KM Cariappa Birth Anniversary: केएम करियप्पा के नाम दर्ज है पहले भारतीय सेनाध्यक्ष होने का रिकॉर्ड

आज ही के दिन यानी की 28 जनवरी को आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जन्म हुआ था। वह सेना प्रमुख होने के अलावा भारतीय सेना के पहले फाइव स्टार रैंक के अधिकारी थे। उन्होंने भारतीय सेना में 30 साल रहकर देश की सेवा की थी। फिर साल 1953 में उनका रिटायरमेंट हुआ था। रिटायरमेंट के बाद भी फील्ड मार्शल करियप्पा भारतीय सेना में किसी न किसी रूप में अपना योगदान दिया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर के एम करियप्पा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षाकर्नाटक में 28 जनवरी 1899 में केएम करियप्पा का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा माडिकेरी सेंट्रल हाई स्कूल से पूरी की थी। फिर उन्होंने आगे की पढ़ाई मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से पूरी की थी। वहीं पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इंदौर स्थित आर्मी ट्रेनिंग स्कूल के लिए सेलेक्ट हो गए। स्कूल से आर्मी ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वह भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ बनें। फिर भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के तौर केएम करियप्पा की तैनाती हुई।इसे भी पढ़ें: Homi J Bhabha Death Anniversary: होमी जे भाभा को कहा जाता है परमाणु का जनक, उनकी मौत आज भी बनी है रहस्यभारत का सेना प्रमुखबता दें कि 15 जनवरी 1949 को केएम करियप्पा को भारत का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। वहीं इसी दिन करियप्पा को कमांडर इन चीफ का पद मिला था। 15 जनवरी 1949 को पहली बार ब्रिटिश शासन ने यह कमान भारतीय सेना को सौंपी थी। लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर वह अपनी सेवाएं दे रहे थे। करियप्पा ने जनरल सर फ्रांसिस बुचर का स्थान लिया था।फिर साल 1953 में केएम करियप्पा सेना से रिटायर हो गए। इसके बाद उनको ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में राजदूत बनाया गया। उन्होंने अपने एक्सपीरियंस के चलते कई देशों की सेनाओं के पुनर्गठन में भी मदद की। वहीं साल 1986 में भारत सरकार ने केएम करियप्पा को 'फील्ड मार्शल' का पद दिया। रिटायरमेंट के बाद वह कर्नाटक के कोडागू जिले के मदिकेरी में बस गए। वहीं केएम करियप्पा को मेन्शंड इन डिस्पैचेस, ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर और लीजियन ऑफ मेरिट जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया था।पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति से कनेक्शनदेश के बंटवारे से पहले फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के भी बॉस थे। अयूब खान ने सेना में रहते हुए जनरल करियप्पा के साथ काम किया था। फिर साल 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान जनरल करियप्पा सेना से रिटायर हो चुके थे और उनका बेटा केसी नंदा करियप्पा एयरफोर्स में सेवा दे रहे थे। इसी दौरान केसी नंदा करियप्पा पाकिस्तानी सेना पर कहर बरपा चुके थे। लेकिन पाकिस्तानी सेना पर गोले बरसाते हुए जनरल करियप्पा के बेटे केसी नंदा दुश्मन देश की सेवा में प्रवेश कर गए और वह पाकिस्तानी सेना की गोलियों के शिकार हो गए।दुश्मन देश में सुरक्षित नीचे उतरने के बाद पाकिस्तानी सेना ने केसी नंदा करियप्पा को कब्जे में ले लिया। जब पाकिस्तानी सेना को यह बात पता चली कि वह जनरल करियप्पा के बेटे हैं, तो पाक सेना में खलबली मच गई। फिर इस बात की जानकारी तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान को दी गई, तो उन्होंने पाक उच्चायुक्त को पूर्व सेना प्रमुख करियप्पा से बातचीत के लिए कहा। जब पाक उच्चायुक्त ने पूर्व सेना प्रमुख करियप्पा से बात की, तो उनके बेटे केसी नंद करियप्पा को छोड़ने की पेशकश की। तब करियप्पा ने पाक उच्चायुक्त को दो टूक कहा कि पाकिस्तान में बंद सभी भारतीय जवान उनके बेटे हैं और यदि छोड़ना है, तो सभी को छोड़ो। हालांकि बाद में उनको छोड़ दिया गया था।

Jan 28, 2025 - 12:39
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KM Cariappa Birth Anniversary: केएम करियप्पा के नाम दर्ज है पहले भारतीय सेनाध्यक्ष होने का रिकॉर्ड
KM Cariappa Birth Anniversary: केएम करियप्पा के नाम दर्ज है पहले भारतीय सेनाध्यक्ष होने का रिकॉर्ड

KM Cariappa Birth Anniversary: केएम करियप्पा के नाम दर्ज है पहले भारतीय सेनाध्यक्ष होने का रिकॉर्ड

Haqiqat Kya Hai

कम शब्दों में कहें तो, के.एम. करियप्पा भारतीय सेना की महान हस्तियों में से एक हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर हम उनके उल्लेखनीय योगदान और पहले भारतीय सेनाध्यक्ष बनने के उनके ऐतिहासिक रिकॉर्ड की चर्चा करेंगे।

के.एम. करियप्पा का परिचय

कर्नल कूट्टरामुकर मंगलोर करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटका के शिमोगा जिले में हुआ था। करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने और उन्होंने भारतीय सेना के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान किए। उनके नेतृत्व में भारत ने स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियों का सामना किया और सेना की संरचना को मजबूत किया।

खास उपलब्धियां

करियप्पा ने द्वितीय विश्व युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारतीय स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए जाने वाले पहले भारतीय थे। उनके अद्वितीय नेतृत्व के कारण, उन्होंने भारतीय सैनिकों को हमेशा प्रेरित किया और उन्हें साहस के साथ लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

पहले भारतीय सेनाध्यक्ष का दर्जा

15 जनवरी 1950 को, जब भारतीय सेना को पूरी तरह से एकीकृत किया गया, तब के.एम. करियप्पा को भारतीय सेना के पहले सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने भारतीय सेना के इतिहास को नए आयाम दिए। करियप्पा का यह कार्यकाल भारतीय सेना के लिए प्रेरणा स्रोत था और उन्होंने वैकल्पिक युद्ध रणनीतियों की नींव रखी।

करियप्पा का योगदान आज तक

के.एम. करियप्पा का योगदान आज भी भारतीय सेना में महत्वपूर्ण है। उनकी रणनीतियों और सिद्धांतों को आज भी लागू किया जा रहा है। उनका जन्मदिन हर साल भारतीय सेना द्वारा सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल उनके योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी है।

निष्कर्ष

के.एम. करियप्पा का जीवन हमें यह सिखाता है कि साहस, नेतृत्व और अकादमिक उत्कृष्टता का समन्वय कैसे किया जाता है। उनका इतिहास हमें प्रेरित करता है कि हम हमेशा देश की सेवा के लिए तत्पर रहें। उनकी जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके साहसी कार्यों को याद करते हैं।

फिर से, हैप्पी बर्थडे कर्नल करियप्पा। उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। आगे के लिए और अपडेट्स के लिए, haqiqatkyahai.com पर जाएं।

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