कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड वन विभाग में निजाम बदलते ही कॉर्बेट जैसा बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। मुनस्यारी में ईको हट निर्माण में भारी अनियमितता और धन के दुरुपयोग की बात सामने आई है। इस घोटाले में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय भार्गव फंस गए हैं, जो कि एक मंत्री के दामाद बताए जा रहे हैं। … The post कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश appeared first on Round The Watch.

Jul 25, 2025 - 18:39
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कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश
कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश

कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला, सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश

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Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड वन विभाग में निजाम बदलते ही कॉर्बेट जैसा बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। मुनस्यारी में ईको हट निर्माण में भारी अनियमितता और धन के दुरुपयोग की बात सामने आई है। इस घोटाले में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय भार्गव फंस गए हैं, जो कि एक मंत्री के दामाद बताए जा रहे हैं। शासन ने 15 दिन में उनसे जवाब मांगा है। विभागीय जांच रिपोर्ट में CBI-ED जांच की सिफारिश की गई है।

ईको टूरिज्म में अनियमितताएं

उत्तराखण्ड के मुनस्यारी क्षेत्र में ईको टूरिज्म के नाम पर करोड़ों की लागत से बनाए गए ईको हट्स घोटाले में तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी पिथौरागढ़ और वर्तमान में पश्चिमी वृत्त हल्द्वानी के वन संरक्षक डॉ. विनय कुमार भार्गव (भा.व.से.) को उत्तराखण्ड शासन ने 15 दिन में स्पष्टीकरण देने का अंतिम अवसर दिया है।

वन अनुभाग-1 द्वारा 18 जुलाई 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार, डॉ. भार्गव पर वित्तीय अनियमितताओं, निर्माण में नियमों की अवहेलना, और बिना टेंडर निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। शासन ने उन्हें स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि समय पर उत्तर नहीं दिया गया, तो अग्रिम अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

प्रमुख आरोप

1. बिना पूर्व स्वीकृति संरचनात्मक निर्माण:
वर्ष 2019 में मुनस्यारी रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति निम्नलिखित संरचनाओं का निर्माण कराया गया:
- डॉरमेट्री
- वन उत्पाद विक्रय केंद्र
- 10 वीआईपी ईको हट्स
- ग्रोथ सेंटर का निर्माण

2. बिना टेंडर करोड़ों की निर्माण सामग्री की खरीद:
किसी भी सार्वजनिक टेंडर प्रक्रिया का पालन किए बिना एक निजी संस्था को ठेका दिया गया और एकमुश्त भुगतान किया गया। इससे शासन की वित्तीय पारदर्शिता नीति की धज्जियां उड़ाईं गईं।

3. अवैध MOU द्वारा 70% पर्यटन आय हस्तांतरण:
EDC पातलथौड़, मुनस्यारी के साथ बिना सक्षम अनुमोदन के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत ईको हट्स की आय का 70% हिस्सा निजी संस्था को दे दिया गया। बताया जा रहा है कि यह कंपनी किसी विधायक की है।

4. वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन:
सीमेंट-मोर्टार से बने ये ढांचे पूरी तरह स्थायी प्रकृति के हैं। निर्माण से पूर्व केंद्र सरकार से धारा 2 के अंतर्गत आवश्यक स्वीकृति नहीं ली गई।

5. फायरलाइन खर्च में फर्जीवाड़ा:
जहां कार्य योजना में केवल 14.6 किमी फायरलाइन दर्ज है, वहां 90 किमी फायरलाइन दर्शाकर 2 लाख रुपये का व्यय दिखाया गया।

घोटाले का कुल मूल्य और संदिग्ध लेनदेन

ईको हट्स पर कुल खर्च: ₹1.63 करोड़
बिना अनुमति निजी संस्था को हस्तांतरित राजस्व: 70%
सभी मापन पुस्तिकाएं एक ही दिन में भर दी गईं, जिससे कार्यों की वास्तविकता पर सवाल खड़े हुए हैं।

संजीव चतुर्वेदी IFS की जांच

इस घोटाले की विस्तृत जांच IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच की। उन्होंने 700 पृष्ठों की रिपोर्ट दो चरणों में तैयार कर दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में HoFF को सौंपी। मार्च 2025 में यह रिपोर्ट शासन को भेजी गई, जिसे मुख्यमंत्री ने जून 2025 में अनुमोदित किया। रिपोर्ट में CBI और ED जांच की सिफारिश की गई है, साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।

भार्गव का पुराना इतिहास

वर्ष 2015 में जब डॉ. भार्गव नरेंद्रनगर के डीएफओ थे, तब भी उन पर वानिकी कार्यों में भारी वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे थे, लेकिन उन्हें “अनुभव की कमी” के आधार पर दोषमुक्त कर दिया गया। सालों से उन्हें मलाईदार पदों पर बने रहने और राजनीतिक संरक्षण मिलने की चर्चाएं चल रही हैं। सूत्रों की मानें तो उनकी शादी एक कैबिनेट मंत्री की भतीजी से हुई है, जो उनके प्रभाव का प्रमुख कारण माना जा रहा है। घोटाले को “कॉर्बेट 2” के नाम से जाना जा रहा है।

इस मामले में आगे की कार्रवाई की सिफारिशों के साथ-साथ जांच के निष्कर्षों का इंतजार है। यह घोटाला न केवल वन विभाग की छवि को धूमिल करता है, बल्कि इससे जुड़े सरकारी तंत्र की निष्क्रियता की भी पोल खोलता है।

हमें उम्मीद है कि आगामी जांच में सभी दोषियों को सख्त सजा मिलेगी और यह घोटाला एक उदाहरण बनेगा कि सरकारी तंत्र में ऐसे कुकर्मों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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