विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन ने जयशंकर के साथ घटी घटना का मुद्दा ब्रिटिश संसद में उठाया
ब्रिटेन की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर के काफिले में ‘खालिस्तानी तत्वों’ के अवरोध पैदा करने का मुद्दा बृहस्पतिवार को ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में उठाया। सदन में ‘बैकबेंच बिजनेस कमेटी’ के अध्यक्ष ने बुधवार शाम को जयशंकर की सुरक्षा में सेंध को लोकतंत्र का अपमान बताया और गृह मंत्री यवेट कूपर से ब्रिटेन में भारतीय आगंतुकों की सुरक्षा के मुद्दे पर संसद में बयान देने को कहा। इससे पहले ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने मध्य लंदन में चैथम हाउस के बाहर हुई घटना की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। ब्लैकमैन ने कहा, ‘‘कल, भारत के विदेश मंत्री श्री जयशंकर पर उस समय हमला किया गया जब वह एक सार्वजनिक आयोजन स्थल से निकल रहे थे। वहां वह इस देश में भारतीय लोगों को संबोधित करने गये थे।’’ ब्रिटिश सांसद ने कहा, ‘‘उन पर खालिस्तानी तत्वों ने हमला किया। यह जिनेवा संधि के खिलाफ है और ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस और सुरक्षा बल यह सुनिश्चित करने में विफल रहे कि उन्हें सुरक्षित रखा जाए। यह लोकतंत्र का अपमान है तथा भारत में हमारे मित्रों और सहयोगियों का अपमान है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा दोबारा न हो।

विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन ने जयशंकर के साथ घटी घटना का मुद्दा ब्रिटिश संसद में उठाया
Haqiqat Kya Hai
हाल ही में, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ एक विवादास्पद घटना का मुद्दा ब्रिटिश संसद में उठाया गया। यह मुद्दा विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन द्वारा उठाया गया, जिन्होंने इस घटना को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। इस लेख में हम इस घटना के महत्वपूर्ण पहलुओं को चर्चा करेंगे और इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
घटना का विवरण
बॉब ब्लैकमैन का कहना है कि उन्होंने ब्रिटिश संसद में एस. जयशंकर के साथ हुई घटना के संदर्भ में कई सवाल उठाए हैं। इस घटना में एस. जयशंकर के साथ अकस्मात एक अनपेक्षित वार्तालाप शामिल है, जिसने न केवल विदेश नीति में बल्कि भारत-यूके संबंधों में भी असामान्य विचार-विमर्श को जन्म दिया है।
ब्रिटिश संसद में उठाए गए सवाल
ब्लैकमैन ने उल्लेख किया कि यह घटना उन महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित है जो वैश्विक राजनीति और विशेष रूप से भारत और ब्रिटेन के संबंधों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने संसद में कहा, "यह केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि यह उन सभी मुद्दों का प्रतीक है जिसकी वजह से हम ब्रिटेन में भारतीय समुदाय की आवाज को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।"
सांसदों की प्रतिक्रियाएँ
ब्रिटिश संसद में इस मुद्दे पर सांसदों की विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ सांसदों ने आरोप लगाया है कि इस प्रकार की घटनाएँ भारत के साथ बातचीत में बाधा डाल सकती हैं। वहीं, कुछ ने इसे एक सामान्य घटना मानते हुए ज्यादा तूल नहीं दिया।
भारत-यूके संबंधों पर प्रभाव
इस घटना का भारत-यूके संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के मुद्दों को उठाने से दोनों देशों के बीच संवाद में रुकावट आ सकती है। इससे एक ओर जहाँ समुचित संवाद की कमी हो सकती है, वहीं दूसरी ओर यह अवसर भी प्रदान करेगा कि दोनों पक्ष अपने दृष्टिकोण को बेहतर तरीके से समझ सकें।
निष्कर्ष
इस घटना ने निस्संदेह भारतीय और ब्रिटिश दोनों सांसदों में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि इस पर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। जैसे ही घटनाक्रम आगे बढ़ता है, हमें संवाद के प्रवाह को बनाए रखने और दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
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