Britain ने भी पकड़ी ट्रंप की राह, इमिग्रेशन क्रैकडाउन का शिकार बन रहे भारतीय रेस्तरां
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कुर्सी पर बैठते ही एक्सीक्यूटिव ऑर्डर में सबसे अहम गैरकानूनी रूप से रह रहे अप्रवासियों को बाहर निकालने वाले कदम ने देश-दुनिया में इन दिनों तहलका मचाया हुआ है। लेकिन अब ट्रंप के नक्शेकदम पर चलते हुए ब्रिटेन की लेबर सरकार भी अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर आमदा है। ब्रिटेन की लेबर सरकार ने पूरे देश में अवैध कामगारों के खिलाफ व्यापक रूप से एक्शन शुरू कर दिया है। इन कार्रवाइयों को पूरे देश में एक अटैक की तरह बताया जा रहा है। लेबर सरकार का ये एक्शन ब्रिटेन में स्थित भारतीय रेस्तरां, नेल बार, कन्विनिएंस स्टोर और कार वॉश कराने वाली जगहों तक फैल गई है, जो प्रवासी कामगारों को अपने यहां काम पर रखते हैं। इसे भी पढ़ें: मोदी के अमेरिका पहुंचने से पहले ही दोस्त ट्रंप ने ऐसे ऑर्डर पर किया साइन, खिलखिला उठेगा गौतम अडानी का चेहराब्रिटेन की गृह सचिव यवेटे कूपर ने कहा कि इमीग्रेशन रूल्स का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें लागू किया जाना चाहिए। बहुत लंबे समय से नियोक्ता अवैध प्रवासियों को अपने कब्जे में लेने और उनका शोषण करने में सक्षम रहे हैं और बहुत से लोग अवैध रूप से आने और काम करने में सक्षम रहे हैं, लेकिन कभी भी कोई प्रवर्तन कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यह न केवल लोगों के लिए छोटी नाव में चैनल पार करके अपनी जान जोखिम में डालने का खतरनाक आकर्षण पैदा करता है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप कमजोर लोगों, आव्रजन प्रणाली और हमारी अर्थव्यवस्था का दुरुपयोग होता है। इसके अलावा गृह कार्यालय के आंकड़ों का दावा है कि पिछले साल 5 जुलाई से इस साल 31 जनवरी के बीच, 12 महीने पहले की समान अवधि की तुलना में अवैध वर्कर्स को लेकर कार्रवाई और गिरफ्तारियां लगभग 38 प्रतिशत बढ़ गई हैं। इसे भी पढ़ें: यूक्रेन युद्ध को लेकर क्या ट्रंप-पुतिन में हुई बातचीत? क्रेमलिन की तरफ से आया बड़ा अपडेटउस चरण के दौरान कुल 1,090 नागरिक दंड नोटिस जारी किए गए हैं, जिसमें नियोक्ताओं को उत्तरदायी पाए जाने पर प्रति कर्मचारी 60,000 पाउंड तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। गृह कार्यालय में प्रवर्तन, अनुपालन और अपराध के निदेशक एड्डी मोंटगोमरी ने कहा कि ये आंकड़े उन लोगों पर नकेल कसने की मेरी टीमों की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं जो सोचते हैं कि वे हमारी आव्रजन प्रणाली का उल्लंघन कर सकते हैं। आप्रवासी प्रवर्तन ने कहा कि यह कर्मचारियों को श्रम शोषण की रिपोर्ट करने की अनुमति देने के लिए संगठनों के साथ मिलकर काम करने में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भूमिका निभाता है।

Britain ने भी पकड़ी ट्रंप की राह, इमिग्रेशन क्रैकडाउन का शिकार बन रहे भारतीय रेस्तरां
Haqiqat Kya Hai
लेखिका: साक्षी वर्मा, टीम नेतनागरी
परिचय
ब्रिटेन में हाल ही में लागू की गई इमिग्रेशन नीतियों ने भारतीय रेस्तरां उद्योग में हलचल मचा दी है। इस लेख में हम समझेंगे कि कैसे ये नीति भारतीय रेस्तरां पर दबाव बना रही है और क्या इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
ब्रिटेन की नई इमिग्रेशन नीति
ब्रिटिश सरकार ने इमिग्रेशन क्रैकडाउन के अंतर्गत कई नियमों में बदलाव किया है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य है देश में अवैध प्रवासियों की संख्या को कम करना। हालांकि, इसका प्रभाव उन व्यवसायों पर सबसे अधिक पड़ा है जो भारतीय और अन्य एशियाई खाना पकाने के लिए विशेष कर्मचारियों पर निर्भर करते हैं।
भारतीय रेस्तरां पर प्रभाव
भारतीय रेस्तरां जो पारंपरिक खाना पकाने और सेवा के लिए भारतीय रसोइयों पर निर्भर हैं, उनकी स्थिति गंभीर हो गई है। बड़ी संख्या में रेस्तरां को अपने स्टाफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन नीतियों के कारण कई रसोइयों के वीजा आवेदन खारिज हो गए हैं या लंबित हैं, जिससे व्यवसाय तथा ग्राहक दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
वाणिज्यिक चिंता
ब्रिटेन के भारतीय रेस्तरां मालिकों ने सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दे। उनका कहना है कि भारतीय भोजन का बाजार केवल खाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रिटेन की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि ये प्रवृत्तियाँ जारी रहीं, तो कई रेस्तरां बंद होने की कगार पर पहुँच सकते हैं।
भविष्य की स्थिति
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वर्तमान स्थिति जारी रही, तो ये नीतियाँ ब्रिटेन में भारतीय रेस्तरां उद्योग को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती हैं। भारतीय समुदाय के समर्थन और सही नीतियों के जरिए इस समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है। यदि नहीं, तो यूके में भारतीय खाने का दीवानापन धीरे-धीरे कम हो सकता है।
निष्कर्ष
ब्रिटेन की नई इमिग्रेशन नीति से भारतीय रेस्तरां उद्योग को गंभीर खतरा है। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए जरूरी है कि प्रबंधन और समुदाय एकत्र हों। भारतीय रेस्तरां को बचाने का यही सही समय है।
कुल मिलाकर, अगर हालात नहीं बदले, तो भारतीय खानपान का बढ़ता बाजार खतरे में पड़ सकता है। अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें।
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