दुनिया को झकझोरने वाला अनुपमा हत्याकांड: पति के 72 टुकड़े बनाकर छिपाई गई सच्चाई
Amit Bhatt, Dehradun: देश को झकझोर कर रख देने वाला वर्ष 2010 का अनुपमा गुलाटी हत्याकांड फिर चर्चा में है। जिसमें अनुपमा के पति राजेश गुलाटी ने पत्नी की हत्या कर उसके शव के 72 टुकड़े कर दिए थे। दरअसल, हाई कोर्ट ने देशभर में चर्चित देहरादून के अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के मामले में आजीवन … The post फिर चर्चा में क्यों है देश को झकझोरने वाला दून अनुपमा हत्याकांड, पत्नी के कर दिए थे 72 टुकड़े appeared first on Round The Watch.

दुनिया को झकझोरने वाला अनुपमा हत्याकांड: पति के 72 टुकड़े बनाकर छिपाई गई सच्चाई
Amit Bhatt, Dehradun: देश को झकझोरने वाला 2010 का अनुपमा गुलाटी हत्याकांड एक बार फिर से चर्चा में है। इस मामले में अनुपमा के पति राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी की हत्या कर उसके शव के 72 टुकड़े कर दिए थे। हाल ही में हाई कोर्ट ने इस मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुके राजेश की अपील पर सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान, राजेश के वकील ने अतिरिक्त सबूत पेश करने के लिए समय की मांग की, और कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 28 अक्टूबर निर्धारित की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठानी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में यह सुनवाई हुई।
अनुपमा गुलाटी हत्याकांड: एक भयावह रात
एक दशक से अधिक पुराना यह मामला अब भी लोगों को सिहरन महसूस कराता है। देहरादून की शांत वादियों में 2010 में हुई इस हत्या ने न केवल क्रूरता की सीमा को पार किया, बल्कि इसमें आधुनिक तकनीक, मनोवैज्ञानिक विकृति और पारिवारिक तनाव का भयानक संगम भी देखने को मिला। राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा के शव को 72 टुकड़ों में काटकर, उन्हें एक डीप फ्रीजर में छिपा दिया और फिर धीरे-धीरे फेंक दिया। इस घटनाक्रम ने उत्तराखंड की पुलिस और समाज को झकझोर दिया। अदालत ने इसे “योजनाबद्ध और अत्यंत नृशंस हत्या” करार दिया और दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
पति-पत्नी के बीच तनाव: एक खतरनाक कहानी
अनुपमा और राजेश की शादी 1999 में हुई थी, और दोनों 6 साल अमेरिका में रहने के बाद देहरादून लौटे। शुरुआत में उनका जीवन सामान्य था; उनके दो छोटे बच्चे, एक जुड़वां बेटा और बेटी थे। लेकिन धीरे-धीरे रिश्ते में तनाव बढ़ने लगा, जिससे यह परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया। अनुपमा को शक था कि राजेश का किसी अन्य महिला से संबंध है, जिससे झगड़े अक्सर होने लगे।
हत्या की रात: जब क्रूरता ने इंसानियत को पराजित किया
17 अक्टूबर 2010 की रात, राजेश और अनुपमा के बीच बड़ी बहस हुई। गुस्से में आकर राजेश ने अनुपमा को मारा, जिससे उसका सिर दीवार से टकराया और वह बेहोश हो गई। फिर राजेश ने उसके नाक और मुंह में कपास ठूंसकर और तकिया दबाकर उसे मार दिया। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि उसकी मौत का कारण अस्फिक्सिया था, यानी घुटन से मृत्यु।
