दिल्ली को विश्वस्तरीय अत्याधुनिक राजधानी बनाने का उचित अवसर

देश का दिल दिल्ली की पहचान दुनिया भर में भारत की राजधानी के रूप में होती है, जो एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में चलती है, जहां पर कुछ शक्तियां राज्य सरकार व कुछ शक्तियां केंद्र की सरकार के पास होती है। केंद्र व राज्य दोनों के बेहतर सामंजस्य से ही दिल्ली का शासन बेहतर ढंग से चल सकता है। देश की राजधानी होने के चलते दिल्ली में ही भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य व अन्य न्यायाधीश, सेनाध्यक्ष, केंद्रीय कैबिनेट, दिल्ली के उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि बहुत सारे देश के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन लोग रहते हैं, राजधानी होने के चलते दिल्ली में राजकीय व अधिकांश केंद्रीय कार्यालय भी है। रोजी-रोटी, शिक्षा चिकित्सा व देश की सबसे ताकतवर सत्ता का मुख्य केंद्र बिंदु होने के चलते ही देश की आज़ादी के बाद से ही दिल्ली की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई थी। दिल्‍ली में तेजी से बढ़ती आबादी की समस्‍याओं के समाधान करने के उद्देश्य के लिए वर्ष 1962 में बने दिल्ली के पहले ही मास्टर प्लान में यह सिफारिश की गई थी कि दिल्ली के साथ-साथ इसके आसपास के राज्यों के शहरों को भी एक उप महानगरीय क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाए। जिस परिकल्पना को धरातल पर मूर्त रूप देने के लिए वर्ष 1985 में नेशनल केपिटल रिजन प्लानिंग बोर्ड की शुरुआत की गई थी। जिससे इस पूरे क्षेत्र में व्यवस्थित विकास के लिए कार्य योजना बना करके उसका धरातल पर कार्यान्‍वयन किया जा सकें और एनसीआर क्षेत्र में शामिल किसी भी क्षेत्र का विकास अव्‍यवस्थित ढंग से होने से रोका जा सकें।दिल्ली को बेहतर बनाने के लिए ही वर्ष 1985 में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के कुछ जनपदों को मिलाकर के दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तो घोषित कर दिया गया था, लेकिन चार राज्यों व केंद्र की सरकारों के बीच का मामला होने के चलते उस वक्त की गयी पूरी प्लानिंग आज तक भी धरातल पर पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाई है। जिसका बड़ा खामियाजा दिल्ली व एनसीआर की जनता लगातार भुगत रही है। सिस्टम को सर्वोच्च न्यायालय की बार-बार फटकार लगने के बावजूद भी दिल्ली व एनसीआर के निवासी स्वच्छ पेयजल व स्वच्छ सांसों तक के लिए तरस गये है। आज खराब पानी व प्रदूषित वायु के चलते दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के बड़ी संख्या में पेट, लीवर व फेफड़ों से संबंधित रोगी आसानी से मिल जाते हैं।इसे भी पढ़ें: मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता की चुनौतियांहालांकि हम भारतवासियों की यह खूबी है कि हम विपरीत से विपरीत स्थिति में भी उम्मीद की लो जलाकर रखते हैं। जिसके चलते ही आज भी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के एनसीआर क्षेत्र के निवासियों का सपना है कि उनको भी एक दिन दिल्ली की तरह ही उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, बेहतरीन चिकित्सा, विश्वस्तरीय अत्याधुनिक सुविधाएं, रोजी-रोटी, व्यापार करने का अवसर मिलेंगे, जिस उद्देश्य को पूरा करने के लिए केंद्र शासित दिल्ली राज्य में कभी एनसीआर के क्षेत्र को जोड़ा गया था, लेकिन अफसोस वह आज तक भी अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया। जिसके चलते ही अब एनसीआर क्षेत्र के एक बहुत बड़े वर्ग का मानना है कि देश का दिल दिल्ली राज्य अपनी सीमाओं का विस्तार करते हुए भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए कार्य करें। लेकिन देश में आये दिन क्षणिक स्वार्थों से पूर्ण राजनीति होने के चलते कभी भी देशहित की इस दूरगामी रणनीति पर किसी भी राजनीतिक दल ने कोई विशेष रणनीति बनाकर कार्य नहीं किया है।लेकिन जब से दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है, तब से बहुत सारे लोगों के मन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जगह अब बृहद दिल्ली राज्य के निर्माण विचार आने लगा है। क्योंकि फिलहाल केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान में एक ही दल भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है और सबसे बड़ी बात यह है कि उस राजनीतिक दल के सर्वेसर्वा नरेन्द्र मोदी के पास राजनीति से ऊपर उठकर के देश के नव निर्माण करते हुए, भारत को विश्वगुरु बनाने का जज्बा मौजूद है। लोगों को लगता है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बृहद दिल्ली या राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) अंतरराज्‍यीय क्षेत्रीय योजना और अत्याधुनिक विकास का एक अद्वितीय उदाहरण बन सकता है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जनपदों को मिलाकर बनने वाले लगभग 55,083 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का विश्वस्तरीय विकास हो सकता है। यहां आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई महत्वपूर्ण शहर भी शामिल हैं। एनसीआर के क्षेत्र का आज भी दिल्ली से कई सौ किलोमीटर तक विस्तार है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र,1985 के नियोजन बोर्ड के कानून के अनुसार, इस अधिसूचित क्षेत्र में दिल्‍ली का 1,483 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल आता है। वहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलन्‍दशहर, हापुड, बागपत, शामली और मुजफ्फरनगर जनपद का 14,826 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल आता है। वहीं हरियाणा के फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूँह, रोहतक, सोनीपत, रिवाडी, झज्‍जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेन्‍द्रगढ, जींद और करनाल का 25,327 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल आता है। राजस्‍थान के अलवर और भरतपुर का 13,447 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल आता है। जिस क्षेत्र को कुछ कम करते हुए भी बृहद दिल्ली राज्य का निर्माण अब इन राज्यों की सहमति से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व आसानी से किया जा सकता है।वैसे भी देखा जाये तो उस वक्त देश के नीति-निर्माताओं का एनसीआर क्षेत्र बनाने के पीछे मकसद था कि दिल्ली के स्थाई निवासियों के साथ-साथ दिल्ली में आजीविका की तलाश में आ रहे देश के अन्य राज्यों के लोगों को रोजी-रोटी, घर, पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा, बेहतर कनेक्टिविटी के साथ सार्वजनिक परिवहन जैसी बुनियादों सुविधाओं की कमी का सामना ना करना पड़े। जिसके चलते ही एनसीआर में शामिल होने वाले अन्य राज्यों क

