UN में रूस के साथ खड़ा हुआ America, यूक्रेन पर युद्ध की निंदा वाले प्रस्ताव का किया विरोध
अमेरिका ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया जिसमें रूस को यूक्रेन से बाहर निकलने की मांग की गई थी और युद्ध की निंदा की गई थी। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ही नहीं बल्कि उसके सहयोगी देशों ने भी मतदान किया। आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं और यह पहली बार था जब अमेरिका ने रूस के साथ मिलकर मतदान किया। इस बीच भारत ने मतदान से खुद को अलग रखा।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें यूक्रेन में रूसी आक्रमण की निंदा की गई और कब्जे वाले क्षेत्र की वापसी की मांग की गई। इस प्रस्ताव को 93 वोटों के साथ पारित किया गया, जबकि 18 वोटों ने इसका विरोध किया और 65 मतों ने मतदान से परहेज किया।रूस, इज़राइल, उत्तर कोरिया और 14 अन्य मास्को-संबद्ध देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भारत, अर्जेंटीना, संयुक्त अरब अमीरात, चीन और ईरान ने मतदान से परहेज किया। यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जो रूस द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के तीन साल पूरे होने पर आया था।इस प्रस्ताव में कहा गया है कि "रूसी संघ द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण तीन वर्षों से जारी है और इसके न केवल यूक्रेन, बल्कि अन्य क्षेत्रों और वैश्विक स्थिरता के लिए भी विनाशकारी और दीर्घकालिक परिणाम हैं।" यह प्रस्ताव युद्ध में कमी, शत्रुता को शीघ्र समाप्त करने और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करता है।

UN में रूस के साथ खड़ा हुआ America, यूक्रेन पर युद्ध की निंदा वाले प्रस्ताव का किया विरोध
Haqiqat Kya Hai
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें यूक्रेन पर जारी युद्ध की निंदा की गई थी। इस फैसले ने वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है और अमेरिका के रूस के साथ बढ़ते संबंधों पर सवाल उठाए हैं। यह समाचार महिला लेखक काजल शर्मा और भूमिका रॉय द्वारा साझा किया जा रहा है, जिन्होंने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया है।
संयुक्त राष्ट्र की बैठक: एक ऐतिहासिक मोड़
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य यूक्रेन में चल रहे संघर्ष की भर्त्सना करना था। इस प्रस्ताव में न केवल युद्ध पर चिंता जताई गई थी, बल्कि यह भी कहा गया था कि इसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। लेकिन, अमेरिका ने इस प्रस्ताव का कठोर विरोध किया और इसका समर्थन करने से इंकार कर दिया।
अमेरिका का रूस के प्रतीकात्मक समर्थन
अमेरिका द्वारा इस प्रस्ताव के खिलाफ खड़ा होना एक ऐसा संकेत है, जिसे रूस ने सावधानी से पढ़ा। इसके पीछे का तर्क यह है कि अमेरिका की नीतियों में बदलाव आ रहा है, जो रूस के साथ संबंधों को और भी मज़बूत कर सकता है। यह एक ऐसा पल है, जब विश्व शक्ति संतुलन में बदलाव देखने को मिल सकता है।
यूक्रेन के प्रति अमेरिका की नीति
हालांकि, अमेरिका ने यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखा है, लेकिन यह स्थिति कुछ सवाल उठाती है। क्या अमेरिका वास्तव में यूक्रेन के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव कर रहा है? क्या यह रूस को मजबूत करने के लिए एक चाल है? ऐसी स्थिति में, यूक्रेन की मदद करने वाले देश और संगठन इस स्थिति से चिंतित हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
इस घटना के बाद, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने चिंता जताई है कि इस प्रकार के कदम दुनिया में सुरक्षा पारिस्थितिकी को अधिक अस्थिर बना सकते हैं। वैश्विक नेता अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस संघर्ष के समाधान के लिए सही दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका द्वारा रूस के साथ खड़े होने का निर्णय एक नई यथार्थता को दर्शाता है। यह केवल एक प्रस्ताव के विरोध नहीं है, बल्कि यह नए वैश्विक माहौल की ओर एक संकेत है। यूक्रेन के भविष्य के लिए यह स्थिति किसी भी तरह से लाभदायक नहीं हो सकती है। हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है और क्या अमेरिका और रूस के संबंध अधिक विकसित होंगे या नहीं।
आखिरी में, इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि दुनिया की राजनीति में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। हमें इन परिवर्तनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सामान्य नागरिकों का जीवन प्रभावित न हो।
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