हम भूख से मर जाएंगे...ये वॉटर बम है, सिंधु जल संधि के रुकने से 'पानी-पानी' कर रहा PAK

पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर भारत द्वारा सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित किए जाने के फैसले को लेकर पाकिस्तानी सीनेटर सैयद अली जफर ने शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार से वॉटर बम को निष्क्रिय करने का आग्रह किया है। सीनेट को संबोधित करते हुए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सीनेटर ने कहा कि अगर हम अभी पानी के संकट को हल नहीं करते हैं, तो हम भूख से मर सकते हैं। उन्होंने सिंधु बेसिन को पाकिस्तान की जीवन रेखा बताते हुए कहा कि पाकिस्तान द्वारा खपत किए जाने वाले पानी का तीन-चौथाई हिस्सा बाहर से आता है। हर दस लोगों में से नौ लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा बेसिन पर रहते हैं।इसे भी पढ़ें: न्यूक्लियर ब्लैकमेल जैसी धमकी को जेब में रख दे घूमता है भारत, जर्मनी से जयशंकर का पाकिस्तान को कड़ा संदेशसीनेटर जफर ने आंकड़ों का भी हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में 90 प्रतिशत फसलें आईडब्ल्यूटी के कारण पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर निर्भर हैं, क्योंकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सभी बिजली परियोजनाएं और बांध इसी पानी पर बने हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि यह हमारे (पाकिस्तान) ऊपर लटके पानी के बम की तरह है। हमें इसे निष्क्रिय करना होगा और इसका समाधान करना होगा। इसके अलावा, भारत ने जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक इस्लामाबाद सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता, क्योंकि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। इसे भी पढ़ें: रास्ता देने से पाकिस्तान ने किया इनकार, फिर IAF ने कराई IndiGo विमान की सेफ लैंडिंगविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह भी कहा कि इस्लामाबाद के साथ कोई भी द्विपक्षीय वार्ता केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए कश्मीर के क्षेत्रों को खाली करने पर होगी। जायसवाल ने कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि जम्मू और कश्मीर पर कोई भी द्विपक्षीय वार्ता केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करने पर होगी। उन्होंने कहा कि यह तब तक स्थगित रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है, 'पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। Water bomb… pic.twitter.com/IvEHEvOWAg— Amit Malviya (@amitmalviya) May 23, 2025

May 24, 2025 - 00:39
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हम भूख से मर जाएंगे...ये वॉटर बम है, सिंधु जल संधि के रुकने से 'पानी-पानी' कर रहा PAK
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भारत द्वारा सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पाकिस्तानी सीनेटर सैयद अली जफर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि तत्काल पानी के संकट का समाधान नहीं किया गया, तो देश भूख की कगार पर पहुंच जाएगा। यह बयान सीनेट में दिया गया था और इसके पीछे गहरी चिंताएँ हैं, क्योंकि सिंधु बेसिन को पाकिस्तान की जीवन रेखा बताया गया है।

पाकिस्तान के सीनेटर का बयान

सीनेटर जफर ने कहा, "हमारे (पाकिस्तान) ऊपर लटके इस पानी के बम को निष्क्रिय करना होगा।" उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में जल से संबंधित संकट गंभीर हो चुका है, क्योंकि पानी का तीन-चौथाई हिस्सा भारत से आता है। यह संकेत इस ओर है कि पाकिस्तानी सरकार को इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करनी पड़ेगी।

सिंधु जल संधि का महत्व

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, जिसमें दोनों देशों के बीच जल के वितरण का प्रावधान है। पाकिस्तान में 90 प्रतिशत फसलें इसी संधि पर निर्भर हैं। सीनेटर जफर ने कहा कि "हमारी सभी बिजली परियोजनाएं और बांध इस पानी पर निर्भर हैं।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि यह स्थिति इसी तरह रही, तो पाकिस्तान की कृषि और ऊर्जा उत्पादन पर भयंकर प्रभाव पड़ेगा।

भारत का आधिकारिक जवाब

भारत की ओर से इस मुद्दे पर स्पष्टता दी गई है कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के प्रति सचेत नहीं होता। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि, "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि द्विपक्षीय वार्ता केवल तब ही होगी जब पाकिस्तान कश्मीर के अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली करेगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी बनी हुई हैं। विश्लेषकों का मानना है कि जल संकट केवल एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की दिशा में भी एक बड़ा मुद्दा है। यदि भारत और पाकिस्तान जल के प्रबंधन पर एक साथ काम करें, तो यह न केवल दो देशों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए लाभदायक होगा।

निष्कर्ष

सिंधु जल संधि के निलंबन से उत्पन्न संकट को समझना आवश्यक है। पाकिस्तान के लिए यह समय उन मुद्दों पर ध्यान देने का है जो उसके अस्तित्व और विकास को प्रभावित कर सकते हैं। जल संसाधनों का प्रबंधन न केवल बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

भारत ने स्पष्ट किया है कि उससे पहले पाकिस्तान को अपने आतंकवाद के समर्थन को समाप्त करना होगा। यह सब जल संकट की समस्या को गंभीर बनाता है। अब देखना यह है कि पाकिस्तान अपने वादों को निभाता है या नहीं।

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