बुलंदशहर डीएम को महंगा पड़ा विधायक का फोन न उठाना, जारी हुआ नोटिस और मांगी गई माफी
लखनऊ/बुलंदशहर : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक फोन कॉल ने हड़कंप मचा दिया। समाजवादी The post DM को महंगा पड़ा विधायक का फोन न उठाना, 20-25 कॉल मिस, जारी हुआ नोटिस, मांगनी पड़ी माफी first appeared on radhaswaminews.

बुलंदशहर डीएम को महंगा पड़ा विधायक का फोन न उठाना
लखनऊ/बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक फोन कॉल ने तूफान ला दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव और जसवंतनगर विधायक शिवपाल सिंह यादव के 20-25 फोन कॉल्स को नजरअंदाज करने वाली बुलंदशहर की DM आईएएस श्रुति सिंह को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने नोटिस जारी कर दिया है। यह मामला न केवल राजनीतिक हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के बीच संवाद के महत्व को भी उजागर कर रहा है।
कम शब्दों में कहें तो, इस दुर्घटना ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली और राजनीतिक संबंधों में संवाद की आवश्यकता को सामने ला दिया है। जानकारी के अनुसार, नोटिस मिलने के बाद डीएम श्रुति सिंह ने **शिवपाल** से फोन पर माफी मांगी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। विवाद अब शांत हो गया है, लेकिन यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। अधिक अपडेट के लिए यहाँ क्लिक करें.
घटना का संदर्भ
यह विवाद बीते विधानसभा मॉनसून सत्र से पहले का है। शिवपाल यादव ने विभिन्न मुद्दों पर डीएम श्रुति सिंह को करीब 20-25 बार फोन किया, जिसमें उनके कार्यालय और व्यक्तिगत नंबर दोनों शामिल थे। लेकिन, डीएम ने उन कॉल्स का कोई उत्तर नहीं दिया। एक समय ऐसी स्थिति आई कि शिवपाल की नाराजगी चोटी पर पहुँच गई, और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से इसकी शिकायत की, जिसे उन्होंने ‘विशेषाधिकार हनन’ बताया।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ
महाना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए डीएम को नोटिस जारी कर दिया। इस नोटिस में उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया। श्रुति सिंह ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए शिवपाल को फोन किया और उनसे माफी मांगी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस मामले ने सपा के नेता की प्रभावशाली स्थिति को एक बार फिर से उजागर किया, जिसने अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहने की याद दिलाई।
अन्य राज्य में समान घटनाएँ
इन दिनों उत्तराखंड में भी ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं। विधानसभा के सदस्यों के फोन न उठाने को लेकर गणेश जोशी और हरीश धामी जैसे विधायकों की भी शिकायतें आई हैं। हालाँकि, इन मामलों में न तो विधानसभा अध्यक्ष से कोई शिकायत हुई और न ही अफसरों से माफी मांगने जैसी कोई घटना हुई है, जो इस पूरे मसले को और भी दिलचस्प बनाता है।
अंतिम विचार
डीएम श्रुति सिंह की यह घटना एक चेतावनी है कि प्रशासनिक अधिकारियों को नेताओं के साथ संवाद की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह घटना न केवल राजनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि यह नागरिक प्रशासन के प्रति जन भरोसे को भी कमजोर कर सकती है। इसीलिए, मिलकर संवाद करना आवश्यक है ताकि ऐसी घटनाएँ भविष्य में न हों।
इस घटनाक्रम ने एक बार और सिद्ध कर दिया है कि राजनीति और प्रशासन एक-दूसरे के साथ मजबूती से जुड़े हैं, और संवाद न करने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
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साक्षी वर्मा, Team Haqiqat Kya Hai
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