उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में दर्ज नाम वाले मतदाताओं और प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने और मतदान करने पर रोक लगा दी है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में 6 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन को न्यायालय ने असंवैधानिक … The post उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव appeared first on Round The Watch.

उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशी नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव
By Anjali Verma, Priya Singh, and Sneha Mehta – Team Haqiqatkyahai
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संक्षिप्त परिचय
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए शुक्रवार को घोषणा की कि जिन प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, वे पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। यह निर्णय राज्य चुनाव आयोग द्वारा हाल ही में जारी अधिसूचना को असंवैधानिक ठहराते हुए किया गया है।
मामले का विवरण
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने गढ़वाल निवासी शक्ति सिंह बर्त्वाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। याचिका में कहा गया था कि राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने वाले कई प्रत्याशियों के नाम एक साथ नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, जो न केवल पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) का उल्लंघन है, बल्कि यह गंभीर चुनावी अनियमितता भी है।
दोहरे नामांकन पर उठे सवाल
याचिका में दी गई जानकारी के अनुसार, दोहरी मतदाता सूची में नाम होने के कारण कुछ प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त कर दिए गए थे, जबकि कुछ को स्वीकृति दी गई, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी साफ झलकती है। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त से इस गंभीर विषय पर स्पष्ट निर्देश देने का अनुरोध किया, लेकिन जवाब से असंतुष्ट होकर उन्होंने न्यायालय का सरण लिया।
कोर्ट का स्पष्ट रुख
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मौजूदा पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, लेकिन भविष्य में इस आदेश का पालन अनिवार्य होगा। इस मामले में चुनाव आयोग की ओर से मौजूद अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि अदालत ने आयोग के 6 जुलाई के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। अब आयोग को आदेश की प्रति मिलने के बाद विधिक पहलुओं पर पुनर्विचार करना होगा।
भविष्य के लिए महत्वपूर्ण फैसला
यह फैसला उत्तराखंड की चुनावी व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। याचिका में उल्लेख किया गया कि किसी व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में होना अन्य राज्यों में अपराध की श्रेणी में आता है; ऐसे में उत्तराखंड में इस नियम का उल्लंघन क्यों हुआ, यह चिंता का विषय है।
निष्कर्ष
इस निर्णय से साफ प्रभाव पड़ता है कि निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। उम्मीद की जा रही है कि यह आदेश भविष्य में निर्वाचन आयोग को सही दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।
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