैसला भी लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

राज्य निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आयोग को कड़ी फटकार दी और यह कहा कि उनका कानून की व्याख्या करना पूरी तरह अस्वीकार्य है।

आगामी चुनावों पर पड़ सकता है असर

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का व्यापक असर पंचायत चुनावों के साथ ही निकाय चुनावों में भी होने की संभावना है। मसूरी नगर पालिका और देहरादून नगर निगम चुनाव में मतदाता सूची में अनियमितताओं के कारण सवाल उठते रहे हैं। अब देखना यह है कि राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार इस मामले में कितनी गंभीरता से कार्रवाई करती हैं।

आगामी चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि राज्य निर्वाचन आयोग अपने कार्यों में सुधार करे। Haqiqat Kya Hai के माध्यम से आगामी अपडेट्स के लिए जुड़े रहें।

सालों से चल रहे इस विवाद का निष्कर्ष निकालना बहुत जरूरी है। इससे केवल मतदाता का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि चुनाव प्रक्रिया को भी सशक्त बनाया जाएगा।

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इस मामले पर आगे की जानकारी के लिए हमें देखते रहें।

सादर,

टीम हक़ीक़त क्या है
शिल्पा शर्मा

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