जापान परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा
तोक्यो । जापान परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा। देश के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि अमेरिका का परमाणु क्षमता से लैस होना जापान की सुरक्षा के लिए अहम है और सम्मेलन में तोक्यो की भागीदारी से ‘गलत संदेश’ जाएगा। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने तोक्यो में संवाददाताओं से कहा कि जापान अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण न्यूयॉर्क में सोमवार से शुरू हो रहे इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल नहीं होगा।हयाशी ने कहा, ‘‘गंभीर सुरक्षा माहौल में लोगों के जीवन और संपत्तियों के साथ-साथ जापान की शांति एवं संप्रभुता की रक्षा के लिए परमाणु क्षमता अपरिहार्य है।’’ उन्होंने कहा कि सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में जापान की भागीदारी ‘‘परमाणु क्षमता (के प्रति समर्थन) को लेकर जापान की नीति के बारे में गलत संदेश भेजेगी और शांति एवं सुरक्षा कायम रखने की तोक्यो की कोशिशों में बाधा पैदा करेगी।’’ परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संयुक्त राष्ट्र संधि को 2017 में मंजूरी दी गई थी।द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका के परमाणु हमले की पुनरावृत्ति को रोकने के मकसद से दशकों तक चलाए गए अभियान के बाद 2021 में इसे लागू कर दिया गया था। परमाणु हमलों का सामना करने वाला एकमात्र देश होने के बावजूद जापान ने संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उसका कहना है कि किसी भी परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र की भागीदारी के बिना इसका लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है। हयाशी ने कहा कि पर्यवेक्षक के रूप में हिस्सा लेने से अप्रसार संधि को मजबूत करने के लिए समर्थन हासिल करने के जापान के प्रयास में बाधा आएगी और परमाणु निरस्त्रीकरण की कोशिशें भी प्रभावित होंगी।

जापान परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेत्तानागरी
परिचय
हाल ही में, जापान ने घोषणा की है कि वह परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि के संबंधित संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में भाग नहीं लेगा। इस निर्णय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल मचा दी है, क्योंकि इस संधि का उद्देश्य दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या कम करना है। इस लेख में, हम जापान के इस निर्णय के पीछे के कारणों, वैश्विक प्रभाव और संभावना पर चर्चा करेंगे।
जापान का निर्णय
जापान सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि देश की सुरक्षा परिकल्पना और अमेरिका के साथ उसके सुरक्षा संबंधों के कारण यह निर्णय लिया गया है। जापान अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश है और अमेरिकी परमाणु छाता इसके सुरक्षा नीति का एक अहम हिस्सा है। इस निर्णय से जापान के भीतर सुरक्षा पर चर्चा और बढ़ती है, जिसमें देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
जापान के इस निर्णय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई देशों का विरोध देखने को मिला है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम पीछे की ओर है। संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्य देशों ने जापान से अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
संभावित प्रभाव
जापान का इस सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय वैश्विक सैन्य संतुलन पर प्रभाव डाल सकता है। इस निर्णय से अन्य देशों को भी परमाणु हथियारों के विकास के प्रति प्रोत्साहित किया जा सकता है, जो कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। इसके अलावा, इसके जरिए जापान की सुरक्षा नीति को लेकर नए विमर्श शरू हो सकते हैं।
निष्कर्ष
जापान का परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि के सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है जो वैश्विक राजनीति में नई बहस को जन्म दे सकता है। इस स्थिति का आगे बढ़ना बहुत महत्वपूर्ण होगा, खासकर अन्य देशों के साथ जापान के संबंधों की स्थिरता के लिए। आगे क्या होगा, यह भविष्य में देखने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर इस मुद्दे पर सामूहिक प्रयास करने होंगे।
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