शव को 72 टुकड़ों में काटने का भयावह कृत्य
हत्या के बाद राजेश ने एक इलेक्ट्रिक आरी खरीदी और अनुपमा के शव को 72 टुकड़ों में काट दिया। इन टुकड़ों को उसने प्लास्टिक के बैग में रखकर घर में एक डीप फ्रीजर में छिपा दिया। वह कई दिनों तक शव के टुकड़ों को छिपाकर रखता रहा और फिर धीरे-धीरे फेंकता रहा, ताकि पुलिस या पड़ोसियों को संदेह न हो।
डिजिटल धोखे से सचाई छिपाने की चेष्टा
इस हत्या के बाद राजेश ने डिजिटल तकनीक का सहारा लेकर यह दिखाने की कोशिश की कि अनुपमा जीवित है। उसने अनुपमा के ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स से संदेश भेजे, जिससे परिवार और दोस्तों को लगा कि अनुपमा किसी रिश्तेदार के पास गई है। यह “डिजिटल मैनिपुलेशन” पुलिस के लिए अहम सुराग बना। पुलिस ने अनुपमा के भाई की शिकायत पर राजेश के घर तलाशी ली, जहाँ फ्रीजर में शव के टुकड़े मिले।
फॉरेंसिक रिपोर्ट और सच्चाई का पर्दाफाश
फॉरेंसिक टीम ने शव के टुकड़ों का DNA परीक्षण किया, जो यह दर्शाता है कि शव अनुपमा का ही था। घर के विभिन्न हिस्सों में रक्त के धब्बे और उपकरणों पर साक्ष्य मिले, जिसने इस हत्याकांड को एक नज़ीर बना दिया है।
अदालत का फैसला: “पूर्व नियोजित मर्डर”
इस मामले का 7 साल तक चला मुकदमा अंततः 31 अगस्त 2017 को राजेश को हत्या और साक्ष्य नष्ट करने का दोषी ठहराने पर समाप्त हुआ। अदालत ने उसे आजीवन कारावास और 15 लाख रुपये जुर्माना दिया। कोर्ट ने कहा कि यह कृत्य केवल आवेश में नहीं, बल्कि एक पूर्ण योजना के तहत किया गया था।
सामाजिक प्रश्न: कैसे एक शिक्षित व्यक्ति कर सकता है ऐसा अपराध?
यह त्रासदी न केवल एक परिवार का मामला है, बल्कि整个 समाज के लिए एक कड़े सवाल खड़ा करती है कि शिक्षा और आधुनिकता के बावजूद, क्रूरता का चेहरा कब सामने आता है। इस मामले से स्पष्ट होता है कि घरेलू हिंसा और पितृसत्तात्मक मानसिकता किस प्रकार परिवारों को तबाह कर सकती है।
श्रद्धा वाकर कनूनी मामले की तुलना
वर्ष 2022 में हुए श्रद्धा वाकर हत्याकांड ने फिर से अनुपमा के केस की याद दिलाई। दोनों मामलों में हत्या के बाद शव को काटने और डिजिटल तरीके से झूठी उपस्थिति दिखाने की समानता है। यह समाज में रिश्तों की हिंसक परिणति की गंभीरता को दर्शाता है।
एक सीख: शिक्षा, तकनीक, और इंसानी मूल्य
अनुपमा गुलाटी हत्याकांड एक केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है; यह एक युग का उदाहरण है जब तकनीक और शिक्षा भी मानव मूल्यों को नहीं बचा सकती। यह केस हमें यह सिखाता है कि घरेलू विवाद, संदेह और अहंकार जब विवेक पर हावी हो जाते हैं, तो एक शिक्षित व्यक्ति भी दरिंदगी की हदें पार कर सकता है।
राजेश गुलाटी आज भी जेल में है, और अनुपमा की कहानी हमेशा अपराध मनोविज्ञान की किताबों में जीवित रहेगी।
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कम शब्दों में कहें तो, अनुपमा गुलाटी का हत्याकांड एक ऐसी दास्तान है जो न केवल अनदेखी जाती है, बल्कि हमें यह सोचने के लिए मजबूर करती है कि रिश्तों में तनाव का परिणाम क्या हो सकता है। अधिक अपडेट के लिए, कृपया यहाँ जाएं.
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