भारी पड़ते भजनलाल और रफ्तार पकड़ता राजस्थान

भजनलाल शर्मा ने सियासत के शिखर की राह पकड़ ली हैं। ताकत के तेवर तीखे कर लिए हैं और अफसरशाही के करतबों पर कसावट की कला भी जान गए हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर सवा साल पूरा कर लेने के साथ ही भजनलाल शर्मा ने विधायकों को अपना बनाने के गुर भी उन्होंने सीख लिए और संगठन को साधने की कला भी अपना ली है। बीजेपी के अपने पूर्वज मुख्यमंत्रियों, भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के राज करने की राह पर भजनलाल भी चल पड़े हैं। आजकल कुछ अलग लग रहे हैं और उनकी पैनी नजरों में सत्ताधीश होने के तेवर तैरने लगे हैं। सवा साल पहले जब राजस्थान की कमान सम्हाली थी, तो उनकी अपनी बीजेपी में ही उनके मुख्यमंत्री बनने को, कोई अनुभवहीन को सत्ता सौंपना बता रहा था, तो किसी को वे कमजोर होने की वजह से ज्यादा लंबे न चलने वाले मुख्यमंत्री लग रहे थे। लेकिन तस्वीर बदल गई है। पार्टी पर उन्होंने पकड़ बना ली है, केंद्र का विश्वास भी जीत लिया है और राजनीति के दांव पेंच में भी भजनलाल भारी पड़ने लगे हैं। बड़े और बड़बोले मंत्रियों की बोलती बंद करना सीख लिया है, और मजबूत विधायकों के जरिए सरकार की ताकत बढ़ाने करने के रहस्य भी उन्होंने जान लिए हैं। सत्ता के शक्ति संचार से शर्मा उस समय सर्वाधिक समर्थ हो गए, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट' के उद्घाटन समारोह में भजनलाल की पीठ थपथपा कर सीधा संदेश दे दिया था कि ‘पंडितजी’ कहीं जाने वाले नहीं हैं। तभी से राजनीति की फसलों, सत्ता से विवादों के फासलों और सरकार के फैसलों और में भी भजनलाल शर्मा की छाप मजबूत दिखने लगी है।  पहली बार विधायक और पहली ही बार मुख्यमंत्री भी बन गए भजनलाल शर्मा। इसीलिए विरोधी उनको अनुभवहीन और कमजोर बताकर निशाने पर लेते रहे। हालांकि, एक व्यक्ति के तौर पर शर्मा भले ही सीधे हैं, सरल स्वभावी भी हैं और सादगी पसंद भी। लेकिन सरकार के मुखिया के तौर पर अब वे अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरह ही, अप्रत्याशित तो हैं ही, असरकारक भी हैं और असाधारण भी। राजस्थान में वे अपनी ही पार्टी में, भले ही बहुत बड़े नेता कभी नहीं रहे, लेकिन 6 प्रदेश अध्यक्षों के साथ संगठन की सियासत सम्हालने के अनुभव ने उनको इतना धारदार तो बना ही दिया था कि किसको, कब, कहां, कितना और किसके जरिए कैसे साधना है, यह वे मुख्यमंत्री बनने से पहले ही अच्छी तरह जान गए थे। इसीलिए, मुख्यमंत्री पद पर काम करते हुए भजनलाल शर्मा, सवा साल पहले जैसे थे, वैसे तो अब कतई नहीं है। शासनकर्ता के सर्वोच्च शिखर पर स्थापित होने के संदेश देने उन्होंने सीख लिए हैं और अपने स्वभाव की सियासी तासीर भी बदल डाली है। वे शेखावत और राजे की राह पर चल रहे हैं, तो किसी की भी ना सुनने वाले मनमौजी अफसर भी अब उनका कहना मानने लगे हैं, और वरिष्ठ होने के दम भरने वाले अफसर भी उनसे दबने लगे हैं। सियासत के समीकरण शर्मा ने ऐसे साध रखे हैं कि विधायकों की एक बड़ी संख्या उनकी व्यक्तिगत टीम का हिस्सा बनने को बेताब है और मंत्रिमंडल में तो सरताज वे हैं ही। इसे भी पढ़ें: राजस्थान में अगले साल 10 हजार स्कूली शिक्षकों की भर्ती होगी : भजनलाल शर्माराजस्थान में बहुत ही कम समय में वे प्रदेश के निर्विवाद नेता के रूप में उभरे हैं, और बीजेपी में किसी अन्य शक्ति केंद्र की धारणा को वे पूरी तरह से समाप्त करने में भी कामयाब रहे है, यही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की खास बात है। एक और खास बात यह भी है कि उनमें न तो मुख्यमंत्री पद का कभी घमंड दिखा है और न ही किसी तरह का अहंकार। अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के साथ उनका बेहतर तालमेल है और प्रभारी डॉ राधामोहन दास अग्रवाल के विवादित बयानों के संभावित नुकसान पर भी रोक लगाने में वे सफल रहे हैं। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए 9 जिलों को उनके द्वारा भंग करने से उपजे विवाद को शांत करने में भी मुख्यमंत्री पूरी तरह से सफल रहे हैं, तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के विधानसभा अध्यक्ष पर स्तरहीन बयान पर विपक्ष के नेता से माफी मंगवाने का जो रणनीतिक दांव भजनलाल शर्मा ने खेला, उसको भी उनकी बढ़ती राजनीतिक ताकत का संकेत माना जा रहा है। बीजेपी की राजनीति में ही नहीं, बल्कि समूचे प्रदेश भर में शर्मा की छवि नेक इरादों वाले एक ईमानदार मेहनती नेता की रही है, लांछन अब तक कोई लगा नहीं सका और पेपर लीक जैसी घटना भी उनके कार्यकाल में अब तक तो नहीं हुई। राजस्थान की राजनीति में तेजी से मजबूती पाने की सफलता में भजनलाल शर्मा का व्यक्तित्व और स्वभाव सबसे बड़ा सहायक रहा है। मुख्यमंत्री के तौर पर भजनलाल शर्मा की ताकत को राजस्थान में केवल इसी से समझा जा सकता है कि देश भर में योगी आदित्यनाथ सबसे लोकप्रिय और ताकतवर मुख्यमंत्री गिने जाते हैं। मगर, योगी को तो फिर भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में ही उनके साथी नेताओं द्वारा ही चुनौती मिलती रही हैं, मगर भजनलाल शर्मा के लिए कोई नेता राजस्थान में चुनौती नहीं बन पा रहा है। शर्मा ने सरलता से सबको अपना बनाने की कोशिश की है और वरिष्ठों के प्रति आदर व अवमानना का तो सवाल ही नहीं है। वसुंधरा राजे से पहली बार मिलने वाले लोग, पहली नजर में तो उनके व्यक्तित्व में राजवंश का रौबदाब ही देख पाते थे, उसके अलावा उनके व्यक्तित्व में और कुछ और भी देखे, तब तक तो मुलाकात का वक्त भी खत्म भी हो जाता। जबकि भजनलाल शर्मा से मिलने वाले कहते हैं कि मुख्यमंत्री अपने सदभावनापूर्ण व्यवहार के जरिए पहली ही मुलाकात में हर किस का दिल जीत लेते हैं। राजस्थान और देश भर में, मुख्यमंत्री शर्मा के बेहद सहज व सरल राजनीतिक आचरण ने विरोधियों के अपने बारे में इस प्रचार को लगभग खारिज कर दिया है, जिसमें उनके नए होने को राजनीतिक रूप से कमजोरी बताया जा रहा था।  वैसे तो, मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से ही भजनलाल शर्मा ने स्वयं को राजस्थान में सत्ता के एकमात्र केंद्र के रूप में स्थापित कर लिया था, लेकिन

