सावन शिवरात्रि 2025: आज बन रहा 24 साल बाद दुर्लभ योग, गूंजे ‘बम-बम भोले’ के जयकारे
श्रावण मास की शिवरात्रि आज पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जा रही है। The post सावन शिवरात्रि 2025: आज बन रहा 24 साल बाद दुर्लभ योग, गूंजे ‘बम-बम भोले’ के जयकारे first appeared on radhaswaminews.

सावन शिवरात्रि 2025: आज बन रहा 24 साल बाद दुर्लभ योग, गूंजे ‘बम-बम भोले’ के जयकारे
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श्रावण मास की शिवरात्रि आज पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जा रही है। इस साल शिवरात्रि का पर्व विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग बन रहा है, जो पूरे 24 वर्षों में पहली बार देखने को मिल रहा है।
विशेष ज्योतिषीय संयोग
ज्योतिषाचार्य शिवशरण पाराशर के अनुसार, इस बार शिवरात्रि पर गजकेसरी, मालव्य, नवपंचम और बुधादित्य योग एक साथ बन रहे हैं, जिसे उन्होंने ‘महायोग’ की संज्ञा दी है। यह योग विशेष अवसर प्रदान करता है, जिससे भक्तों को विश्वास है कि इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होंगे और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होगा।
शिव-पार्वती की पूजा और महत्व
सनातन धर्म की परंपरा में सावन की शिवरात्रि पर शिव-पार्वती की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। पवित्र भाव और विधिपूर्वक पूजा करने पर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रद्धालु बड़े उत्साह के साथ आज शिवालयों में दर्शन और पूजन करने के लिए उपस्थित हैं।
बटेश्वर के प्राचीन मंदिरों की विशेष तैयारी
बटेश्वर के 41 प्राचीन मंदिरों में विशेष रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी जयप्रकाश गोस्वामी का कहना है कि वाराणसी से आए यज्ञाचर्य सूर्यकांत गोस्वामी के नेतृत्व में कालसर्प दोष और पितृ दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान भी आयोजित हो रहे हैं।
सावन शिवरात्रि की पूजन विधि
- सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव की जल, दूध, घी, शहद, दही आदि से रुद्राभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, श्रीफल चढ़ाएं।
- धूप, दीप, फूल, फल अर्पित करें।
- पूजा में शिव चालीसा, शिवाष्टक, शिव पुराण का पाठ करें।
- संध्या के समय फलाहार करें।
शिवालयों में सुबह से ही घंटियों की गूंज और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ माहौल भक्तिमय हो गया है। महिलाएं, पुरुष, बच्चे सभी शिवभक्ति में लीन नजर आ रहे हैं। पंडितों का मानना है कि इस महायोग में पूजा करने से भविष्य के संकट टलते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
निष्कर्ष
सावन शिवरात्रि 2025 का यह दुर्लभ योग न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी अवसर प्रदान करता है। श्रद्धालुओं को इस महान अवसर का लाभ उठाने के लिए सावधानीपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
समस्त पाठकों से निवेदन है कि इस शिवरात्रि के पर्व को श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाएं।
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