मोहम्मद यूनुस चीन से बांग्लादेश के लिए क्या लेकर आए? भारत के लिए क्या ये बढ़ती नजदीकी है खतरे की घंटी
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। चीन और बांग्लादेश ने नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। चीन और बांग्लादेश के बीच हस्ताक्षरित समझौतों में दोनों सरकारों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग और विकास, शास्त्रीय साहित्यिक कार्यों के अनुवाद और प्रकाशन, सांस्कृतिक विरासत, समाचार विनिमय और मीडिया और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। चीनी नेता के साथ अपनी बैठक में, यूनुस ने ढाका में शासन परिवर्तन के लिए नेतृत्व करने वाले छात्र विरोधों पर प्रकाश डाला और बीजिंग से शांति और स्थिरता स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाने का आग्रह किया। इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: Modi से मुलाकात का समय नहीं मिल रहा था, भारत को संदेश देने के लिए Xi Jinping से मिले Muhammad Yunusबांग्लादेश और चीन ने राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे किएबांग्लादेश और चीन ने वर्ष 2025 में एक विशेष मील का पत्थर हासिल किया, क्योंकि दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से, चीन बांग्लादेश के कई प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी कर रहा है, जिसमें बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन और जमात-ए-इस्लामी और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) जैसी कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियाँ शामिल हैं। विश्लेषकों के अनुसार, बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद बीजिंग ढाका में उभरती अराजक स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है।इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: पहले Beijing में Vasant Mela, फिर दोनों देशों के बीच अहम मुद्दों पर वार्ता, अब जयशंकर का बयान, तेजी से करीब आ रहे हैं India-Chinaबांग्लादेश और चीन के बीच व्यापार संबंधबांग्लादेश के डेली स्टार अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के बाद चीन बांग्लादेश का चौथा सबसे बड़ा ऋणदाता है, जिसने 1975 से अब तक कुल 7.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का ऋण वितरित किया है। चीन और एशिया पर शोध संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने 2023 में बांग्लादेश में 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया है। आर्थिक जटिलता वेधशाला के अनुसार, 2023 में बांग्लादेश को चीनी निर्यात 22.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का था, जिसमें मुख्य उत्पाद परिष्कृत पेट्रोलियम, हल्के रबरयुक्त बुने हुए कपड़े आदि थे। बांग्लादेश ने चीन को 1.02 बिलियन अमरीकी डॉलर का सामान निर्यात किया था।

मोहम्मद यूनुस चीन से बांग्लादेश के लिए क्या लेकर आए? भारत के लिए क्या ये बढ़ती नजदीकी है खतरे की घंटी?
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: सिया शर्मा, टीम नेटानगरी
परिचय
हाल ही में बांग्लादेश के प्रसिद्ध नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा ने एक बार फिर से दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक हालात को लेकर चर्चाएँ पैदा कर दी हैं। इस यात्रा के दौरान, यूनुस ने बांग्लादेश के लिए कई महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक समझौतों की तस्वीरें प्रस्तुत की हैं। लेकिन, इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या यह चीन-बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकी वास्तव में भारत के लिए खतरे की घंटी है?
यूनुस की चीन यात्रा के मुख्य बिंदु
मोहम्मद यूनुस ने अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करते हुए बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सहयोग की संभावना पर बात की। इस यात्रा में कई निवेश प्रस्तावों और आर्थिक सहायता समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यूनुस का लक्ष्य बांग्लादेश में गरीबी मिटाना और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है।
भारत के लिए संभावित खतरे
भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, लेकिन चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते रिश्ते भारत के लिए चिंताजनक हैं। चीन, जो कि बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, भारत के लिए एक प्रतिस्पर्धी के रूप में उभर रहा है। इस पार्श्व में, यूनुस की यात्रा से यह संकेत मिल सकता है कि बांग्लादेश अब चीन की आर्थिक और सैन्य सहायता पर अधिक निर्भर हो सकता है। यह भारत के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि उसे अपनी विदेश नीति में बदलाव लाने की आवश्यकता हो सकती है।
बांग्लादेश-चीन संबंधों का भविष्य
बांग्लादेश के साथ चीन के संबंधों की मजबूती क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। यदि बांग्लादेश चीन के साथ अपने संबंधों को और गहरा करता है, तो यह भारतीय विदेश नीति के लिए एक सोचने का विषय बन सकता है। यूनुस ने अपनी यात्रा के दौरान कहा कि वे चाहते हैं कि बांग्लादेश तेजी से विकास करे और इसके लिए चीन का सहयोग आवश्यक है। इससे चीन की दक्षिण एशिया में स्थिति मजबूत हो सकती है।
निष्कर्ष
मोहम्मद यूनुस की यात्रा यह दर्शाती है कि बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ती नजदीकी भारत के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। भारतीय नीति निर्माताओं को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है और अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने की जरूरत है। बांग्लादेश के विकास के साथ-साथ देसी और विदेशी नीतियों पर भी गौर करने की आवश्यकता है।
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