उत्तराखंड में सरकार ने दी जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में किसानों की फसलें लंबे समय से जंगली सूअर और नीलगाय के हमलों से भारी नुकसान झेल रही थीं। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की लगातार मांग के बाद, वन विभाग ने अब इन दोनों वन्यजीवों के सशर्त शिकार की अनुमति देने की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। मुख्य वन्यजीव … The post उत्तराखंड में सरकार ने दी जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति appeared first on Round The Watch.

Aug 9, 2025 - 00:39
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उत्तराखंड में सरकार ने दी जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति
उत्तराखंड में सरकार ने दी जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति

उत्तराखंड में सरकार ने दी जंगली सूअर और नीलगाय के शिकार की अनुमति

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में किसानों की फसलें लंबे समय से जंगली सूअर और नीलगाय के हमलों से भारी नुकसान झेल रही थीं। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की लगातार मांग के बाद, वन विभाग ने अब इन दोनों वन्यजीवों के सशर्त शिकार की अनुमति देने की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। यह निर्णय किसानों के आर्थिक संकट को खत्म करने के लिए लिया गया है, जो इन वन्य जीवों के कारण भयानक रूप से प्रभावित हो रहे थे।

सरकारी आदेश और नीतियाँ

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन कुमार मिश्रा की ओर से जारी आदेश के अनुसार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2022) के तहत अनुसूची-दो में शामिल प्राणी जो मानव जीवन या संपत्ति (जिसमें खड़ी फसल भी शामिल है) के लिए खतरनाक हो जाता है, उसका शिकार अनुमति लेकर किया जा सकता है। नीलगाय क्रम संख्या 1 पर और जंगली सूअर क्रम संख्या 23 पर दर्ज हैं।

शिकार की प्रक्रिया

अब मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अधिकार क्षेत्रीय वन संरक्षक, प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक वन संरक्षक, वन क्षेत्राधिकारी, उप वन क्षेत्राधिकारी और वन दारोगा को भी सौंप दिए गए हैं। ये अधिकारी लिखित आदेश और कारण दर्शाते हुए किसी व्यक्ति को निर्धारित क्षेत्र में शिकार की अनुमति दे सकेंगे। राज्य के कई ग्रामीण इलाकों में नीलगाय और जंगली सूअर किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है।

शिकार की अनुमति की शर्तें

वन क्षेत्र से बाहर ही शिकार की अनुमति होगी। शिकार केवल निजी कृषि भूमि पर किया जा सकेगा। घायल जानवर का पीछा वन क्षेत्र के भीतर नहीं किया जाएगा और मारे गए जानवर को वन रक्षक और स्थानीय जनप्रतिनिधि की मौजूदगी में नष्ट किया जाएगा।

अनुमति के लिए आवश्यक प्रक्रिया

  • आवेदन निकटतम प्राधिकृत अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में जमा करना होगा।
  • स्थानिय ग्राम प्रधान की संस्तुति अनिवार्य होगी।
  • शिकार केवल लाइसेंसी बंदूक या राइफल से किया जाएगा।
  • अनुमति आदेश जारी होने की तिथि से एक माह के लिए मान्य होगा।

निष्कर्ष

यह कानून किसानों के लिए राहत लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लंबे समय से चल रही समस्या का समाधान हुए जाने के कारण Farmers की फसलें अब सुरक्षित रहेंगी। यह कदम न केवल कृषि को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास में भी सहायक होगा। हमें उम्मीद है कि यह निर्णय किसानों की कठिनाइयों को कम करने और उनके जीवन स्तर को सुधारने में सहायक सिद्ध होगा। अधिक जानकारी के लिए, कृपया यहाँ जाएँ।

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