Mar 17, 2025 - 13:39
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भारी पड़ते भजनलाल और रफ्तार पकड़ता राजस्थान
भारी पड़ते भजनलाल और रफ्तार पकड़ता राजस्थान

भारी पड़ते भजनलाल और रफ्तार पकड़ता राजस्थान

लेखिका: निवेदिता शर्मा, टीम नीतानागरी

Haqiqat Kya Hai

परिचय

राजस्थान, जहां की संस्कृति और परंपरा अद्भुत है, हाल के दिनों में अपने विकासात्मक मोड़ पर है। खासतौर पर भजनलाल, जो एक महत्वपूर्ण नाम है, वर्तमान में राजस्थान के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। इस लेख में हम बात करेंगे भजनलाल की भूमिका और राजस्थान की रफ्तार पकड़ती प्रगति पर।

राजस्थान का राजनीतिक परिदृश्य

भजनलाल का राजनीतिक प्रभाव राजस्थान में बहुत बड़ा है। उनकी नीतियाँ और फैसले राज्य की सामाजिक और आर्थिक दिशा तय करते हैं। भजनलाल ने हमेशा विकास और समृद्धि के लिए एजेंडा पेश किया है, जिससे वे लोगों के बीच लोकप्रिय बने हैं। उनकी विद्यमानता से सिद्ध होता है कि राजस्थान की राजनीति में उनका योगदान अनमोल है।

राजस्थान का विकास और रफ्तार

राजस्थान में नई औद्योगिक योजनाओं और निवेश के चलते समृद्धि की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार ने कई नए प्रोजेक्ट की घोषणा की है, जिनमें सौर ऊर्जा का विकास शीर्ष पर है। इसके अलावा, यूपीएससी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राज्य के युवा तैयार हो रहे हैं। राजस्थान की रफ्तार अब विकास की ओर केंद्रित है, और यहां के युवा इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भजनलाल का गाँव रुझान

भजनलाल का गाँव, जहां से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की थी, अब एक आदर्श गाँव बनने की ओर अग्रसर है। गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं का विकास संभावनाओं को और भी उज्वल बना रहा है। स्थानीय कल्याण के लिए भजनलाल द्वारा चलाए जा रहे पहल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

निष्कर्ष

राजस्थान की विकास यात्रा भजनलाल के प्रभाव के बिना अधूरी है। उनके नेतृत्व में राज्य ने कई सकारात्मक बदलाव देखे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि भजनलाल और उनके नेतृत्व ने राजस्थान को एक नई दिशा दी है। जैसे-जैसे राजस्थान आगे बढ़ रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे भजनलाल की नीतियाँ राज्य की प्रगति को और अधिक तेज़ करती हैं।

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