Balasaheb Thackeray Birth Anniversary: महाराष्ट्र में बोलती थी बाल ठाकरे की तूती, उनके इशारे पर चलती थी राज्य की सियासत
आज ही के दिन यानी की 23 जनवरी को बाल ठाकरे का जन्म हुआ था। लोग प्यार से उनको बाला साहेब ठाकरे कहकर बुलाते थे। वह अक्सर अपने बेबाक बयानों से सुर्खियां बटोरते थे। उन्होंने राज्य के लोगों और वहां की राजनीति को बखूबी समझते थे। महाराष्ट्र की राजनीतिक नब्ज को समझकर उन्होंने शिवसेना का गठन किया था। हालांकि बाल ठाकरे ने अपना करियर बतौर कार्टूनिस्ट शुरू किया था। बाल ठाकरे का पसंदीदा कार्टून पूर्व पीएम इंदिरा थीं। उन्होंने कई बार कटाक्ष के तौर पर पीएम इंदिरा गांधी का कार्टून बनाया था।जन्म और परिवारमहाराष्ट्र के पुणे में 23 जनवरी 1926 को बाल ठाकरे का जन्म हुआ था। उनके पिता लेखक थे और वह मराठी भाषी लोगों के लिए अलग राज्य की मांग करने वाले आंदोलन 'संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन' के सक्रिय कार्यकर्ता भी थे। बाल ठाकरे क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को बहुत पसंद करते थे। साथ ही उनका फिल्मी दुनिया से भी गहरा नाता था। बालासाहेब ठाकरे ने आपातकाल का समर्थन किया था।इसे भी पढ़ें: Subhash Chandra Bose Birth Anniversary: सुभाष चंद्र बोस ने देश के लिए समर्पित कर दिया था अपना पूरा जीवन, इस शख्स ने दी थी 'नेताजी' की उपाधिकार्टूनिस्ट से बने किंग मेकर बता दें कि बाला साहेब ठाकरे ने फेमस कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के साथ काम किया था। यह कार्टून जापान के एक डेली न्यूज पेपर 'द असाही शिंबुन' और द न्यूयॅार्क टाइम्स' के संडे एडिशन में भी छपा था। साल 1960 में बाला साहब राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हो गए। इसके अलावा उन्होंने अपने भाई के साथ मार्मिक नाम से एक साप्ताहिक अखबार निकाला था। फिर साल 1966 में 'मराठी माणुस' को उनका हक दिलाने के लिए शिवसेना पार्टी का गठन किया। लेकिन उन्होंने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा, हालांकि बालासाहेब ने किंग मेकर की भूमिका कई बार निभाई।वह हिंदूवादी नेता के तौर पर पूरे देश में जाने जाते थे। इसका उदाहरण बाबरी मस्जिद को गिराने के मामले में भी देखा गया था। जब अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराया गया, तो इसकी जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा था। तब बाला साहेब ठाकरे खुलकर सामने आए और कहा कि शिवसैनिकों ने मस्जिद के ढांचे को गिराया है। फिर साल 1995 में शिवसेना और बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार बना।वोट डालने पर लगा प्रतिबंधनफरत और डर की राजनीति करने की वजह से चुनाव आयोग ने बालासाहेब ठाकरे पर वोट डालने के साथ ही चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। चुनाव आयोग द्वारा 28 जुलाई 1999 को ठाकरे को 6 साल तक चुनावों से दूर कर दिया था। फिर साल 2005 में यह प्रतिबंध हटने के बाद बाल ठाकरे वोट डाल सके थे। गैर-मराठियों के खिलाफ आंदोलनबाहर से आकर मुंबई बसने वाले लोगों पर बाल ठाकरे कटाक्ष करते थे और महाराष्ट्र को सिर्फ मराठियों का कहकर संबोधित किया करते थे। इसके साथ ही उन्होंने दक्षिण भारतीय लोगों के विरोध में भी कई भद्दे नारे दिए थे। दरअसल, बालासाहेब ठाकरे का विवादों से पुराना नाता था, उनके बयानों पर विवाद खड़ा हो जाता था।मृत्युबता दें कि 17 नवंबर 2012 को बालासाहेब ठाकरे का निधन हो गया था। आप महाराष्ट्र और राजनीति में बालासाहेब ठाकरे के कद का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि उनकी अंतिम यात्रा में करीब 2 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे।

Balasaheb Thackeray Birth Anniversary: महाराष्ट्र में बोलती थी बाल ठाकरे की तूती, उनके इशारे पर चलती थी राज्य की सियासत
Haqiqat Kya Hai - बाल ठाकरे की जयंती पर आज हम याद कर रहे हैं उस नेता को जिन्होंने सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में एक नई सियासी परिप्रेक्ष्य का निर्माण किया। उनका व्यक्तित्व और विचारधारा आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में गहराई से बसी हुई है।
बाल ठाकरे का योगदान
बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को हुआ था। वह एक विशिष्ट नेता और शिवसेना के संस्थापक थे। उनका उद्भव केवल राजनीतिक जंग में ही नहीं, बल्कि समाजिक न्याय और पहुंच में भी बदलाव लाने के लिए रहा। बाल ठाकरे एक ऐसे नेता थे जिनका हर फैसला अपने अनुयायियों के लिए प्रेरणा बन जाता था।
सियासत में बाल ठाकरे की एहमियत
बाल ठाकरे की सियासी गूंज एक ऐसा फलक थी जिस पर उनकी इच्छाओं और आदेशों का असर हमेशा दिखाई देता था। जब उन्होंने महाराष्ट्र की सियासत में कदम रखा, तो उन्होंने एक नई जान फूंक दी। उनके इशारों पर सियासत करने वाले नेताओं की संख्या कम नहीं थी। वह सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे, जिन्होंने महाराष्ट्र की पहचान को उभारा।
शिवसेना: एक सशक्त जनाधार
बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना 1966 में की थी और इसे समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने वाली एक सशक्त पार्टी बनाया। उनकी लहर पर कई प्रदेशों में उनके अनुयायियों ने चुनावों में जीत हासिल की। उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था - उन्होंने हमेशा महाराष्ट्रियों के हितों की रक्षा की। बाल ठाकरे की विचारधारा ने न केवल पार्टी के अनुयायियों को बल्कि लाखों समर्थकों को एकजुट किया।
नागरिकों के मसीहा
बाल ठाकरे को केवल एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक मसीहा के रूप में भी देखा जाता था। उन्होंने हमेशा आम जनता के मुद्दों को उठाया और उन्हें सुलझाने की कोशिश की। उनके प्रमुख मुद्दों में मराठी मानुष का कल्याण, शहरीकरण, और सामाजिक समानता शामिल थे। उन्होंने अपने कार्यों और बयानों के माध्यम से यह साबित किया कि सच्चा नेता वही होता है जो जनहित में सोचता है।
निष्कर्ष
बाल ठाकरे की जयंती पर, उन्हें याद करना और उनके विचारों को समझना वर्तमान में भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उनका समर्पण, नेतृत्व, और समाज के प्रति उनके विचार हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। हम सभी को यह कोशिश करनी चाहिए कि बाल ठाकरे की दृष्टि को आगे बढ़ाते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
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