रूस ने पूरे यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर ‘काफी बड़ी रियायत’ दी है : ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि रूस ने यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने से पहले ही पूरे देश पर कब्जा करने के इरादे को छोड़कर ‘‘काफी बड़ी रियायत’’ दे दी है। ट्रंप के इस विचार का हालांकि यूक्रेन और यूरोप के अधिकांश देशों ने कड़ा विरोध किया है और दलील दी है कि रूस द्वारा भूमि हड़पने की अपनी कार्रवाई को रोकना कोई रियायत नहीं है। इससे पहले बृहस्पतिवार को ट्रंप ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन पर हमले रोकने को कहा था। यह अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रूसी नेता को मामले में फटकार लगाने की दुर्लभ घटना थी। ट्रंप ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस द्वारा बड़े पैमाने पर किये गए हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘मुझे कल रात की घटना पसंद नहीं आई। मैं इससे खुश नहीं हूं।’’ उन्होंने इस घटना को ही लेकर पुतिन की आलोचना की है।

रूस ने पूरे यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर ‘काफी बड़ी रियायत’ दी है : ट्रंप
Haqiqat Kya Hai
रिपोर्टर: स्नेहा शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक विवादास्पद बयान दिया है जिसमें उन्होंने रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने कहा है कि रूस ने पूरे यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर ‘काफी बड़ी रियायत’ दी है। उनके इस बयान ने वैश्विक स्तर पर चर्चाओं का माहौल पैदा कर दिया है।
रूस और यूक्रेन के संदर्भ में बयान
ट्रंप का ताजा बयान यूक्रेन पर चल रहे संघर्ष की गंभीरता को लेकर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि रूस के पास अगर चाहते तो वह पूरी तरह से यूक्रेन को अपने अधीन कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इस बात को लेकर विशेषज्ञों ने विभिन्न राय रखी हैं, जहां कुछ इसे रूस की कमजोरी मानते हैं, वहीं कुछ इसे समझौता समझते हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस बयान पर वैश्विक नेता और विश्लेषक भिन्न-भिन्न विचार प्रकट कर रहे हैं। कुछ नेताओं ने इसे रूस के प्रति नरम रुख बताते हुए ट्रंप की आलोचना की है, जबकि कुछ ने इसे तर्कसंगत भी माना है। अनेक देशों ने यूक्रेन के प्रति अपनी संप्रभुता और एकजुटता को बनाए रखने का आश्वासन दिया है।
भविष्य की संभावनाएँ
यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के चलते भले ही लाखों लोग प्रभावित हुए हों, लेकिन इस संघर्ष का अंत कैसे होगा, यह कहना अभी कठिन है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि आगे चलकर बातचीत और मध्यस्थता की जरूरत पड़ेगी। ट्रंप जैसे नेता इस विषय पर चर्चा को सुविधाजनक बना सकते हैं।
निष्कर्ष
ट्रंप का बयान न केवल यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर नए सिरे से बहस को जन्म देता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति की जटिलताओं को भी दर्शाता है। अगर देश एकजुट होकर समझौता नहीं करते हैं, तो इस संघर्ष का परिणाम और भी भयानक हो सकता है।
कुल मिलाकर, ट्रंप का यह बयान हमें याद दिलाता है कि वैश्विक स्तर पर होने वाले संघर्षों में समझौते और वार्ता की कितनी अहमियत है।
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