अजब-गजब! प्रेमी के साथ भागी पत्नी, ’40 लीटर दूध’ से नहाकर बोला पति…मैं अब आज़ाद हूं!

असम के नलबाड़ी जिले में एक अजीबो-गरीब लेकिन बेहद चर्चित घटना सामने आई है। बरलियापार The post अजब-गजब! प्रेमी के साथ भागी पत्नी, ’40 लीटर दूध’ से नहाकर बोला पति…मैं अब आज़ाद हूं! first appeared on radhaswaminews.

Jul 13, 2025 - 00:39
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अजब-गजब! प्रेमी के साथ भागी पत्नी, ’40 लीटर दूध’ से नहाकर बोला पति…मैं अब आज़ाद हूं!
अजब-गजब! प्रेमी के साथ भागी पत्नी, ’40 लीटर दूध’ से नहाकर बोला पति…मैं अब आज़ाद हूं!

अजब-गजब! प्रेमी के साथ भागी पत्नी, ’40 लीटर दूध’ से नहाकर बोला पति…मैं अब आज़ाद हूं!

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असम के नलबाड़ी जिले में एक अजीबो-गरीब लेकिन बेहद चर्चित घटना सामने आई है। बरलियापार गांव में रहने वाले माणिक नामक व्यक्ति ने पत्नी से कानूनी तौर पर तलाक लेने के बाद 40 लीटर दूध से नहाकर अपनी “आज़ादी” का जश्न मनाया। यह दृश्य बॉलीवुड फिल्म के किसी डायलॉग या स्टंट जैसा जरूर था, मगर इसके पीछे छिपी थी एक आम आदमी की गहरी पीड़ा और रिश्तों में टूटी उम्मीद की कहानी।

प्यार और धोखा: माणिक की कहानी

घटना मुकलमुआ पुलिस थाना क्षेत्र की है, जहां माणिक की पत्नी दो बार अपने प्रेमी के साथ घर छोड़कर जा चुकी थी। माणिक ने बताया कि उसने अपनी बेटी के भविष्य की खातिर रिश्ते को संभालने की कोशिश की और दोनों बार पत्नी को माफ भी किया। लेकिन तीसरी बार जब पत्नी फिर भागी और इस बार बच्ची को भी साथ ले गई, तो माणिक ने कानूनी रूप से तलाक लेने का फैसला किया।

“अब मैं बोझ से मुक्त हूं”

तलाक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद माणिक ने कैमरों के सामने खुद पर चार बाल्टी (लगभग 40 लीटर) दूध उड़ेलते हुए कहा, "आज से मैं आज़ाद हूं! यह दूध नहीं, मेरे ऊपर चढ़ा मानसिक बोझ है जो मैं धो रहा हूं।” यह दृश्य लोगों को अनिल कपूर की फिल्म नायक की याद दिला गया, जिसमें राजनीतिक जीत के बाद उन्हें समर्थक दूध से नहलाते हैं। लेकिन माणिक की “दूध स्नान” किसी जीत की नहीं, एक टूटे रिश्ते से मिली मुक्ति की कहानी है।

भावनाओं का उबाल और सोशल मीडिया पर बहस

इस घटना ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। अनेक उपयोगकर्ता इसे एक व्यक्ति की भावनात्मक टूटन और उसके प्रतीकात्मक उपचार के तौर पर देख रहे हैं, वहीं कुछ इसे “ड्रामेबाज़ी” और ध्यान खींचने वाला स्टंट भी बता रहे हैं। यह सवाल भी उठता है कि जब महिलाएं ऐसे रिश्तों से बाहर निकलती हैं, तो उन्हें सहानुभूति मिलती है, लेकिन पुरुषों की भावनात्मक प्रतिक्रिया अक्सर मज़ाक का विषय क्यों बन जाती है?

निष्कर्ष

यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत दुख की कहानी है, बल्कि समाज में रिश्तों के प्रति हमारी सोच को भी चुनौती देती है। माणिक की दास्तान हमें यह सिखाती है कि रिश्तों में अहसासों की अहमियत है, और कभी-कभी लिए गए निर्णय दिल के दर्द को कम कर सकते हैं। चाहे लोग इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें या नकारात्मक, यह घटना निश्चित ही याद रखने योग्य है। अपेक्षाकृत अधिक जनसंख्यकों के लिए वि-नियोजित मानसिकता की आवश्यकता है।

इस दिलचस्प घटना पर अधिक अपडेट के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएँ: haqiqatkyahai.com

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