Kerala ने स्कूल में रैगिंग के आरोपों के बाद 15 वर्षीय लड़के की आत्महत्या की जांच के आदेश दिए
केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने सामान्य शिक्षा निदेशक (डीजीई) को 15 वर्षीय लड़के की कथित आत्महत्या की व्यापक जांच करने का निर्देश दिया, जिसके बारे में उसके परिवार का दावा है कि कोच्चि के पास उसके स्कूल में रैगिंग के कारण ऐसा हुआ था। नौवीं कक्षा का यह लड़का 15 जनवरी को त्रिपुनिथुरा में अपने फ्लैट से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।मंत्री ने फेसबुक पोस्ट में इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि डीजीई को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए और आगे की कार्रवाई की सिफारिश करनी चाहिए। शिवनकुट्टी ने लिखा "यदि किसी भी स्कूल में समाज के लिए हानिकारक कोई भी गतिविधि हो रही है, चाहे वह किसी भी स्ट्रीम की हो, तो उसकी पहचान की जाएगी, उसे रोका जाएगा और संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि आवश्यक हुआ, तो कानून में संशोधन पर विचार किया जाएगा।मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "एक मां ने आरोप लगाया है कि एर्नाकुलम जिले के तिरुवनीयूर में एक सीबीएसई स्कूल में उसके बेटे को बेरहमी से प्रताड़ित किए जाने के बाद उसने आत्महत्या कर ली। यह घटना बेहद दुखद और चौंकाने वाली है। पुलिस तत्काल कार्रवाई करेगी।'' इसे भी पढ़ें: मुझे जातिगत गालियां दीं, SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या नया फैसला ले लिया शिकायत हिल पैलेस पुलिस को भेज दी गई, जिसने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। एक पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है और आरोपों की जांच की जा रही है।किशोर की मौत के बाद उसकी मां ने मुख्यमंत्री और राज्य पुलिस प्रमुख के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि स्कूल में रैगिंग और शारीरिक उत्पीड़न के कारण उसके बेटे ने आत्महत्या कर ली। उसकी याचिका के अनुसार, उसके दोस्तों के संदेशों और सोशल मीडिया पर बातचीत से पता चलता है कि उसके साथ रैगिंग की गई थी। इसे भी पढ़ें: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद कहा- बजट ऊर्जा सुरक्षा पर केंद्रितइस बीच, एर्नाकुलम जिला बाल कल्याण समिति ने भी घटना की जांच की मांग की है। समिति के उपाध्यक्ष के एस अरुण कुमार ने कहा कि स्कूल अधिकारियों ने किसी भी तरह की रैगिंग से इनकार किया है, लेकिन सच्चाई को उजागर करने के लिए गहन और वैज्ञानिक जांच जरूरी है। उन्होंने कहा, ''समिति मृतक के परिवार को न्याय दिलाएगी।''

Kerala ने स्कूल में रैगिंग के आरोपों के बाद 15 वर्षीय लड़के की आत्महत्या की जांच के आदेश दिए
Haqiqat Kya Hai
हाल ही में केरल में एक दर्दनाक घटना घटी où 15 वर्षीय एक लड़के ने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे देश में हड़कंप मचाया है। बताया गया है कि लड़के ने अपने स्कूल में रैगिंग के आरोपों के चलते यह यथार्थिक कदम उठाया। राज्य सरकार ने अब इस मामले की हर पहलू से जांच करने के आदेश दिए हैं।
घटना का विवरण
मृतक, जो एक छात्र था, ने स्कूल में सहपाठियों द्वारा रैगिंग का शिकार होने की शिकायत की थी। क्षेत्र में उसकी आत्महत्या की खबर सुनकर उसके परिवार और दोस्तों में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार का कहना है कि लड़का मानसिक तनाव में था और उन्होंने स्कूल प्रशासन द्वारा रैगिंग को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाने का भी आरोप लगाया।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, केरल सरकार ने तुरंत प्रभाव से जांच के आदेश दिए। राज्य शिक्षा मंत्री ने कहा कि रैगिंग की हर सूचना पर गंभीरता से सुनवाई की जाएगी और स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
रैगिंग पर कानून और इसके खिलाफ कदम
भारत में रैगिंग को गंभीर अपराध माना जाता है और इसके खिलाफ कई कानून हैं। इसके बावजूद, यह प्रथा अभी भी कई स्कूलों और कॉलेजों में जारी है। इसे समाप्त करने के लिए विभिन्न संगठनों ने कई जागरूकता अभियान चलाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
माता-पिता और छात्रों के लिए सलाह
इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए माता-पिता को अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए। उन्हें यह समझाना चाहिए कि यदि वे किसी भी प्रकार के दबाव या बल प्रयोग का शिकार होते हैं, तो वे इसकी सूचना दें। इसके अलावा, स्कूलों को भी नियमित रूप से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच करनी चाहिए।
निष्कर्ष
केरल में इस घटना ने समाज को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। रैगिंग और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो। हर बच्चे का अधिकार है कि वे अपने स्कूल में सुरक्षित महसूस करें।
अंत में, हमारे समाज को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की जरुरत है। रैगिंग को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
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