M S Golwalkar Death Anniversary: RSS के सबसे प्रभावशाली शख्सियत थे माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

एम एस गोलवलकर आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक थे। वह आरएसएस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सबसे प्रभावशाली और प्रमुख शख्सियतों में से एक थे। वह भारत के शुरूआती हिंदू राष्ट्रवादी विचारकों में से एक थे। माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 'गुरुजी' की उपाधि मिली थी। आज ही के दिन यानी की 19 फरवरी को माधवराव सदाशिव गोलवलकर का जन्म हुआ था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर माधवराव सदाशिव गोलवलकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षानागपुर के पास रामटेक में एक मराठी परिवार में 19 फरवरी 1906 को माधवराव सदाशिव गोलवलकर का जन्म हुआ था। आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के निधन के बाद साल 1940 में आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक बने। हालांकि वह हमेशा राजनीति से दूर रहने की सलाह देते थे। क्योंकि वह राजनीति को अच्छी चीज नहीं मानते थे। बता दें कि महाभारत के एक श्लोक में राजनीतिक को वेश्याओं का धर्म बताया गया। महाभारत की यह लाइन गुरुजी की राजनीतिक के प्रति थी।इसे भी पढ़ें: Gopal Krishna Gokhale Death Anniversary: गोपाल कृष्ण गोखले को महात्मा गांधी मानते थे अपना राजनीतिक गुरुसाल 1927 में उन्होंने बीएचयू से एमएससी की डिग्री हासिल की थी। वह राष्ट्रवादी नेता और यूनिवर्सिटी के संस्थापक मदन मोहन मालवीय से बहुत प्रभावित थे। इसी वजह से पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएचयू में जंतु शास्त्र पढ़ाया। इस दौरान उन्होंने गुरुजी का उपनाम कमाया था। इसी दौरान गुरुजी के बारे में आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को एक छात्र ने बताया। फिर साल 1932 में हेडगेवार से मुलाकात की और इसके बाद उनको बीएचयू में संघचालक नियुक्त किया गया। वकालत और RSS का काम छोड़ दियामाधवराव सदाशिव गोलवलकर ने सन्यासी बनने के लिए पश्चिम बंगाल में सरगाछी रामकृष्ण मिशन आश्रम के लिए आरएसएस और वकालत का काम छोड़ दिया। गोलवलकर स्वामी अखंडानंद के शिष्य बन गए। जोकि रामकृष्ण के शिष्य और स्वामी विवेकानंद के भाई भिक्षु थे। गोलवलकर ने कथित तौर पर 13 जनवरी 1937 को दीक्षा प्राप्त की और फिर फौरन आश्रम छोड़ दिया। फिर साल 1937 में गुरु की मृत्यु के बाद हेडगेवार की सलाह लेने के लिए अवसाल और अनिर्णय की स्थिति में नागपुर लौट आए। तब गोलवलकर को हेडगेवार ने आश्वस्त किया और आरएसएस के लिए काम करके समाज के प्रति दायित्व को सबसे अच्छे तरीके से पूरा किया जा सकता है।

Feb 19, 2025 - 13:39
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M S Golwalkar Death Anniversary: RSS के सबसे प्रभावशाली शख्सियत थे माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर
M S Golwalkar Death Anniversary: RSS के सबसे प्रभावशाली शख्सियत थे माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

M S Golwalkar Death Anniversary: RSS के सबसे प्रभावशाली शख्सियत थे माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

Haqiqat Kya Hai

लेखक: सुनिता शर्मा, टीम नेटानागरी

हर साल की तरह, 5 फरवरी को माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दूसरे सरसंघचालक थे और उन्हें भारतीय समाज में उनके अनूठे योगदान के लिए जाना जाता है। गोलवलकर जी का प्रभाव भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा रहा है।

गोलवलकर का प्रारंभिक जीवन

गोलवलकर का जन्म 1906 में हुआ। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत एक शिक्षक के रूप में की, लेकिन जल्द ही उनका ध्यान RSS की ओर केंद्रित हो गया। वे शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन पर विश्वास करते थे, जो उनके कार्यों में प्रकट होता था। गोलवलकर का दृष्टिकोण था कि समाज को मजबूत बनाने के लिए एकता और आत्मसम्मान की आवश्यकता है।

RSS में उनकी भूमिका

गोलवलकर जी ने RSS को एक संगठन के रूप में मजबूती दी। उनके कार्यकाल में संघ ने न केवल अपने प्रभाव बल्कि अपने अनुयायियों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि की। उन्होंने कई युवा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया और उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया। उनके विचारों ने न केवल संघ की दिशा बदलने में मदद की, बल्कि उन्होंने भारतीय विचारधारा को भी समृद्ध किया।

गोलवलकर के सिद्धांत

गोलवलकर के दो मुख्य सिद्धांत थे: "हिंदुत्व" और "भारतीयता"। उन्होंने कहा कि भारतीयता का अर्थ सिर्फ एक धार्मिक पहचान नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। उनके दृष्टिकोण से, सभी भारतीयों को एक समानता और भाईचारे की भावना के साथ रहना चाहिए।

अन्य योगदान

गोलवलकर ने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें "बंच ऑफ थॉट्स" विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस पुस्तक में उन्होंने भारतीय संस्कृति, समाज, और राजनीति पर अपने विचार रखे हैं। उनका सिद्धांत आज भी संवेदनशील मामलों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

निष्कर्ष

गोलवलकर ने RSS के माध्यम से एक ऐसा संगठन बनाया, जिसमें देश की संस्कृति और भारतीयता को प्राथमिकता दी गई। उनका योगदान न केवल RSS के प्रति, बल्कि समग्र भारतीय समाज के लिए भी अमूल्य है। 5 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद करना और उनके विचारों को समझना हमारे लिए आवश्यक है। आइए, हम उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें और एक संगठित समाज की दिशा में बढ़ते रहें।

इस तरह, माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की पुण्यतिथि केवल उनके कार्यों को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि भारतीय समाज के लिए उनकी विचारधारा का पुनर्नवलोकन करने का भी अवसर है।

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