Mar 1, 2025 - 12:39
 140  501.8k
दिल्ली को विश्वस्तरीय अत्याधुनिक राजधानी बनाने का उचित अवसर
दिल्ली को विश्वस्तरीय अत्याधुनिक राजधानी बनाने का उचित अवसर

दिल्ली को विश्वस्तरीय अत्याधुनिक राजधानी बनाने का उचित अवसर

Haqiqat Kya Hai

लेखिका: प्रिया गुप्ता, टीम नेटानगरी

दिल्ली, भारत की राजधानी के रूप में एक अनमोल धरोहर है, लेकिन क्या यह विश्वस्तरीय अत्याधुनिक राजधानी बनने का उचित अवसर है? हाल के वर्षों में दिल्ली ने अपने विकास में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन हम अभी भी उस स्तर पर नहीं पहुँचे हैं जिसे हम अपना सकते हैं। इस लेख में हम दिल्ली में बदलाव की संभावनाओं पर नजर डालेंगे और यह समझेंगे कि इसे कैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाया जा सकता है।

दिल्ली में परिवर्तन की संभावनाएं

दिल्ली के विकास के लिए कई नई योजनाएं और कार्यक्रम चल रहे हैं, जिनका उद्देश्य इसे एक आधुनिक शहर बनाना है। दिल्ली सरकार ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत विभिन्न पहलुओं जैसे परिवहन, स्वच्छता, और रहने की सुविधाओं पर जोर दिया है। हालिया स्ट्रीट लाइट सिंग्नल, स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, और डिजिटल सेवाओं का उपयोग इसे एक स्मार्ट और सक्षम शहर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।

इन पहलों के साथ-साथ, दिल्ली में मेट्रो और यातायात के अन्य साधनों का विकास भी तेजी से हो रहा है। इससे जानकारी के आदान-प्रदान में भी तेजी आई है। परंतु, इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए हमें कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा।

चुनौतियां और उनके समाधान

दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या और यातायात की समस्या सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इनोवेटिव ट्रांसपोर्ट पॉलिसी और सस्टेनेबल विकास पर जोर देकर हम इस समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण का स्तर भी चिंता का विषय है। इसे कम करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और जन जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

दिल्ली को विश्वस्तरीय राजधानी बनाने के लिए हमें अपने बुनियादी ढांचे को भी सुधारना होगा। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा का स्तर बढ़ाना, और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार करना आवश्यक है। इसके लिए सरकारी योजनाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बेहद महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

दिल्ली को विश्वस्तरीय अत्याधुनिक राजधानी बनाने का यह एक उचित अवसर है। अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें और साथ ही सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करें, तो दिल्ली को ग्लोबल सिटी बनाने का सपना जल्द ही साकार हो सकता है। इस दिशा में किया गया हर कदम न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का कारण बनेगा।

अधिक जानकारी पाने के लिए, कृपया हाकीकत क्या है पर जाएं।

Keywords

Delhi, modern capital, smart city, infrastructure, transportation, challenges, sustainability, pollution, healthcare, education, digital connectivity

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow