मोदी के अमेरिका पहुंचने से पहले ही Russia ने भारत को दिया होश उड़ाने वाला ऑफर, सुनकर ट्रंप की भी बढ़ेगी टेंशन!
रूस ने भारत को एक ऐसा आकर्षक ऑफर दिया है, जिसने कई देशों को हैरान कर दिया है। रूस ने भारत को अपना सबसे लेटेस्ट और खतरनाक एसयू 57 लड़ाकू विमान बेचने का ऑफर दिया है। इस ऑफर को और भी शानदार बनाने के लिए रूस ने कहा है कि वो भारत को एसयू 57 की टेक्नोलॉजी भी दे देगा। एसयू 57 एक पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जिसकी भारत को सख्त जरूरत है। रूस जानता हैकि चीन फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट बना चुका है और भारत इस रेस में पीछे छूट रहा है। रूस को ये भी अच्छे से पता है कि भारत पर दबाव बनाकर अमेरिका अपना पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एफ-35 भारत को बेचना चाहता है। कुछ रूसी एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत पर एफ 35 खरीदने का दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने भारत के तेजस लड़ाकू विमानों के प्रोडक्शन को लटका दिया है। इसे भी पढ़ें: भारत के लिए भिड़ गए पुतिन-ट्रंप! सब Delhi Election Result में बीजेपी को बढ़त मिलते ही हो गया बड़ा खेलजानकारी के लिए बता दें कि तेजस फाइटर जेट्स के इंजन अमेरिका से ही आने हैं। लेकिन अमेरिका इसमें देरी कर रहा है। अगर भारत एफ-35 के लिए हां कर देता है तो उसे तेजस का इंजन भी मिल जाएगा। आपको बता दें कि तेजस 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। मगर रूस चाहता है कि भारत अमेरिका के दबाव में न आए। हमेशा की तरह रूसी हथियारों पर ही भरोसा करे। रूस ने कहा है कि अगर भारत पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान एसयू 57 खरीदता है तो हम उसकी टेक्नोलॉजी भी भारत के साथ शेयर करेंगे। रूस का मानना है कि एसयू-57 अमेरिका के एफ-35 से कई गुणा बेहतर है। ठीक वैसे ही जैसे रूस का एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम अमेरिका के थर्ड से बेहतर है। एएमसीए पर भारत कर रहा कामआपको बता दें कि भारतीय वायुसेना जल्द ही 100 से ज्यादा जेट्स खरीदने की योजना पर काम कर रही है। भारतीय एयर फोर्स फिलहाल फाइटर जेट्स की भारी कमी से जूझ रही है। वैसे तो भारत खुद 5.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान बनाने में लगा हुआ है। जिसका नाम एएमसीए यानी एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट है। लेकिन एएमसीए का प्रोटोटाइप 2028 तक तैयार होगा। इसका प्रोडक्शन 2035 से शुरू हो पाएगा। लेकिन ये इंतजार काफी लंबा है। भारत को कुछ पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट अभी चाहिए। इसे भी पढ़ें: Russia के संसदीय शिष्टमंडल ने लोकसभा स्पीकर से की मुलाकात, एक्स पर ओम बिरला ने पोस्ट कर जानें क्या कहा?मल्टीरोल फाइटर जेट है एसयू-57सुखोई एसयू-57 एक ट्विन इंजन, सिंगल सीट, स्टील्थ मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है। इसे सुखोई डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन और सुखोई ने निर्मित किया है। एसयू-57 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट होने के कारण कई तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है। Su-57 में स्टील्थ, सुपरमैन्युवरेबिलिटी, सुपरक्रूज़, एकीकृत एवियोनिक्स और बड़ी पेलोड क्षमता शामिल है। इस विमान के रूसी सैन्य सेवा में मिग-29 और एसयू-27 की जगह लेने की उम्मीद है।

मोदी के अमेरिका पहुंचने से पहले ही Russia ने भारत को दिया होश उड़ाने वाला ऑफर, सुनकर ट्रंप की भी बढ़ेगी टेंशन!
Haqiqat Kya Hai
लेखक: राधिका शर्मा, टीम नेतनागरी
परिचय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका के लिए उड़ान भरने वाले थे, तब रूस ने भारत को एक ऐसा ऑफर दिया है, जिसे सुनकर न केवल भारत बल्कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी टेंशन बढ़ सकती है। इस आर्टिकल में हम इस ऑफर के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
रूस का चौंकाने वाला ऑफर
हाल ही में, रूस ने भारत को एक नये रक्षा सौदे की पेशकश की है, जिसमें अत्याधुनिक हथियारों और सैन्य तकनीकी का सामूहिक उत्पादन शामिल है। इस ऑफर में केवल सैन्य सहयोग ही नहीं बल्कि आर्थिक सहयोग की भी बात की गई है। भारतीय रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह सौदा भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
ट्रंप की टेंशन में इजाफा
यह पेशकश अमेरिका के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकती है। ट्रंप ने जब अमेरिका में रक्षा एवं विदेशी नीति निर्धारित की थी, तब उन्होंने चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने की बातें की थीं। यदि भारत और रूस के बीच यह सौदा होता है, तो इससे अमेरिका के रणनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं।
क्या है इस ऑफर का महत्व?
रूस के इस ऑफर को केवल एक साधारण व्यापारिक सौदा नहीं समझा जा सकता। यह एक रणनीतिक पहल है, जो भारत को अपनी रक्षा प्रणाली को विकसित करने के साथ-साथ ग्लोबल पॉलीटिक्स में एक नई ताकत बनने में मदद कर सकती है। भारत की बढ़ती शक्तियों के कारण, अमेरिका पर भी दबाव बनाए रखने की आवश्यकता बढ़ जाएगी।
भारत के रणनीतिक हित
भारत के लिए यह ऑफर कई दृष्टिकोण से फायदेमंद साबित हो सकता है। एक ओर, इससे भारत की रक्षा औद्योगिकी को नई दिशा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर, भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिल सकती है। इसके अलावा, यह सौदा भारत के रूस के साथ गहरे रिश्तों को और भी मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
इस ऑफर का महत्व केवल मौजूदा समय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य में भारत और रूस के रिश्तों को और भी प्रगाढ़ बना सकता है। जब मोदी अमेरिका पहुंचेगे, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका इस पर कैसे प्रतिक्रिया देता है। भारतीय विदेश नीति में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
फिर से एक बार ये साबित होता है कि ग्लोबल पॉलिटिक्स में कुछ भी स्थिर नहीं है। समय के साथ बदलाव और नए मौके सामने आते रहते हैं।
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