Gopal Krishna Gokhale Death Anniversary: गोपाल कृष्ण गोखले को महात्मा गांधी मानते थे अपना राजनीतिक गुरु
आज ही के दिन यानी 19 फरवरी को महान समाज सुधारक, शिक्षाविद और नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले का निधन हो गया था। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। गोखले ने सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा के विस्तार और तीन दशकों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था। वहीं खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...जन्म और शिक्षामहाराष्ट्र के रत्नागिरी में 09 मई 1866 में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और मां का नाम वलूबाई गोखले था। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। वह एक मेधावी छात्र थे और पिता पेशे से क्लर्क थे। लेकिन गोखले के पिता का असामयिक निधन हो गया था। गोखले को पराधीनता का भाव अधिक सताता था। लेकिन उनके भीतर हमेशा राष्ट्रभक्ति की धारा प्रवाहित होती थी। साल 1881 में गोखले ने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इसे भी पढ़ें: Shivaji Birth Anniversary: शौर्य और वीरता की मिशाल थे शिवाजी महाराज, छोटी उम्र से ही लड़े थे कई युद्धसाल 1882 कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज में एडमिशन लिया था। हालांकि उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए एलफिंस्टन कॉलेज जाना पड़ा था। पढ़ाई के प्रति जुनूनी रवैया रखने के कारण हर महीने गोखले को छात्रवृत्ति मिलती थी। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगने की वजह से उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का मन बनाया था।कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोखलेसाल 1889 में गुरू समाज सुधारक एम जी रानाडे से प्रभावित गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे। वह हमेशा 'नरम दल' के नेता के रूप में काम करते रहे। वहीं साल 1893 में वह बंबई प्रांतीय सम्मेलन के सचिव बने और फिर साल 1895 में बाल गंगाधर तिलक के साथ संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया था।साल 1905 में हुए बनारस अधिवेशन में गोखले कांग्रेस का अध्यक्ष चुने गए। इसी अधिवेशन में बीएचयू की नींव पड़ी और नरम व गरम दल के बीच हुए मतभेदों की वजह से 1907 में पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई। हालांकि वैचारिक मतभेद होने के बाद भी उन्होंने 'गरम दल' के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया था।मृत्युहालांकि गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु महज 49 साल की उम्र में 19 फरवरी 1915 को हो गई थी। दरअसल, उनको डायबिटीज और कार्डिएक अस्थमा की शिकायत थी।

Gopal Krishna Gokhale Death Anniversary: गोपाल कृष्ण गोखले को महात्मा गांधी मानते थे अपना राजनीतिक गुरु
Haqiqat Kya Hai
इस साल, 19 फरवरी को, देश ने महान स्वतंत्रता सैनानी गोपाल कृष्ण गोखले की पुण्यतिथि मनाई, जिन्होंने अपनी अद्भुत योग्यता से भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। महात्मा गांधी ने उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हुए उनके विचारों और दृष्टिकोणों को अपने स्वतंत्रता संग्राम की नींव के रूप में लिया। इस लेख में, हम गोखले की प्रेरणादायक यात्रा, उनके योगदान, और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके महत्व पर चर्चा करेंगे।
गोपाल कृष्ण गोखले का परिचय
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को पुणे में हुआ था। वे एक शिक्षित और बुद्धिमान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता रहे और समाज सुधारक के रूप में भी जाने जाते थे। उनके विचारों ने न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया, बल्कि समाज में सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किए।
महात्मा गांधी और गोखले का संबंध
महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु मानते हुए उनके कार्यों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। गोखले के सिद्धांतों ने गांधी जी को शिक्षा और सामाजिक सुधार के महत्व को समझने में मदद की। गांधीजी ने गोखले की शिक्षाओं को अपने कार्यों में अपनाया और इसे अपने लक्ष्य की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ाया।
गोखले की उपलब्धियाँ
गोपाल कृष्ण गोखले की कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ रही हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख नेता के रूप में कार्य करना।
- भारतीय समाज की भलाई के लिए शैक्षिक और सामाजिक सुधारों का समर्थन करना।
- भारतीय संस्कृति और भाषा के उत्थान में योगदान देना।
- स्वराज्य और समाज सुधार के लिए जन जागरूकता फैलाना।
गोपाल कृष्ण गोखले की शिक्षाएँ और आज की आवश्यकता
गोखले की महानता उनके विचारों में है, जो आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा था, "लगन और मेहनत से कहीं भी कोई भी कार्य किया जा सकता है।" आज के समय में, जब हम सामाजिक न्याय और समानता की बात करते हैं, उनकी शिक्षाएँ हमें प्रेरित करती हैं। हमें अपने समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
निष्कर्ष
गोपाल कृष्ण गोखले का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय है। उनकी शिक्षाएँ और मार्गदर्शन हमें आज भी प्रेरित करते हैं। यह जरूरी है कि हम उनके विचारों को आत्मसात करें और आगे बढ़ें। गोखले की पुण्यतिथि पर हमें याद करना चाहिए कि हमें अपने समाज में बदलाव लाने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
अधिक अपडेट्स के लिए, विजिट करें haqiqatkyahai.com.
Keywords
Gopal Krishna Gokhale, Mahatma Gandhi, political guru, Indian National Congress, social reform, freedom struggle, Pune, education, social justice, legacy, Indian politics, Haqiqat Kya HaiWhat's Your Reaction?






